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  1. अविश्वास प्रस्ताव पर बुधवार को दूसरे दिन चर्चा हुई. इसमें सुबह राहुल गांधी ने मोदी सरकार को घेरा. वहीं शाम को गृह मंत्री अमित शाह लोकसभा में बोले. उन्होंने मणिपुर पर बात की. इसके अलावा विपक्षी गठबंधन I.N.D.I.A. और राहुल गांधी पर निशाना साधा.

अविश्वास प्रस्ताव पर लोकसभा में बुधवार को जोरदार चर्चा हुई. सुबह पहले सांसद राहुल गांधी ने मोदी सरकार को घेरा, तो शाम को गृह मंत्री अमित शाह ने विपक्षी गठबंधन I.N.D.I.A. पर करारा प्रहार किया. शाह ने अपने संबोधन में ये बात बार-बार कही कि विपक्षी गठबंधन को सरकार में अविश्वास हो सकता है, लेकिन देश की जनता को पीएम मोदी में पूरा विश्वास है.

बुधवार को राहुल गांधी ने मणिपुर की महिलाओं का दर्द बताकर भारत माता की हत्या कर दिए जाने की बात के साथ सरकार को घेरना चाहा तो स्मृति इरानी ने कश्मीर, बंगाल, सिख दंगा, राजस्थान, असम तक महिलाओं के साथ हुए पुराने अत्याचारों की लंबी फाइल खोलकर जवाब दिया.

फिर शाम को अमित शाह सदन में आए. उन्होंने दो घंटे का लंबा भाषण दिया. इसमें 40 मिनट मणिपुर पर बात की गई. इसमें मणिपुर पर उन्होंने बहुत सारे सवालों के जवाब दिए.

अपनी बात की शुरुआत में शाह ने कहा, ‘इन लोगों (कांग्रेस) ने नॉर्थ ईस्ट के लिए कुछ नहीं किया है. गौरव गोगोई कह रहे हैं आग की लपटें, मणिपुर में क्यों हुई. आपके समय में आठों राज्य (नॉर्थ ईस्ट के) हिंसा में घिरे हुए थे. छह हजार लोग मारे गए थे.’

इसके बाद लगातार चालीस मिनट से ज्यादा गृहमंत्री अमित शाह मणिपुर की उसी हिंसा पर जवाब देते रहे, जिसको लेकर संसद के मानसून सत्र का पहला हिस्सा हंगामे में बर्बाद गया है.

सबसे पहले अमित शाह ने इस बात का जवाब दिया कि क्या सरकार मणिपुर पर चर्चा के लिए तैयार नहीं थी? इसपर अमित शाह ने कहा, ‘मैं विपक्ष की इस बात से सहमत हूं कि मणिपुर में हिंसा का तांडव हुआ है. हमें भी दुख है. जो घटनाएं वहां हुई वो शर्मनाक है, लेकिन उसपर राजनीति करना और भी ज्यादा शर्मनाक. ये भ्रम फैलाया गया कि सरकार मणिपुर पर चर्चा नहीं करना चाहती. हम पहले दिन से चर्चा पर तैयार थे, लेकिन विपक्ष चर्चा नहीं हंगामा चाहता था.’

विपक्ष का दूसरा सवाल था कि पीएम मणिपुर पर क्यों नहीं बोले?
इसपर अमित शाह ने कहा कि 1993 में पीवी नरसिम्हा राव पीएम थे. राजकुमार दोरेंद्र सिंह मणिपुर के मुख्यमंत्री थे. नागा-कुकी में नस्लीय हिंसा हुई. तब हिंसा में 750 लोग मारे गए. 200 लोग घायल हुए. 45 हजार लोग शरणार्थी हो गए. करीब डेढ़ साल तक ये हिंसा चलती रही. अब ये (विपक्ष) कहते हैं कि पीएम क्यों नहीं बोले. 1993 में पता है किसने जवाब दिया? राज्यमंत्री राजेश पायलट ने.

शाह ने आगे कहा कि 1993 में ही दूसरी बार संघर्ष हुआ. मैतेई-पंगल हिंसा हुई, जिसमें 100 लोग मारे गए. इसपर राज्यसभा में गृह मंत्री ने जवाब दिया. लोकसभा में कोई चर्चा नहीं हुई.

इसके बाद अमित शाह ने बताया कैसे सरकार के मंत्रियों ने चार मई की हिंसा के बाद मणिपुर पर लगातार अपनी नजर रखी और फैसले लिए.

तीसरा सवाल: आखिर क्यों मणिपुर के मुख्यमंत्री को अब तक नहीं हटाया गया?
अमित शाह बोले कि विपक्ष कहता है कि राज्य में आर्टिकल 356 (राष्ट्रपति शासन) क्यों नहीं लगाया. यह तब लगता है जब हिंसा के वक्त राज्य सरकार सहयोग ना करे. हमने डीजीपी बदला, उन्होंने स्वीकार किया. हमने चीफ सेक्रेटरी बदला, उन्होंने स्वीकार कर लिया. सीएम तब बदलना पड़ता है जब सहयोग ना करे, वहां के सीएम सहयोग कर रहे हैं.

हांलाकि सदन में इस जवाब को सुनकर कांग्रेस की तरफ से अविश्वास प्रस्ताव लाने वाले सांसद गौरव गोगोई संतुष्ट नहीं हुए. अमित शाह का बयान सुनने के बाद सदन के बाहर उन्होंने सवाल उठाया. वह बोले कि लगभग 5 हजार हथियार थानों से लूटे गए हैं. उसके बाद भी गृहमंत्री कहते हैं कि सीएम बीरेन सिंह कॉर्पोरेट कर रहे हैं.

चौथे जवाब में गृहमंत्री अमित शाह ने विपक्ष के इस आरोप का दिया कि 90 से ज्यादा दिन से मणिपुर जल रहा है और सरकार नहीं देख रही.

यूपीए के शासन में वहां नाकाबंदी रहती थी. एक साल में 139 दिन से 30 दिन तक का ब्लॉकेड रहे. वहां पेट्रोल के दाम 1200 रुपये लीटर तक पहुंच गए.

मणिपुर में अब तक 156 लोग मारे गए हैं. इसमें से 107 मई में मारे गए. जून में 30 मारे गए, जुलाई में 15 मारे गए. अगस्त में अब तक 4 मारे गए. इसका मतलब ये है कि हिंसा धीरे-धीरे कम हो रही है. हम हिंसा की आग में तेल डालने का काम ना करें.

पांचवां जवाब गृह मंत्री अमित शाह ने इस आरोप का दिया कि भारत के मणिपुर को सरकार ने दो हिस्सों (मैतेई-कुकी) में बांट दिया है. शाह ने कहा कि नरेंद्र मोदी ने नॉर्थ ईस्ट को जोड़ने का काम किया है. कई विकास के पंडित कहते हैं कि नॉर्थ ईस्ट में एयरपोर्ट पहुंच गया, रेल पहुंच गई, दूरी कम हो गई. इतनी सड़क बन गए, दूरी दिल से कम होती है, मोदी ने दिल से दूरी कम करने का काम किया है.

मोदी ने आगे कहा कि ऐसे भी पीएम हैं, जो 18 साल पीएम रहे हैं, जिस पर विपक्ष को नाज है, वो कभी मणिपुर नॉर्थ ईस्ट नहीं गए. मोदी 9 साल के कार्यकाल में पचास बार से ज्यादा नॉर्थ ईस्ट जा चुके हैं.

गृहमंत्री अमित शाह ने मणिपुर की हिंसा पर जवाब देते हुए एक बार भी किसी अन्य राज्य यानी बंगाल, राजस्थान की बात नहीं की, जिनको उनके नेता भी वक्त-वक्त पर उठाते रहते हैं. शाह ने अपना पूरा जवाब मणिपुर पर फोकस रखा.

शाह ने I.N.D.I.A. गठबंधन पर भी तंज कसा. वह बोले कि विपक्षी गठबंधन ने अपना नाम बदल लिया, जबकि UPA ठीक नाम था. 10 साल सत्ता में भी रह लिए. मैं बताता हूं- 12 लाख करोड़ से ज्यादा के घपले-घोटाले UPA के नाम पर दर्ज थे, कैसे जाते बाजार में. जो कंपनी दिवालिया हो जाती है वो भी नाम बदल लेती है. इन्होंने भी नाम बदल लिया. इनके पास कोई और रास्ता नहीं था. हमें कोई नाम बदलने की जरूरत नहीं है क्योंकि अटल सरकार और अब के 9 साल में कोई ऐसा काम नहीं किया जिससे सिर झुकाना पड़े, NDA गठबंधन सीना तानकर चुनाव में जाएगा.

लोकसभा में शाह ने राहुल गांधी पर भी हमला किया था. वह बोले कि देश के ऐसे नेता हैं जिनको 13 बार लॉन्च किया जा चुका है, लेकिन वह हर बार फेल होते हैं.

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