इस बार फाल्गुन मास 25 फरवरी से 25 मार्च तक रहेगा. इस महीने की पूर्णिमा को फाल्गुनी नक्षत्र होने के कारण इस महीने का नाम फाल्गुन है. इस महीने को आनंद और उल्लास का महीना कहा जाता है. इस महीने से धीरे धीरे गर्मी की शुरुआत होती है और सर्दी कम होने लगती है.
फाल्गुन का महीना हिन्दू पंचांग का अंतिम महिना है. इस महीने की पूर्णिमा को फाल्गुनी नक्षत्र होने के कारण इस महीने का नाम फाल्गुन है. इस महीने को आनंद और उल्लास का महीना कहा जाता है. इस महीने से धीरे धीरे गर्मी की शुरुआत होती है और सर्दी कम होने लगती है. बसंत का प्रभाव होने से इस महीने में प्रेम और रिश्तों में बेहतरी आती जाती है. इस महीने से खान पान और जीवनचर्या में जरूर बदलाव करना चाहिए. मन की चंचलता को नियंत्रित करने के प्रयास करने चाहिए. इस बार फाल्गुन मास 25 फरवरी यानी आज से 25 मार्च तक रहेगा.
प्रमुख व्रत-त्योहार
फाल्गुन शुक्ल अष्टमी को मां लक्ष्मी और मां सीता की पूजा का विधान है. फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी को भगवान शिव की उपासना का महापर्व शिवरात्री भी मनाई जाती है. फाल्गुन में ही चन्द्रमा का जन्म भी हुआ था, इसलिए इस महीने में चन्द्रमा की भी उपासना होती है. फाल्गुन में प्रेम और आध्यात्म का पर्व होली भी मनाई जाती है.
28 फरवरी 2024 (बुधवार) – द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी
1 मार्च 2024 (शुक्रवार) – यशोदा जयंती
3 मार्च 2024 (रविवार)- शबरी जयंती, भानु सप्तमी
4 मार्च 2024 (सोमवार) – जानकी जयंती
6 मार्च 2024 (बुधवार) – विजया एकादशी
8 मार्च 2024 (शुक्रवार) – महाशिवरात्रि, प्रदोष व्रत (कृष्ण), मासिक शिवरात्रि, पंचक शुरू
10 मार्च 2024 (रविवार) – फाल्गुन अमावस्या
12 मार्च 2024 (मंगलवार) -फुलैरा दूज, रामकृष्ण जयंती
13 मार्च 2024 (बुधवार) – विनायक चतुर्थी
20 मार्च 2024 (बुधवार) – आमलकी एकादशी
22 मार्च 2024 (शुक्रवार) – प्रदोष व्रत
24 मार्च 2024 (रविवार) – होलिका दहन, फाल्गुन पूर्णिमा व्रत
25 मार्च 2024 (सोमवार)- होली (धुलेंडी), चंद्र ग्रहण
किस देवता की उपासना करें?
फाल्गुन महीने में श्री कृष्ण की पूजा उपासना विशेष फलदायी होती है. इस महीने में बाल कृष्ण, युवा कृष्ण और गुरु कृष्ण तीनों ही स्वरूपों की उपासना की जा सकती है. संतान के लिए बाल कृष्ण की पूजा करें. प्रेम और आनंद के लिए युवा कृष्ण की उपासना करें. ज्ञान और वैराग्य के लिए गुरु कृष्ण की उपासना करें.
नियम और सावधानियां
इस महीने में प्रयास करके शीतल या सामान्य जल से स्नान करें. भोजन में अनाज का प्रयोग कम से कम करें. ज्यादा से ज्यादा फल खाएं. कपड़े ज्यादा रंगीन और सुंदर धारण करें. सुगंध का प्रयोग करें. नियमित रूप से भगवान कृष्ण की उपासना करें. पूजा में फूलों का खूब प्रयोग करें. इस महीने में नशीली चीजों और मांस-मछली के सेवन से परहेज करें.