हाल ही में उत्तराखंड हाईकोर्ट ने हल्द्वानी के बनभूलपुरा गफूर बस्ती में रेलवे की 29 एकड़ भूमि पर किए गए अतिक्रमण को ध्वस्तीकरण करने के आदेश दिए थे। आदेश के बाद से ही लोग आशियाना बचाने के लिए हर संभव कोशिश कर रहे थे।
उत्तराखंड के हल्द्वानी के बनभूलपुरा में रेलवे की 78 एकड़ जमीन से 4000 परिवारों को बेदखल करने के उत्तराखंड हाईकोर्ट के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल रोक लगा दी है। शीर्ष अदालत के इस आदेश के बाद 4000 परिवारों के आशियानों को फिलहाल नहीं उजाड़ा जाएगा। सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस भेजते हुए उत्तराखंड सरकार ओर रेलवे से इस मामले पर जवाब मांगा है। कोर्ट ने कहा कि रातों रात आप 50 हजार लोगों को नहीं हटा सकते। यह एक मानवीय मामला है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हमें कोई व्यावहारिक समाधान ढूंढना होगा। समाधान का ये यह तरीका नहीं है। जमीन की प्रकृति, अधिकारों की प्रकृति, मालिकाना हक की प्रकृति आदि से उत्पन्न होने वाले कई कोण हैं, जिनकी जांच होनी चाहिए। इन्हें हटाने के लिए केवल एक सप्ताह का समय काफी कम है। पहले उनके पुनर्वास पर विचार हो। बता दें कि जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस अभय एस. ओक की बेंच इस मामले की सुनवाई कर रही थी। अब अगली सुनवाई सात फरवरी को होगी।
जो लोग 50-60 सालों से रह रहे उनका क्या होगा?: सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उत्तराखंड सरकार का स्टैंड क्या है इस मामले में? शीर्ष अदालत ने पूछा कि जिन लोगों ने नीलामी में जमीन खरीदी है, उसे आप कैसे डील करेंगे? लोग 50/60 वर्षों से वहां रह रहे हैं। उनके पुनर्वास की कोई योजना तो होनी चाहिए।
स्कूलों-कॉलेजों को इस तरह से नहीं गिरा सकते: सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उस जमीन पर आगे कोई निर्माण नहीं होगा। पुनर्वास योजना को ध्यान में रखा जाना चाहिए। ऐसे स्कूल, कॉलेज और अन्य ठोस ढांचे हैं जिन्हें इस तरह नहीं गिराया जा सकता है।
याचिकाकर्ता के वकील ने दी दलील
वहीं इस दौरान याचिकाकर्ता के वकील कॉलिन गोंजाल्विस ने दलील देते हुए कहा कि प्रभावित होने वाले लोगों का पक्ष पहले भी नहीं सुना गया था और फिर से वही हुआ। हमने राज्य सरकार से हस्तक्षेप की मांग की थी। उन्होंने कहा कि ये भी साफ नहीं है कि ये जमीन रेलवे की है। हाईकोर्ट के आदेश में भी कहा गया है कि ये राज्य सरकार की जमीन है। इस फैसले से हजारों लोग प्रभावित होंगे।
जानें क्या है हल्द्वानी रेलवे भूमि अतिक्रमण विवाद
इस विवाद की शुरुआत उत्तराखंड हाईकोर्ट के एक आदेश के बाद हुई। इस आदेश में रेलवे स्टेशन से 2.19 किमी दूर तक अतिक्रमण हटाए जाने का फैसला दिया गया। खुद अतिक्रमण हटाने के लिए सात दिन की मोहलत दी गई थी। जारी नोटिस में कहा गया है कि हल्द्वानी रेलवे स्टेशन 82.900 किमी से 80.710 किमी के बीच रेलवे की भूमि पर सभी अनाधिकृत कब्जों को तोड़ा जाएगा।
उत्तराखंड के हल्द्वानी में बनभूलपुरा व गफूर बस्ती में बुलडोजर चलाने पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है। रेलवे की 29 एकड़ जमीन से अतिक्रमण हटाने के हाईकोर्ट
- सुप्रीम कोर्ट ने आज मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि इस मामले में मानवीय एंगल जुड़ा है और बुलडोजर चलाकर एकदम सभी 50 हजार लोग कैसे हटेंगे।
- शीर्ष न्यायालय ने आगे उत्तराखंड हाई कोर्ट के फैसले पर रोक लगाते हुए कहा कि वे इस मामले में अभी और सुनवाई करेंगे और 7 फरवरी की अगली तारीख भी दी।
- सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि रातोंरात 50 हजार लोग आखिर कैसे हटाए जा सकते हैं।
- कोर्ट ने मामले में रेलवे और उत्तराखंड सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा।
- न्यायमूर्ति एस के कौल और न्यायमूर्ति ए एस ओका की पीठ ने कहा कि यह एक ‘मानवीय मुद्दा’ है और पुनर्वास योजना जैसे कुछ व्यावहारिक समाधान खोजने की जरूरत है।
- उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी ने फैसला आने पर कहा कि वे इस बात पर कायम है कि यह रेलवे की जमीन है। धामी ने कहा कि हम कोर्ट के आदेश के अनुसार आगे बढ़ेंगे।
- उच्च न्यायालय ने पिछले साल 20 दिसंबर को हल्द्वानी के बनभूलपुरा में रेलवे की अतिक्रमण की गई जमीन पर निर्माण को गिराने का आदेश दिया था।
- रेलवे के आदेश के अनुसार अतिक्रमणकारियों को एक सप्ताह का नोटिस देने के बाद अतिक्रमणों को तोड़ने की बात कही गई थी।
- SC में निवासियों द्वारा दाखिल अर्जी में कहा गया था कि उच्च न्यायालय ने विवादित आदेश पारित करने में गंभीर गलती की है। याचिका में कहा गया था कि याचिकाकर्ताओं सहित कई लोगों के मामले जिला मजिस्ट्रेट के समक्ष अभी तक लंबित हैं।
- बता दें कि बनभूलपुरा में रेलवे की कथित अतिक्रमित 29 एकड़ जमीन पर धार्मिक स्थल, स्कूल, व्यापारिक प्रतिष्ठान और आवास हैं।
के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट अभी और सुनवाई करेगा। रेलवे ने इस जमीन पर 50000 लोगों द्वारा कब्जा करने की बात कही है। उन्होंने इसी को लेकर हाईकोर्ट का रुख किया था, जहां जमीन से कब्जा हटाने की बात कही गई थी। सुनवाई के दौरान आज शीर्ष न्यायालय ने मानवीय एंगल को देखते हुए फिलहाल बुलडोजर न चलाने का आदेश दिया है। अब मामले में अगली सुनवाई 7 फरवरी को होगी। कोर्ट द्वारा कई बाते इस सुनवाई में कही गई