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लोक संस्कृति के उभरते सितारे जिन्होंने अपनी गायकी के जादू से कुछ ही समय में ही प्रदेश में एक अलग मुकाम हासिल किया था आज वह हमारे बीच नहीं रहे

उत्तराखंड के प्रसिद्ध लोकगायक प्रकाश फुलारा का निधन, द्वाराहाट गांव आते समय रामनगर ढिकुली में बह गई थी कार, शोक में डूबा उत्तराखंड

रामनगर: रामनगर के ढिकुली में उफान पर आए नाले में रात दो बजे एक कार बह गई, दिल्ली से रानीखेत जा रहे आठ लोग कार में सवार थे। ढिकुली के ग्रामीणों ने सभी को नाले से निकालकर अस्पताल भेजा।
रामनगर में नाले में बही कार में घायल उत्तराखंड के लोकगायक प्रकाश फुलारा की सुशीला तिवारी अस्पताल हल्द्वानी में मौत हो गई है। लोकगायक बिशन हरियाला ने बताया कि दिल्ली से पूजा (बैसी) में शामिल होने के लिए सभी लोग गांव गनोली बाबन द्वाराहाट जा रहे थे। लोकगायक फुलारा की मौत से कुमाऊ में शोक की लहर है।

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जल्द ही बाजार में आने वाली है उनकी चौथी अलबम हिट रितु मासी बाजारा

रामनगर: मधुर और दिलकश आवाज के धनी प्रकाश फुलारा एक पहाड़ी गायक और गीतकार थे। उन्हें कुमाऊंनी, गढ़वाली, जौनसारी, हिमाचली, बिहारी, भोजपुरी और हरियाणवी रागनी के गायन में महारत हासिल थी। प्रकाश फुलारा ग्राम बिठोली, द्राराहाट, जिला अल्मोड़ा के मूल निवासी हैं। पिता कृष्णानंद फुलारा के घर जन्मे प्रकाश फुलारा गरीब परिवार से ताल्लुक रखते हैं।
उचा डानो मा सैम ज्यू को वासा’ प्रकाश फुलारा की पहली एल्बम है। कुमाऊंनी भजन की उनकी यह पहली एल्बम लोगों को खूब पसंद आई।
तारा तेरी याद मा’ प्रकाश फुलारा की दूसरी एल्बम है। इस गाने में उन्होंने कॉलेज के दिनों में लड़के-लड़कियों की मौजमस्ती को प्राकृतिक सौंदर्य, सुराईखेत बाज़ार, चांदी के बटन, भोली अनवार, भलो हसना, भलो बुलाना जैसे कुमाऊंनी शब्दों के माध्यम से बड़ी ही सुंदरता से पिरोया है। इस एल्बम के गाने ने युवाओं का मन मोह लिया। ‘दिल्ली की छोरी बड़े कमाल की’ प्रकाश फुलारा की तीसरी एल्बम है। रोमांटिक गाने वाली इस एल्बम के गाने को गढ़वाली, कुमाऊंनी औऱ हिमाचली जौनसारी भाषा में पिरोया गया है।प्रकाश फुलारा की चौथी एल्बम हिट रितु मासी बाजार’ जल्द ही रिलीज होने वाली है। प्रकाश फुलारा का बचपन गरीबी में बीता । बचपन से ही सामाजिक कार्यों में अपना योगदान दिया , रामलीला मंच में अपने नित्य ओर एक्टिंग के द्वारा लोगो का मन मोहा। सुराईखेत इंटर कालेज से पढ़ाई की ओर स्कूल राज्य प्रोग्राम में भी अपना योगदान दिया। उसके बाद राजनीति में पदार्पण भी आए और दो बार सरपंच रहे।

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