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उत्तराखंड, लालकुआं 

बिन्दुखत्ता को राजस्व गांव बनाने, आवारा पशुओं की समस्या का समाधान कराने व प्रस्तावित वन संरक्षण नियम 2022 वापस लेने की मांग के संबंध में अखिल भारतीय किसान महासभा के नेतृत्व में शहीद स्मारक से लालकुआं तहसील तक जुलूस निकालकर प्रदर्शन करते हुए तहसील प्रशासन लालकुआं के माध्यम से दो ज्ञापन पहला राजस्व गांव और आवारा पशुओं की समस्या के समाधान की मांग पर राज्य के मुख्यमंत्री को तथा दूसरा प्रस्तावित वन संरक्षण नियम 2022 वापस लेने की मांग पर भारत के प्रधानमंत्री को भेजा गया.

शहीद स्मारक से जुलूस प्रदर्शन के बाद लालकुआं तहसील परिसर में हुई संक्षिप्त सभा में भाकपा माले राज्य सचिव राजा बहुगुणा ने कहा कि, “बिन्दुखत्ता की जनता पिछले चार दशक से भी अधिक समय से बिन्दुखत्ता को राजस्व गांव बनाए जाने की मांग कर रही है. यहां की जनता की मांग पर लालकुआं से चुने गए पिछले सभी विधायकों व वर्तमान भाजपा विधायक ने जनता की आकांक्षा के अनुरूप बिन्दुखत्ता को राजस्व गांव बनाने का वायदा किया था. लेकिन सरकार बनने के बाद एक बार फिर से उत्तराखंड की भाजपा सरकार जनता के साथ वादाखिलाफी कर रही है और राजस्व गांव के मुद्दे को गलत दिशा में ले जाने की कोशिश की जा रही है. जबकि जरूरत इस बात की है कि राजस्व गांव का प्रस्ताव राज्य मंत्रिमण्डल और उत्तराखंड राज्य विधानसभा से पारित कर केंद्र सरकार को भेजा जाय. जब केंद्र और उत्तराखंड राज्य दोनों में भाजपा की प्रचण्ड बहुमत वाली सरकारें हैं तब इस प्रक्रिया में क्या बाधा है? इसका जवाब राज्य सरकार को देना चाहिए.”
उन्होंने कहा कि,”वन संरक्षण नियम-2022 देश के वनवासियों, आदिवासियों और वनाधिकार क़ानून दोनों के लिए ख़तरा है. वनवासियों, आदिवासियों व किसानों ने कई दशकों तक अपने वनाधिकारों के लिए लड़ाई लड़ी तब वन अधिकार क़ानून-2006 अस्तित्व में आया। अब नया वन संरक्षण नियम 2022, सालों के उस संघर्ष और वनाधिकारों को एक झटके में ख़त्म कर देगा। इससे देश में पहले से चल रहे आदिवासियों के विस्थापन और बचे-खुचे प्राकृतिक जंगलों के खात्मे की प्रक्रिया और तेज होगी। ऐसा लगता है कि मोदी सरकार देश के सारे सार्वजनिक संस्थानों को बड़े कॉरपोरट के हवाले करने के बाद देश के वनों को पूंजीपतियों की लूट के लिए खोलने और वनों में रहने वाले लोगों को वनभूमि से बेदखल करने के लिए वन संरक्षण नियम-2022 का प्रस्ताव संसद में लेकर आयी है. यह प्रस्ताव गोठ खत्तावासियों, वन गुर्जर जैसे वन भूमि पर रहने वाले लोगों के लिए यह खतरे की घंटी है. 75 साल की आजादी के बाद भी खत्तावासी अभी भी मूलभूत नागरिक अधिकारों से वंचित हैं. बिंदुखत्ता वासियों को किया गया राजस्व गांव का वादा भाजपा सरकार द्वारा पूरा नहीं किया गया और अब केंद्र सरकार प्रस्तावित वन संरक्षण नियम 2022 लाकर यहां के अस्तित्व को ही संकट में डाल रही है.”

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किसान महासभा के जिलाध्यक्ष भुवन जोशी ने कहा कि, “आवारा पशु आज किसानों और आम जनता के जी का जंजाल बन गये हैं. इसका मुख्य कारण पशुओं की खरीद फरोख्त पर गौरक्षा कानून बनाकर रोक लगाने की सरकार की गलत नीतियां हैं. इसी के चलते आवारा पशुओं की संख्या आज हजारों में पहुंच गई है और इसके कारण खेती किसानी तबाह हो रही है साथ ही ये आवारा पशु लगातार दुर्घटनाओं का कारण बन रहे हैं. किसानों और व्यापक जनता के हित में आवारा पशुओं की समस्या का तत्काल समाधान किया जाना बेहद जरूरी है. इसके लिए अनुपयोगी हो चुके पालतू पशुओं के लिए समर्थन मूल्य घोषित करते हुए अनिवार्य खरीद की गारंटी की जाय.”

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अखिल भारतीय किसान महासभा के जिला सचिव चन्दन राम ने चेतावनी देते हुए कहा कि, “जनता के हित में यदि सरकार ने इन मांगों पर सकारात्मक कदम नहीं उठाया तो अखिल भारतीय किसान महासभा व्यापक जनता के साथ सरकार के विरुद्ध व्यापक आंदोलन करेगी. फरवरी माह में हल्द्वानी में विशाल प्रदर्शन किया जायेगा.”

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जुलूस प्रदर्शन में मुख्य रूप से भाकपा माले के राज्य सचिव राजा बहुगुणा, अखिल भारतीय किसान महासभा के प्रदेश उपाध्यक्ष बहादुर सिंह जंगी, जिला अध्यक्ष भुवन जोशी, जिला सचिव चन्दन राम, भाकपा (माले) जिला सचिव डॉ कैलाश पांडेय, बिन्दुखत्ता एरिया सचिव पुष्कर दुबड़िया, वरिष्ठ नेता आनंद सिंह सिजवाली, कमल जोशी, ललित मटियाली, विमला रौथाण, किशन बघरी, प्रमोद कुमार, मदन धामी, बिशन दत्त जोशी, गोपाल गडिया, ललित जोशी,धीरज कुमार, कमलापति जोशी,नैन सिंह कोरंगा,गोविंद सिंह जीना, प्रकाश फ़ूलोरिया, प्रवीण दानू, त्रिलोक राम, अजय, स्वरुप सिंह दानू, खीम वर्मा, त्रिलोक सिंह दानू, दौलत सिंह कार्की, नारायण नाथ, मेहरुनिशा खातून, कमला देवी, गोविंदी देवी,इनाम अली, शमशेर अली, किरण, हीरा सिंह, दयाल सिंह दानू, राय सिंह, ज्योत सिंह गडिया, आनंद सिंह दानू, सूरज सिंह, गोविंद राम आदि मुख्य रूप से शामिल रहे।