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लगभग एक साल बाद चीन कोरोना का वैसा प्रकोप फिर देख रहा है, जिसे याद करके ही लोग खौफजदा हो उठते हैं. इस बीच रिपोर्ट आई कि कोरोना से पीड़ित कुछ मरीजों में व्हाइट लंग्स के लक्षण मिले हैं. इस नई जानकारी ने कोरोना से लड़ रहे चीन समेत दुनिया भर के दूसरे देशों की चिंता बढ़ा दी है

चीन में कोरोना का प्रकोप अभी भी जारी है. आईसीयू मरीजों से खचाखच भरे हैं, चीन की सरकार दिन रात दवाओं का उत्पादन कर मेडिसिन की कमी को दूर करने में लगी है. सरकार ने आईबुप्रोफेन और Acetaminophen जैसे दवाओं का उत्पादन चार गुणा बढ़ा दिया है. लेकिन कोरोना से जंग के मोर्चे पर चीन की चुनौतियां कम नहीं हो रही है. मरीजों के सीटी स्कैन में व्हाइट लंग्स के रूप में चीन के सामने नई चुनौतियां आई है.

इस बीच खबर आई कि इस बार संक्रमण से प्रभावित कुछ मरीजों में व्हाइट लंग्स के लक्षण पाए गए हैं. इस नई रिपोर्ट ने चीन की चिंता को कई गुणा बढ़ा दिया है. ग्लोबल टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार चीनी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर कुछ पोस्ट वायरल हो गए, जिसमें दावा किया गया कि बीजिंग और उत्तरी चीन के हेबेई प्रांत में कुछ COVID-19 रोगियों का जब सीटी स्कैन किया गया तो उन रोगियों में सफेद फेफड़े के (White lungs)लक्षण पाए गए.

इस रिपोर्ट ने शुरू शुरू में चीन के स्वास्थ्य विभाग में हड़कंप मचा दी. व्हाइट लंग्स की रिपोर्ट देखकर चीन का स्वास्थ्य महकमा चिंता में क्यों पड़ गया ये हम आपको बताते हैं. दरअसल कुछ पोस्ट में दावा किया गया है कि सफेद फेफड़े का मिलना इस बात का संकेत है कि ये मरीज ओमिक्रॉन वैरिएंट से संक्रमित नहीं थे, लेकिन वुहान में पाए गए डेल्टा वैरिएंट से संक्रमित थे. इसका मतलब था कि चीन में एक बार फिर से वुहान से निकला कोरोना का पुराना डेल्टा वैरिएंट लोगों को संक्रमित कर रहा है.

चीन की सरकार ने तुरंत इस रिपोर्ट का खंडन करना शुरू किया कि उनके देश में कोरोना का पुराना वैरिएंट एक बार फिर से सक्रिय हो गया है. बता दें कि जिन मरीजों के सीटी स्कैन में व्हाइट लंग्स के लक्षण मिले थे वे बुजुर्ग मरीज थे और कोरोना के संक्रमण से बुरी तरह प्रभावित थे.

चाइनीज सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (CDC) के इंस्टीट्यूट ऑफ वायरल डिजीज के डायरेक्टर जू वेनबो ने कहा कि कोविड-19 का रियल टाइम मॉनिटरिंग बताता है कि अभी चीन में डेल्टा वैरिएंट मौजूद नहीं है. साथ ही यह भी पता चला है कि डेल्टा वैरिएंट और ओमिक्रॉन वैरिएंट का रीकॉम्बिनेशन नहीं हुआ है.

जू वेनबो ने कहा कि चीन के सीडीसी ने दिसंबर की शुरुआत से ही 1142 पॉजिटिव केसों का जिनोम सीक्वेंसिंग किया है और पाया है कि चीन में ओमिक्रॉन वैरिएंट के BA.5.2 और BF.7 स्ट्रेन ही देश में लोगों को प्रमुखता से शिकार बना रहे हैं और ये दोनों वायरस मिलकर चीन में पाए वाले कोरोना केस का 80 प्रतिशत हिस्सा हैं. इसके अलावा चीन नें ओमिक्रॉन वैरिएंट के 7 सब ब्रांच भी पाये गए हैं.

कुल मिलाकर चीन लगातार ये बताने की कोशिश में है कि उसके यहां अभी मरीजों में व्हाइट लंग के लक्षण नहीं मिले हैं. ग्लोबल टाइम्स ने विशेषज्ञों के हवाले से लिखा है कि “व्हाइट लंग” शब्द का अब इंटरनेट पर अत्यधिक उपयोग किया जा रहा है, क्योंकि कुछ रोगियों को गलती से “व्हाइट लंग” कहा जाता है, हालांकि उनके लक्षण इतने गंभीर नहीं होते हैं.

खतरनाक है व्हाइट लंग्स की स्थिति

चीन के नेशनल हेल्थ कमीशन से जुड़े और मेडिकल पॉलिसी और एडमिनिस्ट्रेशन के डिप्टी हेड जिआओ याहुई कहते हैं कि व्हाइट लंग्स  निमोनिया की एक अधिक गंभीर अवस्था है, जिसमें व्हाइट इमेज एरिया रोगी के फेफड़ों के 70 से 80 प्रतिशत तक पहुंच जाता है. उन्होंने कहा कि इस तरह के लक्षण वाले मरीजों का अनुपात वास्तव में बहुत कम है.

चीन के डॉक्टरों का कहना है कि निमोनिया की शुरुआत बुखार और खांसी जैसे कोविड-19 के शुरुआती लक्षणों की तुलना में छह से सात दिन बाद हो सकती है. यदि ज्यादा उम्र के रोगियों को सांस लेने में कठिनाई हो या पल्स ऑक्सीमीटर द्वारा मापा गया ऑक्सीजन 93 प्रतिशत से कम हो तो उन्हें डॉक्टरों को दिखाना चाहिए.

जहां तक कोरोना की बात है तो चीन का दावा बाहर की दुनिया के लिए हमेशा से संदेह के घेरे में रहा है. इसलिए चीन में व्हाइट लंग्स के केस बेहद कम हैं अथवा नहीं इस बारे में अभी कुछ भी स्पष्ट कहना मुश्किल है, लेकिन अगर ऐसे केस आ रहे हैं तो चीन को तत्काल ऐसे मरीजों की गहन जांच करवानी चाहिए और इसकी जानकारी दूसरे देशों के साथ भी साझा करनी चाहिए.