उत्तराखंड के चमोली जिले के नंदानगर क्षेत्र में बुधवार रात आई भीषण आपदा ने कुंतरी फाली, सैंती और धुर्मा गांवों में भारी तबाही मचाई। चीख-पुकार और अफरातफरी के बीच एक 42 वर्षीय कुंवर सिंह को 18 घंटे बाद ज़िंदा बाहर निकाल लिया गया।
👉 लेकिन उनकी पत्नी कांता देवी (38) और दो बेटे विकास व विशाल अब भी मलबे में फंसे हुए हैं।
🚨 रेस्क्यू ऑपरेशन जारी
👷♂️ एसडीआरएफ और एनडीआरएफ की टीमें लगातार राहत व बचाव कार्य में जुटी हैं।
👨👩👦 रिश्तेदारों और ग्रामीणों ने बताया कि मलबे से अब भी उनकी आवाजें सुनाई दे रही हैं, जिससे उम्मीद जगी है कि वे ज़िंदा हैं।
⏳ 18 घंटे लंबी जद्दोजहद के बाद कुंवर सिंह को जिंदा निकालना अपने आप में एक बड़ा चमत्कार है।
🌧️ तबाही की रात
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बुधवार आधी रात को अचानक तेज़ बारिश और गर्जना से पूरा इलाका दहशत में आ गया।
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कई लोग घरों से बाहर निकलने ही वाले थे कि देखते ही देखते भूस्खलन और मलबे ने घरों को अपनी चपेट में ले लिया।
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व्यापारी नंदन सिंह रावत ने बताया – “लोगों को संभलने तक का मौका नहीं मिला, पूरा क्षेत्र मलबे और बरसाती पानी में तब्दील हो गया।”
😢 गांवों का हाल
📌 कुंतरी फाली, सैंती और धुर्मा गांवों में चारों ओर सिर्फ तबाही और खामोशी है।
📌 परिजन बेबस होकर मलबे में दबे घरों को निहार रहे हैं और अपने अपनों की सलामती की दुआ कर रहे हैं।
📌 स्थानीय लोग भी बचाव कार्य में हाथ बंटा रहे हैं और मलबे में दबे लोगों को निकालने की जद्दोजहद में लगे हैं।
✨ उम्मीद की किरण
👉 कुंवर सिंह को जिंदा निकालने से ग्रामीणों और रेस्क्यू टीमों में नई ऊर्जा और उम्मीद जगी है।
👉 लोग अब भी दुआ कर रहे हैं कि कांता देवी और उनके दोनों बेटे भी सुरक्षित बाहर निकल आएं।
📢 निष्कर्ष
चमोली की यह घटना एक ओर जहां प्राकृतिक आपदा की विभीषिका दिखाती है, वहीं दूसरी ओर मानव हौसले और उम्मीद को भी उजागर करती है।
अब सबकी नज़रें इस पर टिकी हैं कि क्या बाकी तीनों को भी सुरक्षित बाहर निकाला जा सकेगा।