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खर्राटे लेना एक आम समस्या है, जो कई कारणों के चलते हो सकती है। कई बार सर्दी-जुकाम के चलते नाक बंद होने पर व्यक्ति को सोते समय खर्राटे आ सकते हैं, वायुमार्ग बाधित होने पर सोते समय नाक से तेज आवाज आ सकती है, इन सब से अलग एलर्जी या श्वसन संक्रमण जैसे अस्थायी कारकों के कारण भी नींद के दौरान खर्राटे आने की समस्या व्यक्ति को परेशान कर सकती है।

यानी कई मामलों में ऐसा होना नॉर्मल है, लेकिन अगर आपको शरीर में कुछ खास बदलाव महसूस हो रहे हैं और उनके साथ खर्राटे आने की परेशानी बढ़ गई है, तो बता दें कि ये कई गंभीर बीमारियों की ओर इशारा हो सकता है। आइए जानते हैं इनके बारे में विस्तार से-

क्या कहते हैं एक्सपर्ट?

मामले को लेकर इंडियन एक्सप्रेस संग हुई एक खास बातचीत के दौरान इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल, नई दिल्ली में वरिष्ठ सलाहकार और आंतरिक चिकित्सा डॉ सुरनजीत चटर्जी ने बताया, ‘सोते समय खर्राटे आना आम बात है, लेकिन कुछ खास मामलों में ये गंभीर बीमारियों की और इशारा हो सकते हैं। वहीं, इस तरह की स्थिति में तुरंत डॉक्टर से परामर्श करना जरूरी हो जाता है।’

कब है खतरनाक?

डॉ चटर्जी के मुताबिक, अगर आपको सोते समय सांस लेने में तकलीफ होती है, खासकर रात में या सुबह के समय लगातार खांसी होती है, बिस्तर पर लेटने पर या रोजमर्रा के काम करते हुए सीने में जकड़न या बेचैनी का एहसास परेशान करता है, दिनभर थकान बनी रहती है और इन तमाम समस्याओं के साथ आप नींद के दौरान जोर-जोर से खर्राटे लेते हैं या सांस लेने में रुकावट महसूस करते हैं, तो अधिक देरी किए बिना तुरंत डॉक्टर से जांच करा लें।

इन बीमारियों का हो सकते हैं लक्षण

अस्थमा

डॉ. चटर्जी के मुताबिक, इन तमाम परेशानियों के साथ खर्राटे आना अस्थमा की ओर इशारा हो सकता है। वहीं, अस्थमा की समय रहते पहचान कर सही इलाज कराना बेहद जरूरी है, ऐसे में ये लक्षण नजर आने पर तुरंत डॉक्टर से जांच करा लें।

क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी)

सीओपीडी फेफड़ों और वायुमार्ग में सूजन का कारण बनने वाली एक स्थिति है। इससे पीड़ित शख्स जब सांस लेता है (सांस छोड़ता है), तब फेफड़ों से वायु प्रवाह की दर में लगातार कमी होती जाती है। इसे क्रोनिक एयरफ़्लो ऑब्सट्रक्शन कहा जाता है। इस स्थिति में भी जांच और सही इलाज जरूरी है।

श्वसन संक्रमण

वायरल या बैक्टीरियल संक्रमण, जैसे ब्रोंकाइटिस या निमोनिया के चलते वायुमार्ग में सूजन और बलगम का निर्माण बढ़ सकता है, जिससे भी आपको इस तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।

हार्ट फेलियर का बढ़ जाता है खतरा

इन सब से अलग खर्राटों के साथ-साथ शरीर में नजर आने वाले ये बदलाव हार्ट फेलियर के खतरे की ओर भी इशारा हो सकते हैं। डॉ चटर्जी के मुताबिक, ये लक्षण उस स्थिति में भी नजर आ सकते हैं, जब आपके हार्ट में किसी तरह की परेशानी आने पर ये शरीर के कामकाज के लिए पर्याप्त रक्त पंप नहीं कर पाता है। इससे फेफड़ों में तरल पदार्थ जमा हो सकता है, जिससे आपके लिए सांस लेना मुश्किल हो जाता है और इसके परिणामस्वरूप खर्राटे, सुबह-शाम खांसी और सांस लेने में तकलीफ, सीने में जकड़न जैसी परेशानियां बढ़ सकती है। ऐसे में स्थिति जानलेवा होने से पहले ही जांच करा लें।

शीघ्र हस्तक्षेप यानी समय रहते सही जांच से स्थिति को प्रबंधित करने और संभावित जटिलताओं को रोकने में मदद मिल सकती है, ऐसे में एक बार डॉक्टर से सलाह जरूर लें

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