मध्य प्रदेश के रतलाम से संचालित होने वाला एक मदरसा विवादों में घिर गया है…यहां मदरसे में दी जाने वाली तालीम और मदरसे में रहने वाली बच्चियों की सुविधा को लेकर सवाल उठ रहे हैं. दरअसल दो दिन पहले बाल अधिकार संरक्षण आयोग की टीम ने रतलाम के इस मदरसे का औचक निरीक्षण किया था और मदरसे में कई अनियमितता पाई थी.
जांच के दौरान पाया गया कि मदरसा के हॉस्टल में करीब 100 बच्चियों को रखा गया था, जिनमें से आधे से ज्यादा बच्चियों के नाम किसी स्कूल में दर्ज नहीं थे. मदरसे में बच्चियों को स्कूली शिक्षा नहीं दी जा रही थी. मदरसे में रहने वाली 60 बच्चियां केवल मुस्लिम तालीम ले रही थी. मदरसे में हर जगह कैमरे लगाकर बच्चियों की निगरानी हो रही थी. बच्चियों के सोने वाले कमरे में भी कैमरे लगाए गए थे, जो जांच के बाद हटा दिए गए थे.
आयोग के साथ रेड में शामिल रतलाम की एडीएम शालिनी श्रीवास्तव ने बताया कि जहां क्लासरूम है वहां पर तो कैमरे लगे हैं, लेकिन जहां बहुत सारी बच्चियां रहती हैं, वहां पहले कैमरे लगे थे. ये बात इन्होंने मानी है, लेकिन कल जो जांच हुई उसके बाद कैमरे निकाल लिए गए हैं.
सरकार में रजिस्टर्ड नहीं था मदरसा
जांच में यह भी पाया गया है कि रतलाम से चलने वाला ये मदरसा मध्य प्रदेश मदरसा बोर्ड से पंजीकृत भी नहीं है. वहीं बाल संरक्षण आयोग की दबिश के बाद मदरसे में व्यवस्था को बदला गया और मदरसा मैनेजमेंट ने बच्चों की पढ़ाई, दवाई और सुरक्षा का दावा किया. रतलाम के इस मदरसे में अनियमितता पाये जाने पर बाल संरक्षण आयोग और जिला प्रशासन की रिपोर्ट के बाद मदरसे पर कार्रवाई भी की जा सकती है.
कुकुरमुत्तों की तरह खुल रहे मदरसे
बताते चलें कि मुस्लिम बच्चों की दीनी तालीम देने के नाम पर देशभर में कुकुरमुत्तों की तरह हजारों मदरसे खुले हुए हैं. इनमें से काफी मदरसे सरकारी जमीनों को को कब्जा करके बनाए गए हैं. कुछेक मदरसों को छोड़ दें तो बाकी में बच्चों के साथ दुर्व्यवहार, उन्हें बेसिक स्कूली शिक्षा न देने और सुविधाओं से वंचित करने की शिकायतें आम हैं. देश में मोदी सरकार बनने के बाद सरकार धीरे- धीरे इन पर सख्त हुई है. वही राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग भी इनमें सुधार के लिए लगातार छापेमारी कर रहा है.