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नैनीताल हाईकोर्ट में करीब 7 लाख लीटर मिलावटी दूध बेचने के मामले में सुनवाई हुई. मिलावटी दूध बेचने का आरोप नैनीताल दुग्ध उत्पादक संघ लालकुआं पर लगा है. लिहाजा, कोर्ट ने मामले में समाजसेवी भुवन चंद्र पोखरिया को पक्षकार बनाया है. साथ ही दूध में मिलावट और अनियमितता संबंधी दस्तावेज पेश करने को कहा है.

उत्तराखंड में करीब 7 लाख लीटर मिलावटी दूध बेचने और नैनीताल दुग्ध उत्पादक संघ लालकुआं में बड़े पैमाने पर फर्जीवाड़ा करने के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर नैनीताल हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. मामले में मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी और न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ ने समाजसेवी भुवन चंद्र पोखरिया को इस मामले में पक्षकार बनाया है. साथ ही उनसे मामले में भ्रष्टाचार संबंधी कागजात शपथ पत्र के माध्यम से पेश करने को कहा है. अब इस पूरे मामले की अगली सुनवाई 14 दिसंबर को होगी.

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आज चोलगिया निवासी समाजसेवी पोखरिया की ओर से मामले में खुद को पक्षकार बनाए जाने के लिए प्रार्थना पत्र कोर्ट में पेश किया. जिसे हाईकोर्ट ने स्वीकार कर उन्हें पक्षकार बनाए जाने की अनुमति दी है. सुनवाई के बाद कोर्ट ने उनसे कहा है कि उनके पास दूध में मिलावट संबंधी और अनियमितता संबंधी कोई दस्तावेज हैं तो वे शपथ पत्र के माध्यम से कोर्ट में पेश करें.

प्रार्थना पत्र में आरोप लगाते हुए कहा गया है कि लालकुआं डेयरी ने बीती 23 अगस्त 2020 से लेकर 17 जनवरी 2021 तक उत्तराखंड में 7 लाख लीटर केमिकल युक्त दूध बेचा. जिसे यूपी के बदायूं की नीलकंठ डेयरी से मंगाया गया था. शिकायत की जांच करने पर दूध के सारे सैंपल फेल पाए गए. दूध में अल्कोहल की मात्रा काफी ज्यादा पाई गई. जिसकी वजह से कई दूध मुंहे बच्चों और बुजर्गों के स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ा. लिहाजा, पूरे मामले की जांच कराई जाए.

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दरअसल, नैनीताल के लालकुआं निवासी नरेंद्र सिंह कार्की ने नैनीताल हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की है. जिसमें उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा है कि नैनीताल दुग्ध संघ में चरम सीमा पर भ्रष्टाचार कर लोगों की सेहत से खिलवाड़ किया जा रहा है. जिसमें प्रदेशवासियों को मिलावटी दूध की सप्लाई की जा रही है. इस दूध को पीने से लोगों के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है. जिसमें साल 2020 के अंतिम 3 महीने में करीब 7 लाख लीटर दूध के जांच के बाद सभी मानक फेल होने के बावजूद प्रदेशभर में दूध की सप्लाई की गई.

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याचिकाकर्ता का ये आरोप है कि दुग्ध उत्पादन संघ के चेयरमैन फर्जी तरीके से बिना सदस्यता अर्जित कर चेयरमैन बने हुए हैं. इन्होंने कभी भी संघ के लिए दूध की सप्लाई नहीं की है. जबकि, नियमावली में प्रावधान है कि इसमें वही इसके सदस्य होंगे, जो दूध बेचते हैं, लेकिन अध्यक्ष ने बिना दूध बेचे, इसकी सदस्यता ग्रहण कर चेयरमैन की अध्यक्षता ग्रहण कर ली. चेयरमैन पर ये भी आरोप है कि दुग्ध सप्लाई के लिए जिन टैंकरों का इस्तेमाल किया जा रहा है, उनका ठेका अपने भाई के नाम से लिया हुआ है.

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