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पिछले सप्ताह तुर्की और सीरिया में आए भूकंप ने भयंकर तबाही मचाई है. इस भीषण तबाही के बाद दुनिया भर के देश तुर्की और सीरिया को राहत समाग्री भेजे हैं. पाकिस्तान ने भी तुर्की के साथ हमदर्दी दिखाने के लिए प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की तुर्की दौरे की घोषणा कर दी थी. लेकिन तुर्की ने पाकिस्तानी पीएम की मेजबानी करने से इनकार कर दिया था. इस पूर प्रकरण पर पाकिस्तान के पूर्व डिप्लोमेट ने प्रतिक्रिया दी है

तुर्की और सीरिया में आए महाविनाशकारी भूकंप की वजह से अब तक 33000 हजार से ज्यादा लोग जान गंवा चुके हैं. दुनियाभर के देश एकजुटता दिखाते हुए इस संकट की स्थिति में तुर्की और सीरिया की मदद करने में जुटे हैं.

तुर्की पाकिस्तान का अच्छा दोस्त माना जाता है. ऐसे में पाकिस्तान ने भी तुर्की के साथ हमदर्दी दिखाने के लिहाज से प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के तुर्की दौरे की घोषणा कर दी थी. लेकिन रिपोर्टस के मुताबिक, भयंकर भूकंप से तबाह तुर्की ने पाकिस्तानी पीएम की मेजबानी करने से इनकार कर दिया था. इसके बाद देश-विदेश में पाकिस्तान की कूटनीति और प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की जमकर आलोचना हुई थी.

वहीं, अब पाकिस्तान के पूर्व डिप्लोमेट अब्दुल बासित ने शहबाज शरीफ के इस कदम पर टिप्पणी करते हुए कहा है कि पाकिस्तान को ऐसे कदम नहीं उठाना चाहिए कि मुल्क के लिए शर्मिंदगी का विषय बन जाए.

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तुर्की जाने के लिए यह समय सही नहीं: अब्दुल बासित 

अब्दुल बासित ने कहा, “पाकिस्तानी भी हुकूमत के इस कदम पर मजाक उड़ा रहे हैं. पहले तो आपने तुर्की की ओर से सहमति के बिना यात्रा का अनाउंस कर दिया. सरकार को ऐसा कोई कदम नहीं उठाना चाहिए कि पाकिस्तान के लिए शर्मिंदगी का विषय बन जाए.”

उन्होंने आगे कहा, “मैं समझता हूं कि इस मौके पर वजीर-ए-आजम को तुर्की जाने की कोई जरूरत नहीं थी. ऐसा नहीं है कि पाकिस्तान के साथ ऐसा पहली बार हुआ हो. 1999 में भी पाकिस्तन के साथ ऐसी घटना घट चुकी है. उस वक्त भी तुर्की में भीषण आपदा आई हुई थी.

उस वक्त भी तत्कालीन प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने वहां जाने की कोशिश की थी. बाद में राजदूत और विदेश मंत्रालय ने उनसे अनुरोध किया था कि वो अभी नहीं आए. उसके बाद शहबाज शरीफ करीब एक हफ्ते बाद तुर्की का दौरा कर पाए थे.”

तुर्की के अपमान पर कही ये बात 

तुर्की की ओर से शहबाज शरीफ की अपमान वाली बात पर पाकिस्तान के पूर्व डिप्लोमेट अब्दुल बासित ने कहा, “ऐसा नहीं है कि उन्होंने अपमान किया. लेकिन तुर्की इस वक्त और क्या ही कहता.

पाक पीएमओ से अनाउंस होने के बाद तुर्की ने कहा कि यह समय मुनासिब नहीं है. बाद में तुर्की दूतावास से भी संपर्क किया गया. उन्होंने भी अपमान वाली कोई बात नहीं कही. लेकिन हम सब जानते हैं कि वजीर-ए-आजम के वहां जाने से तुर्की इस वक्त कैसा फील करेगा.”

टर्किश सेना का ध्यान भटकता: अब्दुल बासित

पूर्व डिप्लोमेट अब्दुल बासित ने कहा, “तुर्की भले ही हमारा दोस्त मुल्क है और इस दौरे की सराहना भी करता. लेकिन हर एक चीज का एक समय होता है. यह समय नहीं है कि हम वहां प्रोटोकॉल और सुरक्षा की जिम्मेवारी से तुर्की सेना का ध्यान भटकाएं. ऊपर से हमारा डेलीगेशन भी भारी-भरकम जाता है.

यह मौका नहीं है कि जब हुकूमत की पूरी मशीनरी इस भयानक आपदा से निपटने में लगी हुई हो, वैसे में बाहर से कोई प्रधानमंत्री आ जाए और पूरा मशीनरी उसकी सुरक्षा प्रोटोकॉल में लग जाए. हमारे यहां भी जब सैलाब आया था तो कोई बाहर से उच्च स्तर का लीडर नहीं आया था.”

उन्होंने आगे कहा कि हमें जल्दबाजी में ऐसा कोई काम नहीं करना चाहिए. मैं यही उम्मीद कर सकता हूं कि आगे से इन मामलों में सावधानी बरतनी चाहिए और इस किस्म के सोसे नहीं छोड़ने चाहिए, जो बेवक्त के सोसे हो.

पाकिस्तानी बाढ़ पीड़ितों पर भी ध्यान देना जरूरी

अब्दुल बासित ने आगे कहा, “तुर्की और सीरिया में भूकंप ने पूरी दुनिया को अपनी ओर खींचा है. ऐसे में देखना होगा कि दुनिया पाकिस्तान में आई बाढ़ में मदद करती है या नहीं. सभी चीजें बिखराव में हैं, सबको कंस्ट्रक्ट करना भी आसान नहीं होता है. हम भी अभी तुर्की की मदद करने में लग गए हैं जो हमारा फर्ज भी है. लेकिन इसका प्रभाव हमारे बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों पर भी पड़ेगा. हमारी पहली जिम्मेवारी तो हमारे अपने लोग हैं जो बाढ़ से तबाह हो गए हैं. ऐसे में सरकार से उम्मीद करता हूं कि सरकार इन बाढ़ पीड़ितों पर भी ध्यान देगी.”

तुर्की और सीरिया में भूकंप से भीषण तबाही

तुर्की और सीरिया में भूकंप से मरने वालों की संख्या बढ़ती जा रही है. रिपोर्ट्स के मुताबिक, भूकंप से जान गंवाने वालों की संख्या बढ़कर 33,000 हो गई है. सिर्फ तुर्की में भूकंप की वजह से 29 हजार से ज्यादा लोगों की जान गई हैं.

विनाशकारी भूकंप के बाद तुर्की में राहत और बचाव का कार्य युद्धस्तर पर जारी है. भारत भी ‘ऑपरेशन दोस्त’ के तहत मदद पहुंचा रहा है.

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