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उत्तरकाशी। केंद्र सरकार की अनुमति के बाद सिलक्यारा में सुरंग का निर्माण फिर शुरू होने से हर तरफ खुशी की लहर है। इस उम्मीद में स्थानीय ग्रामीणों के चेहरे की चमक भी लौट आई है कि सुरंग के निर्माण कार्य की तरह उनका रोजगार और व्यापार भी जल्द पटरी पर लौटेगा।

स्थानीय ग्रामीण सिलक्यारा में श्रमिकों और इंजीनियरों की चहलकदमी बढ़ने से बेहद खुश हैं।

सिलक्यारा में यमुनोत्री राजमार्ग पर निर्माणाधीन चारधाम ऑल वेदर रोड परियोजना की सुरंग आसपास के ग्रामीणों की रोजी-रोटी का जरिया भी है। कुछ ग्रामीण सुरंग का निर्माण कर रही कंपनी में काम करके आजीविका कमाते हैं, जबकि कुछ ने क्षेत्र में होटल-ढाबा और परचून की दुकानें खोल रखी हैं।

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हादसे के बाद से ही पसरा है सन्नाटा

गत वर्ष 12 नवंबर को भूस्खलन होने से जब 41 श्रमिक सुरंग के अंदर फंसे तो इन ग्रामीणों ने राहत व बचाव में लगी टीमों की खूब मदद की।साथ ही श्रमिकों के सकुशल बाहर आने के लिए प्रार्थना और पूजा-अर्चना भी की। हादसे के बाद दो माह तक सुरंग का निर्माण बंद रहने से सिलक्यारा में सन्नाटा पसरा रहा। इससे कंपनी में कार्यरत ग्रामीणों को जहां घर बैठना पड़ा, वहीं दुकानों की आय नाममात्र की रह गई।

काम शुरू होने से ग्रामीणों में खुशी

अब सुरंग का निर्माण फिर शुरू होने से ग्रामीणों में खुशी की लहर है। गिनोटी गांव निवासी किरण जयाड़ा बताती हैं कि सुरंग में हादसा हुआ तो वह बहुत ज्यादा घबरा गई थीं। उन्होंने हर दिन बौखनाग देवता से सभी श्रमिकों के सकुशल बाहर आने की प्रार्थना की। किरण की सिलक्यारा में परचून की दुकान है। अधिकांश श्रमिक उन्हीं की दुकान से सामान लेकर जाते थे। इसलिए वह श्रमिकों को भली-भांति जानती थीं।

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माणिक काम पर लौटने पर होने वाले पहले श्रमिक

हादसे से एक दिन पहले 11 नवंबर की शाम को बंगाल निवासी माणिक ने उन्हें दीपावली की मिठाई भी दी थी। सुरंग में जो 41 श्रमिक फंसे थे, उनमें माणिक भी शामिल थे। अब माणिक फिर से काम पर लौट रहे हैं। यह जानकारी खुद माणिक ने किरण को फोन पर दी।

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दो महीने से बंद है काम

सिलक्यारा में ही सुरंग के पास दैनिक उपयोग की वस्तुओं की दुकान संचालित करने वाले सतपाल जयाड़ा बताते हैं कि दो माह तक काम बंद रहा। इससे काफी नुकसान हुआ, लेकिन इसका दुख नहीं। खुशी इस बात की है कि फिर से काम शुरू हो गया है।

बौखनाग देवता के दर पर भी पहुंचे लोग

सुरंग से निकलने के बाद कुछ श्रमिक जब बौखनाग देवता की पूजा के लिए आए तो सतपाल से भी मिले। कुछ ने उनसे काम पर लौटने की इच्छा जताई, जबकि कुछ ने अपना व्यवसाय शुरू करने की