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हरीश रावत और हरक सिंह के तब से बिगड़े संबंध में आज तक सामान्य नहीं हो सके हैं। तब बागी हुए पूर्व कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत ने स्टिंग ऑपरेशन को आधार बनाकर सीबीआई जांच की मांग की थी। वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव से ठीक पहले हरक सिंह कांग्रेस में वापसी कर चुके हैं। अब वह हरिद्वार से कांग्रेस के टिकट के लिए पुरजोर पैरवी कर रहे हैं।

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कांग्रेस की बगावत को गहरे घावों में बदलने का कारण बने वर्ष 2016 के स्टिंग ऑपरेशन ने अब हरिद्वार लोकसभा क्षेत्र की राजनीति गर्मा दी है। सीबीआई की ओर से भेजे गए चार में से तीन नोटिस से जुड़े नेता हरिद्वार चुनाव लड़ने या लड़ाने की भूमिका में माने जा रहे हैं। कांग्रेस में तो पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत और पूर्व कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत के बीच टिकट की जंग को इस घटनाक्रम ने और रोचक बना दिया है। स्टिंग ऑपरेशन के सूत्रधार और अब विधायक उमेश कुमार इस चुनावी जंग के तीसरा कोण के रूप में उभरे हैं।

नोटिस और उसके बाद सीबीआई की जांच का परिणाम चाहे कुछ भी निकले, लेकिन इस मामले ने लोकसभा चुनाव की दस्तक से पहले हरिद्वार की राजनीति को उलझा दिया है। वर्ष 2016 के स्टिंग आपरेशन मामले ने कांग्रेसी खेमे में तो हलचल बढ़ाई ही, साथ में हरिद्वार लोकसभा चुनाव की राजनीति को और चर्चा में ला दिया है। सीबीआई ने स्टिंगकर्ता उमेश कुमार के साथ ही स्टिंग का शिकार बने पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत और वर्ष 2016 में कांग्रेस की बगावत की अहम कड़ी माने जाने वाले पूर्व कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत को वॉयस सैंपल लेने के लिए नोटिस भेजा है।

खास बात यह कि कांग्रेस के ये दोनों बड़े नेता और स्टिंगकर्ता इस समय हरिद्वार की राजनीति में पूरी ताकत से सक्रिय हैं। पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत वर्ष 2009 में इसी सीट से पहले सांसद और फिर तत्कालीन यूपीए सरकार में मंत्री भी बने थे। वर्ष 2019 में पिछला लोकसभा चुनाव नैनीताल संसदीय सीट से लड़ चुके हरीश रावत अब हरिद्वार सीट से चुनाव लड़ना चाहते हैं। वह अपनी पसंद खुलकर सामने रख चुके हैं, साथ में इस समय हरिद्वार की राजनीति को पूरा समय भी दे रहे हैं। वर्ष 2016 में कांग्रेस की तत्कालीन हरीश सरकार में हुई बगावत के बाद सरकार बनाने को लेकर चल रही कसरत को इस स्टिंग ने नए राजनीतिक तूफान का रूप दे दिया था।

हरीश रावत और हरक सिंह के तब से बिगड़े संबंध में आज तक सामान्य नहीं हो सके हैं। तब बागी हुए पूर्व कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत ने स्टिंग ऑपरेशन को आधार बनाकर सीबीआई जांच की मांग की थी। वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव से ठीक पहले हरक सिंह कांग्रेस में वापसी कर चुके हैं। अब वह हरिद्वार से कांग्रेस के टिकट के लिए पुरजोर पैरवी कर रहे हैं। हरक सिंह से मिल रही यह चुनौती हरीश रावत को नागवार गुजरी है। लोकसभा चुनाव में भले ही अभी काफी समय हो, लेकिन नोटिस ने दोनों को न चाहते हुए फिर एकदूसरे के आमने-सामने कर दिया है।

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हरक सिंह रावत ने एक बार फिर पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत को कलयुग का राम और स्वयं को कलयुग का भरत बताकर अपने अब तक के रुख को सही ठहराया है। साथ ही यह दावा भी किया कि उन्होंने स्टिंग में उनका कोई हाथ नहीं था। असहज हुई इन स्थितियों के बीच उनकी कोशिश आने वाले समय में हरिद्वार सीट पर टिकट के उनके दावे को कमजोर करती है या नई ताकत देती है, यह आने वाला समय ही स्पष्ट करेगा। फिलहाल इन दोनों के ही सामने चुनौती के रूप में स्टिंगकर्ता उमेश कुमार हैं।

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उमेश कुमार अब हरिद्वार जिले की खानपुर सीट से निर्दलीय विधायक हैं और उनकी पत्नी हाल ही में बसपा में सम्मिलित हो चुकी हैं। यह माना जा रहा है कि उनकी पत्नी बसपा से लोकसभा चुनाव में टिकट के दावेदार हो सकती हैं। स्टिंग प्रकरण में नोटिस और आगे वॉयस सैंपल लेने की स्थिति से बनने वाले समीकरणों को लेकर इन सभी नेताओं की बेचैनी बढ़ा दी है।

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जिस तरह भगवान राम ने अपने छोटे भाई भरत के लिए गद्दी छोड़ दी थी। उसी तरह हरक सिंह रावत के लिए बड़े भाई हरीश रावत को भी गद्दी छोड़ देनी चाहिए। (हरक सिंह रावत, पूर्व कैबिनेट मंत्री व वरिष्ठ कांग्रेस नेता)।

वर्ष 2016 के घटनाक्रम की जांच जितना अधिक होगी, उतना ही कुहासा दूर होगा। उत्तराखंडियत के जिस सपने को आगे लेकर चला, षड्यंत्रकारियों ने उसके खिलाफ कूट रचना की। रचनाकारों के चेहरे साफ होंगे। (हरीश रावत, पूर्व मुख्यमंत्री व वरिष्ठ कांग्रेस नेता)।

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