देहरादून। उत्तराखंड के आम उपभोक्ताओं के लिए एक बड़ी खबर सामने आई है। राज्य में बिजली की दरों (Electricity Tariffs) में वृद्धि के स्पष्ट संकेत मिल गए हैं। उत्तराखंड विद्युत नियामक आयोग (UERC) ने राज्य की बिजली कंपनियों को दरों में 16.23% तक की वृद्धि को अपनी सैद्धांतिक मंज़ूरी दे दी है। इस फैसले से राज्य के लाखों बिजली उपभोक्ताओं की जेब पर अतिरिक्त आर्थिक बोझ पड़ना तय है।
क्यों बढ़ रही हैं दरें?
राज्य की मुख्य बिजली वितरण कंपनी, उत्तराखंड पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड (UPCL) ने नियामक आयोग के समक्ष वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए 16.23% की दर वृद्धि का प्रस्ताव रखा था। यूपीसीएल ने अपनी बढ़ती परिचालन लागत (Operating Costs), बिजली खरीद की दरों में वृद्धि और घाटे को कम करने का हवाला देते हुए यह बढ़ोतरी माँगी थी।
- मूल कारण: कंपनी का घाटा बढ़ना और बिजली उत्पादन तथा खरीद की लागत में लगातार वृद्धि होना।
अब आगे क्या होगा?
हालांकि, आयोग ने अभी केवल सैद्धांतिक मंज़ूरी दी है, जिसका मतलब है कि दर वृद्धि को अंतिम रूप देने से पहले कुछ प्रक्रियाएं पूरी की जाएंगी। आयोग अब इस प्रस्ताव पर सार्वजनिक सुनवाई (Public Hearing) का आयोजन करेगा, जिसमें आम उपभोक्ता, औद्योगिक संगठन और अन्य हितधारक (Stakeholders) अपने सुझाव और आपत्तियां दर्ज करा सकेंगे।
इन सभी आपत्तियों और सुझावों पर विचार करने के बाद ही, उत्तराखंड विद्युत नियामक आयोग (UERC) अंतिम टैरिफ आदेश जारी करेगा।
आम उपभोक्ता पर सीधा असर
विशेषज्ञों का मानना है कि दरें बढ़ने की स्थिति में, घरेलू बिजली उपभोक्ताओं के लिए प्रति यूनिट बिजली की लागत में सीधे तौर पर इज़ाफ़ा होगा। इससे उनके मासिक बिजली बिल में उल्लेखनीय वृद्धि होगी। वहीं, कृषि और औद्योगिक क्षेत्र के उपभोक्ताओं पर भी इसका असर पड़ेगा, जिससे राज्य में उत्पादन लागत और महंगाई बढ़ सकती है।
राज्य सरकार और नियामक आयोग से अपेक्षा की जा रही है कि वे आम जनता को राहत देने के लिए कोई मध्य मार्ग निकालेंगे, लेकिन वर्तमान स्थिति में बिजली महंगी होने के संकेत पूरी तरह स्पष्ट हैं।


