गैंगस्टर से राजनेता बना अतीक अहमद और उसके भाई खालिद अजीम उर्फ अशरफ को प्रयागराज की नैनी जेल में लाया गया है. दोनों को कल एमपीएमएलए कोर्ट में पेश किया जाएगा. अतीक अहमदाबाद में साबरमती सेंट्रल जेल में बंद था. जबकि उसका भाई अशरफ बरेली जेल में बंद था. दोनों भाइयों पर बसपा विधायक राजू पाल हत्याकांड के गवाह उमेश पाल का 2006 में अपहरण करने का आरोप है. इस मामले में मंगलवार को कोर्ट के फैसला सुनाए जाने की संभावना है.
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गैंगस्टर से नेता बने अतीक अहमद की मंगलवार को प्रयागराज की एमपी-एमएलए कोर्ट में पेशी होगी. अतीक 17 साल पुराने उमेश पाल अपहरण कांड में मुख्य आरोपी है. इस केस में कोर्ट सुनवाई पूरी कर चुका है. कल कोर्ट दोष सिद्ध और सजा भी सुना सकती है. जज डीसी शुक्ला की कोर्ट ने अतीक को 28 मार्च को सुबह 11 बजे पेश करने का आदेश दिया था, जिसके बाद यूपी पुलिस उसे अहमदाबाद की साबरमती सेंट्रल जेल से लेकर सोमवार शाम प्रयागराज पहुंची. अतीक को पुलिस ने नैनी सेंट्रल जेल में रखा है. अतीक के अलावा उसके भाई अशरफ समेत अन्य आरोपियों की भी कोर्ट में पेशी होगी. पुलिस की चार्जशीट में 11 आरोपियों का जिक्र है.
बता दें कि 25 जनवरी 2005 को बसपा विधायक राजू पाल की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. इस केस में अतीक अहमद, उसका भाई अशरफ समेत 5 आरोपी नामजद थे. जबकि चार अज्ञात को आरोपी बनाया था. इस केस में राजू पाल के रिश्तेदार उमेश पाल मुख्य गवाह था. उमेश का 28 फरवरी 2006 में अतीक अहमद ने अपहरण करवा लिया था. उसके साथ मारपीट और जान से मारने की धमकी दी गई थी. उमेश ने आरोप लगाया कि जब उसने अतीक अहमद के दबाव में पीछे हटने और झुकने से इनकार कर दिया तो 28 फरवरी 2006 को बंदूक की दम पर उसका अपहरण कर लिया गया. एक साल बाद उमेश की शिकायत पर पुलिस ने 5 जुलाई 2007 को अतीक, उसके भाई अशरफ और चार अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की थी. प्रयागराज की एमपी-एमएलए कोर्ट ने 17 मार्च को सुनवाई पूरी करने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था. जज डीसी शुक्ला ने 23 मार्च को अतीक को पेश करने के लिए आदेश जारी किया था.
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तब उमेश ने FIR में क्या कहा था
उमेश उस समय जिला पंचायत सदस्य थे और अतीक अहमद सांसद थे. उमेश ने शिकायत में अतीक अहमद, उसका भाई अशरफ अहमद, दिनेश पासी, अंसार, सौकत हनीफ को नामजद किया था. इसके साथ चार अन्य अज्ञात पर आरोप लगाए थे. उमेश ने बताया था कि 25 जनवरी 2005 को बसपा विधायक राजू पाल की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. इसमें अतीक अहमद, उसका भाई अशरफ समेत अन्य आरोपी हैं और वो खुद इस केस का मुख्य गवाह है. शिकायती पत्र में आगे कहा- कोर्ट में गवाही देने पर मुझे और मेरे परिवार को जान से मारने की धमकी दी जा रही है. 28 फरवरी 2006 को अतीक अहमद की लैंड क्रूजर कार समेत एक अन्य वाहन ने मेरा रास्ता रोक लिया और घेरा लिया. उस कार से दिनेश पासी, अंसार बाबा और अन्य शख्स उतरा. उन्होंने मुझ पर पिस्तौल तान दी और कार में खींच लिया. इस कार के अंदर अतीक अहमद और तीन अन्य लोग राइफल लेकर बैठे थे. इन लोगों ने मारपीट की और चकिया स्थित अपने दफ्तर लेकर पहुंचे. वहां एक शख्स मेरी बाइक लेकर आया. मुझे एक कमरे में बंद कर दिया गया और मारपीट की गई. करंट के झटके लगाए.
‘बयान बदलो, वरना परिवार समेत मार देंगे’
आरोपियों का कहना था कि राजू पाल हत्याकांड में बयान बदल लो, वरना परिवार समेत जान से मारने की धमकी दी. अतीक ने अपने वकील खान हनीफ से लेकर पर्चा लेकर मुझे दिया और कहा कि इसको पढ़कर रट लो. कल अदालत में यही बयान देना है. वरना तुम्हारी बोटी-बोटी काटकर कुत्तों को खिला दूंगा. सांसद ने उसी रात अपने गुर्गों को मेरे घर भेजा और धमकाया कि तुम लोग पुलिस को टेलीफोन ना करना, वरना उमेश की हत्या कर दी जाएगी. मुझे रातभर कमरे में बंद करके प्रताड़ित किया गया. सुबह अतीक और उसके साथी मुझे गाड़ी में बैठाकर ले गए. आरोपियों ने कहा कि कल रात जो पर्चा में लिखकर दिया था, उसे कोर्ट में जाकर पढ़ देना. नहीं तो घर लौटकर नहीं जा पाओगे. उस समय पीड़ित डर गया और परिवार की सलामती के लिए वही कहा, जो अतीक ने पर्चे में लिखकर दिया था.
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‘अतीक ने मजबूरी का फायदा उठाया…’
उमेश ने शिकायती पत्र में आगे लिखा- इससे पहले मैंने हाई कोर्ट में अपनी सुरक्षा के लिए एक रिट दायर की थी. सुरक्षा समिति ने भी मेरी जान को खतरा बताया. लेकिन मुझे 100 प्रतिशत भुगतान पर गार्ड देने की बात कही गई. मेरी आर्थिक स्थिति ऐसी नहीं है कि मैं पैसों का भुगतान कर सकूं. मेरी मजबूरी का सांसद अतीक अहमद ने फायदा उठाया और मुझे अदालत में झूठा बयान देने के लिए मजबूर किया. मुझे यह भी पता चला कि अतीक ने अन्य लोगों से भी अदालत में झूठे बयान करवाए हैं. प्रार्थना है कि मेरे साथ हुई घटना की रिपोर्ट दर्ज कर अदालत में दिए गए बयान को असत्य समझा जाए. मेरी और मेरे परिवार की जान माल की हिफाजत की जाए.