खबर शेयर करें -

नैनीतालः उत्तराखंड हाईकोर्ट ने बागेश्वर जिले की तहसील कांडा के कई ग्रामों में खड़िया खनन से आई दरारों के मामले में स्वतः संज्ञान लेकर सुनवाई की. मामले की सुनवाई के बाद मुख्य न्यायाधीश जी नरेंद्र और वरिष्ठ न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की खंडपीठ ने मामले को अति गंभीर पाते हुए कोर्ट कमिश्नर की रिपोर्ट का आकलन करके 9 जनवरी को निदेशक खनन और सचिव औद्योगिक को कोर्ट में व्यक्तिगत रूप से पेश होकर स्थिति से अवगत कराने के आदेश दिए हैं. साथ ही कोर्ट ने पूरे बागेश्वर में खड़िया के खनन पर रोक लगा दी है.

यह भी पढ़ें -  🚨 हल्द्वानी बनभूलपुरा अतिक्रमण केस: सुप्रीम कोर्ट ने आज की सुनवाई टाली, अब 9 दिसंबर को होगी! हाई-अलर्ट पर रहा पूरा इलाका 🏛️🚔

कोर्ट कमिश्नर की रिपोर्ट के मुताबिक, खड़िया खनन करने वालों ने वनभूमि के साथ-साथ सरकारी भूमि में भी नियम विरुद्ध जाकर खनन किया हुआ है. पहाड़ी दरकने लगी है. कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है. इसकी कई फोटोग्राफ और वीडियो रिपोर्ट में पेश की गई है. अब मामले की अगली सुनवाई 9 जनवरी को होगी.

यह भी पढ़ें -  ​🚨 आज हल्द्वानी में सीएम धामी: डेमोग्राफी और अतिक्रमण पर सख्त संदेश! देखें वीडियो

वहीं पिछली तिथि को कोर्ट ने गांव वालों की समस्या को जानने के लिए दो न्यायमित्र नियुक्त करते हुए उनसे अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा था. साथ में खंडपीठ ने डीएफओ बागेश्वर, स्टेट लेवल की पर्यावरण सुरक्षा अथॉरिटी, जिला खनन अधिकारी को पक्षकार बनाते हुए अपना जवाब प्रस्तुत करने को कहा था.

ग्रामीणों ने अपने प्रार्थनापत्र में कहा था कि उनकी बात न तो डीएम सुन रहे, न ही सीएम और प्रशासन. कब से ग्रामीण वासी उन्हें विस्थापित करने की मांग कर रहे हैं. जिनके पास साधन थे वे हल्द्वानी बस गए. लेकिन गरीब गांव में ही रह गए. अवैध खड़िया खनन करने से गांवों, मंदिर, पहाड़ियों पर बड़ी-बड़ी दरारें आ चुकी हैं. बारिश होने पर इनमें पानी भरने से कभी भी भूस्खलन हो सकता है. उनकी कृषि भूमि नष्ट हो रही है. इसपर रोक लगाई जाए और उन्हें सुरक्षित जगह पर विस्थापित किया जाए.