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अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान एम्स में 43वां राष्ट्रीय अधिवेशन नेशनल मेडिकोज संगठन 2024 की दो दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया।

कार्यशाला में भारत के विभिन्न राज्यों से आए 1800 चिकित्सकों और मेडिकल के छात्रों ने प्रतिभाग किया।

शनिवार को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, स्वास्थ्य मंत्री डाॅ. धन सिंह रावत, वित्त मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल, परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानंद सरस्वती, राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सह सरकार्यवाह डाॅ. कृष्ण गोपाल, एम्स प्रभारी निदेशक प्रो. मीनू सिंह ने राष्ट्रीय अधिवेशन का उद्घाटन किया। अधिवेशन में देशभर के 250 से अधिक मेडिकल काॅलेजों के चिकित्सा विशेषज्ञ और 1800 से अधिक छात्रों ने डिजिटल हेल्थ, इंटीग्रेटेड हेल्थ सहित स्वास्थ्य क्षेत्र से संबंधित विभिन्न विषयों पर विचार मंथन किया। अधिवेशन में चिकित्सा क्षेत्र के अलावा अनुसंधान, योग और आयुर्वेद आदि क्षेत्रों के विशेषज्ञों ने अपने अनुभवों और विचारों को साझा किया। विभिन्न विषयों के विशेषज्ञ भारतीय ज्ञान, दर्शन और अनुसंधान को समाजोपयोगी बनाने पर मंथन किया।

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मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि उत्तराखंड हिमालय, गंगा और आयुर्वेद का अद्भुत संयोग है। जब ये सब मिल जाते हैं तो एक नई पैथी का जन्म होता है। स्वामी चिदानंद सरस्वती ने कहा कि उत्तराखंड ऐसी धरती है जो शोर से दूर होकर शांति की ओर लौटने का संदेश देती है। इनर हीलिंग और भीतर की शांति प्रदान करती है। योग और ध्यान में स्वस्थ जीवन के सूत्र समाहित हैं। योग जीवन में रामबाण और संजीवनी बूटी की तरह काम करता है। योग के माध्यम से हम अपने प्लानेट से भी जुड़ सकते हैं। योगमय जीवन प्रेम करना सिखाता हैं।

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राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सह सरकार्यवाह डाॅ. कृष्ण गोपाल ने कहा चिकित्सा एक अद्भुत सेवा है। भारतीय संस्कृति में भगवान धनवंतरी से लेकर वर्तमान पीढ़ी तक चिकित्सकों को ईश्वर का दर्जा दिया गया है। इसलिए इसका निर्वहन कर्तव्य के रूप में सेवा के होना चाहिए। राष्ट्रीय अधिवेशन के आयोजक सचिव और एम्स ऋषिकेश के फार्मोकाॅलोजी विभाग के डाॅ. विनोद कुमार सिंह ने अधिवेशन में चिकित्सा पद्धति, सुविधाओं के साथ स्वास्थ्य जीवनशैली पर भी मंथन किया।

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