खबर शेयर करें -

सरकार जहां एक ओर युवाओं को रोजगार से जोड़ने के लिए रोजगारपरक शिक्षा पर जोर दे रही है, वहीं दूसरी ओर आईटीआई संस्थान संसाधनों की कमी से बंद होने की कगार पर हैं. वहीं सरकार द्वारा कई आईटीआई कॉलेजों का सामान शिफ्ट करने की तैयारी भी चल रही है.

 प्रदेश सरकार लगातार औद्योगिक प्रशिक्षण संस्था यानी आईटीआई कॉलेज खोल कर युवाओं को रोजगारपरक शिक्षा से जोड़ने की कोशिश कर रही है. लेकिन सिस्टम की बेरुखी और संसाधनों के अभाव के चलते प्रदेश में संचालित 52 आईटीआई कॉलेज में ताले लटक चुके हैं.ऐसे में अब बंद आईटीआई का सामान दूसरे कॉलेजों में शिफ्ट किए जाने लगा है.

यही नहीं अब प्रदेश के युवाओं का आईटीआई से मोहभंग हो रहा है जिसका नतीजा है कि प्रदेश में संचालित 153 आईटीआई कॉलेज में 52 औद्योगिक प्रशिक्षण संस्था (आईटीआई ) पर ताले लटक चुके हैं.विडंबना यह है कि अब केवल केंद्र से मान्यता प्राप्त मात्र 91 कॉलेज ही संचालित हो रहे हैं. जबकि राज्य सरकार के संचालित 62 आईटीआई कॉलेज में 48 बंद हो चुके हैं. ऐसे में अब बंद आईटीआई का सामान दूसरे कॉलेजों में शिफ्ट किए जाने लगा है.

यह भी पढ़ें -  मरचूला बस हादसे में घायल को अस्पताल पहुंचाने वाले एंबुलेंस चालक द्वारा पैसे की मांग करने पर लाइसेंस सस्पेंड

निदेशक कौशल विकास संजय कुमार खेतवाल ने बताया कि प्रदेश में दो माध्यमों में आईटीआई संचालित होते हैं, इसमें केंद्र से मान्यता प्राप्त एनसीवीटी और राज्य सरकार द्वारा एससीवीटी मोड में कॉलेज संचालित होते हैं. उत्तराखंड में कुल 153 आईटीआई है जिनमें 91को केंद्र की मान्यता है. 62 को राज्य सरकार अपने स्तर पर चलाती है. लेकिन भवन, वर्कशॉप, उपकरण, फैकल्टी समेत अन्य सुविधाएं नहीं होने की वजह से ये आईटीआई बंदी की कगार पर पहुंच गए. संसाधन और उचित ट्रेड न होने से इनमें विद्यार्थियों की संख्या घटती गई.

यह भी पढ़ें -  हल्द्वानी: किच्छा के चाचा लाया नशे की खेप, धरा गया इंजेक्शन तस्कर

ऐसे में राज्य सरकार की मान्यता वाले 48 संस्थान जबकि केंद्र सरकार से मान्यता चार संचालन आईटीआई के कुछ सालों में बंद हो गए. प्रदेश में आईटीआई कॉलेज में छात्र संख्या लगातार गिर रही है. सबसे बुरा हाल पहाड़ के दूरस्थ क्षेत्रों का है, जहां आईटीआई कॉलेज के पास न भवन, न उपकरण और ना ही शिक्षक हैं. ऐसे में छात्रों का आईटीआई से भी मोहभंग हो रहा है. बताया जा रहा है कि राजनीतिक दबाव के चलते आईटीआई कॉलेज की संख्या जरूरत से ज्यादा हो गई है.

यह भी पढ़ें -  हल्द्वानी: परिवार में मारपीट, तमंचा लेकर दौड़ा युवक

यही नहीं आईटीआई कॉलेज में शिक्षकों की भारी कमी है. जिसका नतीजा है कि बहुत से ट्रेड के फैकल्टी नहीं हैं. प्रदेश के स्वीकृत आईटीआई कॉलेज में 1386 शिक्षक सहित अन्य पदों की स्वीकृति प्राप्त हैं. लेकिन उसके सापेक्ष में मात्र 465 पद स्वीकृत हैं, जबकि 921 पद रिक्त पड़े हैं. यही नहीं विभाग के माध्यम से 300 पदों पर शिक्षकों की नियुक्ति की गई है. जिनके माध्यम से छात्रों को आईटीआई के माध्यम से कौशल बनाने का काम किया जा रहा है.