नैनीताल: वायरल वीडियो के बाद प्रशासन की जांच में बड़ा खुलासा
नैनीताल/भवाली: नैनीताल-भवाली रोड के तिराहे पर जंगल के पास बनी एक धार्मिक संरचना को लेकर बुधवार को वायरल हुए वीडियो के बाद प्रशासन की जांच में एक बड़ा खुलासा हुआ है। जिस स्थल पर ‘अवैध कब्ज़ा’ कर मस्जिद बनाने के दावे किए जा रहे थे, प्रशासन की संयुक्त जांच टीम ने पाया कि वह संरचना आज़ादी से भी पुरानी है।
क्या है फॉरेस्ट रिकॉर्ड?
बुधवार रात वन और राजस्व विभाग की संयुक्त टीम ने स्थल की जांच की। वन विभाग के रिकॉर्ड्स के अनुसार, भवाली सेनिटोरियम के पास स्थित यह जामा मस्जिद है, जिसे वन विभाग द्वारा 1924 में 5016 वर्गफुट (लगभग दो नाली पांच मुट्ठी) जमीन लीज पर दी गई थी।
रिकॉर्ड्स में बड़ा विरोधाभास:
जांच में सबसे बड़ा विरोधाभास ज़मीन के क्षेत्रफल को लेकर सामने आया है:
- वन विभाग का लीज रिकॉर्ड: \approx 2 नाली (5016 वर्गफुट, 1924 का रिकॉर्ड)।
- नगर पालिका का रिकॉर्ड: \approx 44 नाली (1945 का रिकॉर्ड)।
- मौजूदा नपाई: \approx 45 नाली से अधिक (बुधवार की नपाई)।
43 नाली अतिरिक्त ज़मीन पर सवाल:
बुधवार को की गई नपाई में मस्जिद परिसर की ज़मीन लीज पर दी गई ज़मीन से करीब 43 नाली अधिक पाई गई है। ऐसे में यह बड़ा सवाल खड़ा हो गया है कि वन विभाग द्वारा केवल दो नाली जमीन लीज पर दिए जाने के बावजूद नगर पालिका के रिकॉर्ड्स में 44 नाली जमीन कैसे दर्ज हुई और मौजूदा समय में यह परिसर 45 नाली से अधिक कैसे हो गया?
एडीएम नैनीताल ने दिए जांच के आदेश:
फिलहाल, प्रशासन इस मामले को कागजों में गोलमोल या अवैध कब्जे के तौर पर देख रहा है। एडीएम नैनीताल विवेक राय के मुताबिक, इस विषय पर अभी और जांच पड़ताल की जा रही है। उन्होंने नगर पालिका और आस-पास के गांवों के पुराने रिकॉर्ड्स खंगालने के निर्देश दिए हैं ताकि यह पता लगाया जा सके कि यह संरचना कब-कब बनी और इसके कैंपस का विस्तार किस तरह से हुआ।
इस मामले में प्रशासन की विस्तृत रिपोर्ट का इंतज़ार है।


