उत्तराखंड,हल्द्वानी
उत्तराखंड की बेहाल पड़ी स्वास्थ्य सेवाओं को एक और झटका लगा है, कुमाऊं के सरकारी अस्पतालों के एकलौते प्लास्टिक सर्जन डा. हिमांशु सक्सेना ने भी इस्तीफा दे दिया है, चर्चा है कि काम का दबाव और अब तक स्थायी नियुक्ति न होने के चलते प्लास्टिक सर्जन डा. हिमांशु सक्सेना ने अपना कांट्रेक्ट रिन्यूवल ही नहीं कराया। एसटीएच में प्लास्टिक सर्जन के पद पर 10 वर्ष से कार्यरत हैं। वर्ष 2016 से एसोसिएट प्रोफेसर हैं, लेकिन संविदा पर ही कार्यरत हैं। अभी तक सरकार को सुध तक नहीं आयी है
उत्तराखंड में स्वास्थ्य विभाग दिन-प्रतिदिन अंधकार की ओर जा रहा है। पहाड़ों पर स्वास्थ्य सुविधाएं जर्जर पड़ी हुई हैं हैं। लोगों को अस्पताल के लिए घंटो यात्रा करके जाना पड़ता है। प्राथमिक उपचार के लिए भी उत्तराखंड के अस्पतालों में सुविधा नहीं है। सरकार भले ही स्वास्थ्य सुविधाएं दुरुस्त करने का दावा कर रही हो, लेकिन जमीनी स्तर पर हकीकत कुछ और ही है।
स्वास्थ्य विभाग इतना लापरवाह है की उनके पास वैकल्पिक व्यस्था का तक बंदोबस्त नहीं है, कहने के लिए डा. हिमांशु सक्सेना एक प्लास्टिक सर्जन है लेकिन इसको गम्भीरता से देखा जाए तो इनकी कमी अन्य विभागों को भी प्रभावित करेंगी बर्न विभाग में इनका काम और ऑर्थो में भी इनका अहम रोल है यहाँ तक कि सभी विभागों में प्लास्टिक सर्जन की अहम भूमिका होती है। सुशीला तिवारी अस्पताल को जिस उद्देश्य से पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय नारायण दत्त तिवारी ने इस उद्देश्य से बनाया था कि यह उत्तराखण्ड के कुमाऊँ के लिए यह सिर्फ एक एक हॉस्पिटल न हो बल्कि हर व्यक्ति को को कम खर्च में पूरा इलाज मिल सके जिससे उसकी आर्थिक स्थिति भी बरकरार रहे। यह उद्देश्य आज विफल होता दिखाई दे रहा है वर्तमान धामी सरकार को इस सुशीला तिवारी अस्पताल के बारे में समय रहते जल्द से जल्द कुछ निर्णय लेने चाहिए और रिक्त पदों पर नियुक्ति करनी चाहिए जिससे कि डॉक्टरों को मरीज देखने मे आसानी हो। ज्ञात हो कि सुशीला तिवारी अस्पताल उत्तराखंड में कुमाऊ के लिए भेंट स्वरूप जनता के हितों के लिए बनवाया था