रामनगर (उत्तराखंड)।
🚨 अग्रसर भारत एक्सक्लूसिव: रामनगर कोतवाली में ‘ट्रांसफर ड्रामा’ जारी!
उत्तराखंड के रामनगर की कोतवाली एक बार फिर चर्चाओं के केंद्र में आ गई है, लेकिन इस बार वजह ‘ट्रांसफर ड्रामा’ है। प्रभारी निरीक्षक (कोतवाल) सुशील कुमार के तबादले को लेकर हुई ‘उठापटक’ ने पुलिस महकमे के साथ ही पूरे क्षेत्र में अटकलों का दौर तेज कर दिया है। पहले दो माह से भी कम समय में उनका तबादला किया गया, और फिर अचानक रातों-रात उस पर रोक लगा दी गई।
दो माह में ट्रांसफर: आदेश जारी, फिर अगले दिन ही स्टे
बुधवार देर रात को यह आदेश जारी हुआ कि प्रभारी निरीक्षक सुशील कुमार का ट्रांसफर बनभुलपुरा वापस कर दिया गया है। इससे स्पष्ट था कि रामनगर कोतवाली में नए कोतवाल की तैनाती होने वाली है।
लेकिन, यह आदेश अगले ही दिन शुक्रवार सुबह चर्चा का विषय बन गया, जब अचानक उनके ट्रांसफर पर रोक लगा दी गई (स्टे)।
> सूत्र बताते हैं: दो माह से कम समय में हुए इस ट्रांसफर और फिर उसके त्वरित स्थगन ने पुलिस बल के भीतर भी कई सवाल खड़े कर दिए हैं। सवाल यह है कि यदि स्थानांतरण आवश्यक नहीं था, तो आदेश क्यों जारी हुआ? और यदि आवश्यक था, तो रातों-रात इसे क्यों रोका गया?
🧐 मनमाफ़िक पोस्टिंग का ‘पुराना खेल’
रामनगर कोतवाली में तैनाती को लेकर ‘जोर आज़माइश’ की खबरें पुरानी हैं।
- चौकी पोस्टिंग: रामनगर क्षेत्र की कुछ चुनिंदा चौकियों को ‘मनमाफ़िक’ माना जाता है, जिनके लिए अक्सर अधिकारियों और सिपाहियों के बीच खींचतान चलती रहती है।
- वर्तमान घटनाक्रम: कोतवाल के ट्रांसफर आदेश पर तुरंत स्टे लगने की घटना ने स्थानीय लोगों की इस धारणा को और मज़बूत किया है कि रामनगर कोतवाली में तैनाती के पीछे कई ‘अप्रत्याशित कारण’ और प्रभावशाली ‘शक्तियां’ काम करती हैं।
स्थानीय गलियारों में अब यह चर्चा गर्म है कि इस ‘रातों-रात’ हुए स्टे के पीछे कौन सा बड़ा दबाव या कौन सी राजनीतिक/विभागीय ‘लॉबिंग’ सक्रिय थी।


