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बात मानने से इनकार करने पर एक नाबालिग छात्रा ने प्रोफेसर के खिलाफ छेड़छाड़ और पॉक्सो की धाराओं में मुकदमा दर्ज करा दिया। पुलिस ने बिना जांच किए मुकदमा दर्ज कर प्रोफेसर को गिरफ्तार कर लिया। मामले में विशेष न्यायाधीश पॉक्सो नंदन सिंह ने छात्रा और विवेचक के खिलाफ सख्त टिप्पणी करते हुए प्रोफेसर को बरी कर दिया। 

जीके गौतम हल्दूचौड़ स्थित लाल बहादुर शास्त्री महाविद्यालय में प्रोफेसर के पद पर कार्यरत थे। महाविद्यालय में बीए द्वितीय सेमेस्टर की छात्रा ने प्रोफेसर पर गंभीर आरोप लगाए। छात्रा के पिता की तहरीर पर लालकुआं पुलिस ने प्रोफेसर के खिलाफ 24 सितंबर 2021 को धारा 354 क व 354 ग और पॉक्सो अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया। उसी दिन पुलिस ने प्रोफेसर को गिरफ्तार किया और न्यायालय से उन्हें जेल भेज दिया गया।

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प्रोफेसर की ओर से पैरवी कर रहे हल्द्वानी बार एसोसिएशन के पूर्व सचिव राजन सिंह मेहरा ने बताया कि वर्ष 2021 में लॉकडाउन लगा था। महाविद्यालय ने छात्रों से कहा कि वह मेल पर 15 सितंबर 2021 तक और 20 व 21 सितंबर को स्वयं उपस्थित होकर महाविद्यालय में एसाइनमेंट जमा कर सकते हैं, लेकिन आरोप लगाने वाली छात्रा ने एसाइनमेंट जमा नहीं किया। तिथि निकल जाने के बाद छात्रा प्रोफेसर पर एसाइनमेंट जमा करने का दबाव बनाने लगी। प्रोफेसर नहीं माने तो उनके खिलाफ मुकदमा लिखा दिया। छात्रा की ओर प्रस्तुत साक्ष्य प्रोफेसर पर लगे आरोप साबित नहीं कर पाए। जिस आधार पर विशेष न्यायाधीश पॉक्सो नंदन सिंह द्वारा अभियुक्त को दोष मुक्त कर दिया।

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छात्रा और विवेचक के लिए न्यायालय की टिप्पणी

छात्रा के जिस मोबाइल पर प्रोफेसर की बात हुई पुलिस ने उसे भी अपने कब्जे में नहीं लिया। दोनों के बीच हुई बातचीत को पेन ड्राइव में कोर्ट में प्रस्तुत किया गया। फिर विवेचक ने भी मान लिया कि पेन ड्राइव में मौजूद बातचीत से छेड़छाड़ की जा सकती है। रिकॉर्डिंग में अश्लील वार्तालाप और प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से पीड़िता के साथ कोई घटना नहीं पाई गई। इस पर न्यायालय ने विवेचक उप निरीक्षक गुरमिंदर सिंह व उप निरीक्षक रजनी आर्य पर सख्त टिप्पणी की और कहा कि मोबाइल में अभियुक्त ने अश्लील बातें नहीं की, बावजूद इसके गिरफ्तारी की गई। न्यायालय ने माना दोनों उपनिरीक्षक की भूमिका संदेहास्पाद है। कहा कि छात्र का अपने शिक्षक के प्रति बिना कारण इस तरह का आरोप लगाना सभ्य समाज के लिए घातक है।