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टैक्स और ब्याज की राशि भी शामिल होती है। अभी तक कारोबारी को टैक्स की रकम के साथ ही ब्याज और 15 प्रतिशत पेनाल्टी देनी होती थी, लेकिन अब नोटिस से पहले यह राशि जमा करने पर न ब्याज देना होगा ।

कारोबारी यदि नोटिस से पहले ही जीएसटी जमा कर देते हैं तो उन्हें अब ब्याज और पेनाल्टी से छूट मिलेगी। केंद्रीय बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की ओर से यह बदलाव किए गए हैं। दरअसल, टैक्स लाइबिलिटी पर जीएसटी विभाग कारोबारी को नोटिस भेजता है। उसके आधार पर कारोबारी को धनराशि जमा करानी होती है।

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जिसमें टैक्स और ब्याज की राशि भी शामिल होती है। अभी तक कारोबारी को टैक्स की रकम के साथ ही ब्याज और 15 प्रतिशत पेनाल्टी देनी होती थी, लेकिन अब नोटिस से पहले यह राशि जमा करने पर न ब्याज देना होगा और न 15 प्रतिशत पेनाल्टी। यदि कारोबारी नोटिस के 60 दिन के भीतर भी रकम जमा कर देते हैं तो भी उन्हें कोई पेनाल्टी नहीं देनी होगी।

जबकि अभी तक उसे ब्याज के साथ ही 25 प्रतिशत पेनाल्टी देनी होती थी। इसी तरह आदेश के बाद टैक्स जमा कराने पर पहले 50 प्रतिशत पेनाल्टी देनी होती थी जिसे अब माफ कर दिया गया है। हालांकि इसमें जीएसटी फ्रॉड के मामले शामिल नहीं किए जाएंगे।

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समन पर खुद पेश नहीं होना होगा

वित्त मंत्री ने जीएसटी समन के मामलों में भी कारोबारियों को बड़ी राहत दी है। पहले जीएसटी चोरी के मामले में कारोबारी या कंपनी के एमडी, सीईओ आदि को खुद पेश होना पड़ता था। अब प्रतिनिधि भेज सकते हैं।

जीएसटी नंबर दोबारा शुरू करने के नियमों में बदलाव होगा

बजट में वित्त मंत्री ने जीएसटी नंबर रिवोकेशन के नियमों में भी बदलाव का ऐलान किया है। दरअसल जीएसटी रिटर्न दाखिल न होने पर जीएसटी का सिस्टम छह महीने में नंबर को सस्पेंड कर देता है। जबकि उसके बाद उस नंबर को कैंसिल कर दिया जाता है। यदि कारोबारी जीएसटी नंबर दोबारा शुरू कराना चाहता है तो रिवोकेशन की प्रक्रिया खासी जटिल होती है और लोगों के नंबर आसानी से दोबारा शुरू नहीं हो पाते। ऐसे में अब वित्त मंत्री ने इन नियमों में बदलाव का ऐलान किया है। जल्द ही इस संदर्भ में नए नियम बनाए जाएंगे।