🏡🏡🏡🏡 अखिल भारतीय किसान महासभा बिंदुखत्ता कमेटी ने सोमवार को लालकुआं तहसील में जोरदार धरना-प्रदर्शन किया। किसानों ने एकजुट होकर वन भूमि पर बसे हजारों परिवारों को मालिकाना हक़ देने, बिंदुखत्ता को राजस्व गांव बनाने, गौला नदी पर बाईपास रोड व तटबंध निर्माण, मिल से निकलने वाले प्रदूषित नाले का भूमिगतकरण और लावारिस गोवंश की समस्या का स्थायी समाधान जैसे मुद्दों पर सरकार के खिलाफ आवाज़ बुलंद की।
धरना-प्रदर्शन के दौरान माहौल पूरी तरह किसान आंदोलन के रंग में दिखाई दिया। भारी संख्या में ग्रामीणों, महिलाओं और युवा कार्यकर्ताओं ने भागीदारी कर सरकार तक अपने हक की आवाज़ पहुंचाई। 🏡🏡🏡🏡
📌 किसानों की 6 सूत्रीय मांगें:
1️⃣ वन भूमि पर बसे लोगों को मालिकाना हक़ मिले 🏡
2️⃣ बिंदुखत्ता को राजस्व गांव घोषित किया जाए 📜
3️⃣ गौला नदी पर बाईपास रोड और स्थायी तटबंध निर्माण हो 🛣️🌊
4️⃣ मिल से निकलने वाले प्रदूषित नाले को भूमिगत किया जाए ♻️
5️⃣ लावारिस गोवंश की समस्या का स्थायी समाधान हो 🐄
6️⃣ जनता के जीवन-यापन व मूलभूत अधिकारों की गारंटी सुनिश्चित की जाए 🙌
✊ किसान नेताओं का बयान
🗣️ वरिष्ठ किसान नेता किशन बघरी ने कहा –
“राज्य सरकार लगातार हमारी मांगों को नजरअंदाज कर रही है। हजारों परिवार वर्षों से वन भूमि पर बसे हैं लेकिन उन्हें मालिकाना अधिकार नहीं दिए जा रहे। अब किसान अपनी लड़ाई और तेज़ करेंगे।”
🗣️ डॉ. कैलाश पांडेय बोले –
“भाजपा सरकार जनता के मूलभूत सवालों की अनदेखी कर रही है। यह लड़ाई सिर्फ भूमि अधिकार की नहीं बल्कि सम्मान और अस्तित्व की है। जनता को हक़ मिलकर रहेगा।”
👥 भारी संख्या में जुटे किसान
धरने में बड़ी संख्या में किसान, महिलाएं और युवा शामिल हुए। इनमें विमला रौथाण, पुष्कर दुबड़िया, आनंद सिंह सिजवाली, नैन सिंह कोरंगा, गोविन्द जीना, धीरज कुमार, निर्मला शाही, कमल जोशी, किशन जग्गी, बिशन दत्त जोशी, अनीता अन्ना, वीर भद्र भंडारी, त्रिलोक राम, आनन्द दानू, मेहरुनिशा, अंबा दत्त, त्रिलोक सिंह दानू, पनी राम, रजजी बिष्ट, नंद किशोर, मोती सिंह धामी, त्रिभुवन सिंह जंगी, प्रताप सिंह बिष्ट, राम गिरी गोस्वामी सहित दर्जनों किसान और कार्यकर्ता मौजूद रहे।
धरना समाप्त होने के बाद किसान महासभा ने 6 सूत्रीय मांग पत्र तहसीलदार के माध्यम से मुख्यमंत्री को भेजा। 📩
🌍 धरना क्यों है महत्वपूर्ण?
✔️ बिंदुखत्ता क्षेत्र के लोग दशकों से भूमि अधिकार की लड़ाई लड़ रहे हैं।
✔️ गौला नदी के किनारे रहने वालों को हर साल बाढ़ और कटाव का सामना करना पड़ता है, इसलिए स्थायी तटबंध जरूरी है।
✔️ प्रदूषित नाले और लावारिस गोवंश की समस्या ग्रामीण जीवन पर सीधा असर डाल रही है।
✔️ राजस्व गांव बनने से हजारों परिवारों को कानूनी सुरक्षा और सरकारी योजनाओं का लाभ मिल सकेगा।
📌 निष्कर्ष
लालकुआं का यह आंदोलन सिर्फ स्थानीय नहीं बल्कि उत्तराखंड के किसानों की आवाज़ बनता जा रहा है। अब देखना होगा कि क्या राज्य सरकार इन मांगों को गंभीरता से लेती है या फिर आने वाले दिनों में आंदोलन और तेज़ होगा। 🚩





