हाईकोर्ट ने राज्य के 13 जिलों में बेहतर चिकित्सा सुविधाएं सुनिश्चित करने के लिए मेडिकल कॉलेज स्थापित करने की मांग करती जनहित याचिका को खारिज कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि अच्छी स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया कराने के लिए यह जरूरी नहीं है कि किसी जिले में मेडिकल कॉलेज हो। इसके बजाय सरकार को प्रत्येक जिले में स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत करना चाहिए
हाईकोर्ट ने राज्य के 13 जिलों में बेहतर चिकित्सा सुविधाएं सुनिश्चित करने के लिए मेडिकल कॉलेज स्थापित करने की मांग करती जनहित याचिका को खारिज कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि अच्छी स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया कराने के लिए यह जरूरी नहीं है कि किसी जिले में मेडिकल कॉलेज हो। इसके बजाय सरकार को प्रत्येक जिले में स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत करना चाहिए।
मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति विपिन सांघी व न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ में सुरभि शाह की जनहित याचिका पर सुनवाई हुई, जिसमें कहा गया है कि सरकारी मेडिकल कॉलेज केवल देहरादून, हरिद्वार, नैनीताल, अल्मोड़ा और पौड़ी गढ़वाल समेत पांच जिलों में स्थापित हैं। देहरादून में तीन निजी मेडिकल कॉलेज स्थापित करने की भी अनुमति दी गई है।
हमारा अनुभव बताता है कि योग्य डॉक्टर दूरदराज के इलाकों में जाने को भी तैयार नहीं हैं। ऐसी स्थिति में राज्य या निजी संस्थानों से दूरदराज के क्षेत्रों में मेडिकल कॉलेज स्थापित करने की अपेक्षा करना बहुत अधिक होगा।
-हाईकोर्ट।
उत्तराखंड की भौगोलिक परिस्थितियां अलग
राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग के नियमों के तहत मेडिकल कॉलेज स्थापित करने की अनुमति इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए दी जानी चाहिए कि वह एक-दूसरे से 15 किलोमीटर के भीतर नहीं होने चाहिए। अदालत ने इस तर्क को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि उत्तराखंड की भौगोलिक परिस्थितियां अन्य राज्यों की तुलना में बहुत अलग हैं। पहाड़ी क्षेत्र होने के कारण यहां जनसंख्या का असमान वितरण है। राज्य में चिकित्सा कर्मियों की भारी कमी है।