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दिल्ली, भारत सरकार –

भारत सरकार ने गांधी परिवार को कथित तौर पर बड़ा झटका दिया है। गांधी परिवार की तरफ से संचालित राजीव गांधी फाउंडेशन को भारत  सरकार ने विदेशी चंदा लेने का अधिकार समाप्त कर दिया है। गृह मंत्रालय के अधिकारियों के मुताबिक नियमों का उल्लंघन पाये जाने के बाद इस गैर सरकारी संगठन का FCRA लाइसेंस रद्द कर दिया गया है।

कहा जा रहा है कि केंद्र के इस फैसले से भाजपा और कांग्रेस के बीच नए सिरे से तनातनी के आसार बनते दिख रहे हैं। राजीव गांधी फाउंडेशन की स्थापना 21 जून 1991 को हुई थी। ये संगठन शिक्षा, विज्ञान और तकनीक के प्रमोशन समेत दिव्यांगों और गरीबों के लिए काम करता है। इसका खर्च दान और इनवेस्टमेंट से चलता है। संस्था की अध्यक्ष सोनिया गांधी हैं। पूर्व पीएम मनमोहन सिंह, राहुल गांधी, प्रियंका गांधी वाड्रा और पी. चिदंबरम इसके ट्रस्ट में शामिल हैं।

भाजपा का आरोप था कि साल 2005-6 में राजीव गांधी फाउंडेशन ने चीन से 3 लाख डालर यानी तब के 90 लाख रूपये लिये थे। फाउंडेशन की सालाना रिपोर्ट के हवाले से भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष जेपी नड्डा ने यह आरोप लगाया था। इसके अलावा ये भी आरोप था कि उसके जरिए पीएम रिलीफ फंड का पैसा डाइवर्ट किया गया था। ये रकम फंड से राजीव गांधी फाउंडेशन को दी गई थी। इससे कई साल पहले फाउंडेशन एक और विवाद में घिरा था।

तब आरोप लगा था कि आतंकियों से रिश्ते रखने के आरोपी जाकिर नाइक ने राजीव गांधी फाउंडेशन को 50 लाख रूपये दिये थे। फाउंडेशन ने ये रकम लौटा दी थी। भाजपा ने कहा ता कि रकम लौटाकर कांग्रेस बेवकूफ बना रही है। जाकिर नाइक साल 2016 से भगोड़ा है और मलेशिया में रहता है। उसके खिलाफ कट्टरता फैलाने और मनी लाड्रिंग का केस है।

केंद्र की मोदी सरकार ने 2020 में राजीव गांधी फाउंडेशन, राजीव गांधी चैरिटेबल ट्रस्ट और इंदिरा गांधी मेमोरियल ट्रस्ट की जांच कराने के आदेश दिये थे। गृह मंत्रालय ने इसके लिए अंतर मंत्रालयी कमेटी गठित की थी। जांच का काम प्रवर्तन निदेशालय प्रवर्तन निर्देशालय (ED )के स्पेशल डायरेक्टर को दी गई थी। जांच में पता करना था कि दोनों ट्रस्ट ने नियमों का उल्लंघन किया अथवा नहीं। इन तीनों ट्रस्टों के संचालकों पर मनी लांड्रिंग और इनकम टैक्स के नियमों को तोड़ने का आरोप लगा था।

1991 में हुई फाउंडेशन की स्थापना

 

राजीव गांधी फाउंडेशन (आरजीएफ) की स्थापना पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के विजन को पूरा करने के लिए की गई थी. फाउंडेशन की ऑफिश‍ियल वेबसाइट rgfindia.org पर दी गई जानकारी के अनुसार 1991 से 2009 तक फाउंडेशन ने स्वास्थ्य, साक्षरता, स्वास्थ्य, विज्ञान और प्रौद्योगिकी, महिला और बाल विकास, निःशक्तजनों को सहायता, पंचायती राज संस्थाओं, प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन, और पुस्तकालयों समेत कई मुद्दों पर काम किया है.

फाउंडेशन पर चीन से फंडिंग का आरोप

बता दें कि जून 2020 में बीजेपी ने फाउंडेशन पर विदेशी फंडिंग का आरोप लगाया था. तत्कालीन कानून मंत्री और बीजेपी नेता रविशंकर प्रसाद ने दावा किया था कि चीन ने राजीव गांधी फाउंडेशन के लिए फंडिंग की है. एक कानून है जिसके तहत कोई भी पार्टी बिना सरकार की अनुमति के विदेश से पैसा नहीं ले सकती. कांग्रेस स्पष्ट करे कि इस डोनेशन के लिए क्या सरकार से मंजूरी ली गई थी?

90 लाख रुपए फंडिंग का आरोप

उन्होंने दावा किया था कि राजीव गांधी फाउंडेशन के लिए 2005-06 की डोनर की सूची है. इसमें चीन के एम्बेसी ने डोनेट किया- ऐसा साफ लिखा है. ऐसा क्यों हुआ? क्या जरूरत पड़ी? इसमें कई उद्योगपतियों, पीएसयू का भी नाम है. क्या ये काफी नहीं था कि चीन एम्बेसी से भी रिश्वत लेनी पड़ी. उन्होंने दावा किया कि चीन से फाउंडेशन को 90 लाख की फंडिंग की गई.

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