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ग्लोबल फाइनेंशियल सर्विसेज कंपनी बार्कलेज ने कहा है कि भारतीय अर्थव्यवस्था का आने वाले कुछ बरसों में दुनिया की कुल जीडीपी में योगदान बढ़ता जाएगा. जबकि इस मियाद में चीन का योगदान कम होता चला जाएगा.

वैश्विक सुस्ती से बेफिक्र भारतीय अर्थव्यवस्था दुनिया में सबसे तेजी से दौड़ती प्रमुख इकोनॉमी है. इसकी रफ्तार हर किसी को हैरान करते हुए सभी अनुमानों के पार निकल गई है. भारतीय अर्थव्यवस्था (Indian Economy) के दमखम को देखकर देश और विदेशी की दिग्गज रेटिंग एजेंसियां विकास दर के पूर्वानुमानों में बदलाव करके उन्हें बढ़ा रही हैं. तीसरी तिमाही की विकास दर के आंकड़े जारी करते हुए NSO ने 2023-24 में भारत की इकॉनमी की रफ्तार 7.6 परसेंट होने का अनुमान जताया था.

लेकिन इसके बाद RBI गवर्नर ने कहा था कि भारत की विकास दर सबको चौंकाते हुए 8 फीसदी के नजदीक पहुंच सकती है. अब यही अनुमान ग्लोबल रेटिंग एजेंसी मूडीज ने जताते हुए भारत की GDP ग्रोथ 8 फीसदी रहने की बात कही है. इसी अनुमान के साथ ताल मिलाते हुए ग्लोबल फाइनेंशियल सर्विसेज कंपनी बार्कलेज ने कहा है कि भारतीय अर्थव्यवस्था का आने वाले कुछ बरसों में दुनिया की कुल जीडीपी में योगदान बढ़ता जाएगा. वहीं बार्कलेज ने कहा है कि इस मियाद में चीन का योगदान कम होता चला जाएगा. बार्कलेज के मुताबिक चीन की विकास दर अगले पांच साल के दौरान भारत की ग्रोथ से कम रहने का अनुमान है.

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5 साल तक 8% रहेगी विकास दर
बार्कलेज ने भारतीय अर्थव्यवस्था की ताकत का बखान करते हुए कहा है कि 2024 से 2028 तक देश में 8 फीसदी की दर से विकास करने की क्षमता है. रिपोर्ट में अनुमान जताया गया है कि लोकसभा चुनाव में किसी एक पार्टी को बहुमत मिलने से अगले कुछ साल के दौरान इकोनॉमिक पॉलिसी में कोई बदलाव नहीं होगा और सुधारों की रफ्तार तेज होने से विकास को ज्यादा मजबूती मिलेगी. अक्टूबर-दिसंबर तिमाही में भारत का ग्रोथ रेट 8.4 परसेंट रहने के बाद बार्कलेज ने 2023-24 के लिए भारत की विकास दर का अनुमान 6.7 फीसदी से बढ़ाकर 7.8 परसेंट कर दिया है.

ग्लोबल GDP में भारत का योगदान बढ़ेगा
बार्कलेज के मुताबिक फिलहाल ग्लोबल GDP में भारत का योगदान 10 फीसदी से ज्यादा है. अगर भारत 2028 तक 8 फीसदी की दर से विकास करने में कामयाब हो जाता है तो फिर 2028 तक वैश्विक GDP में भारत का योगदान बढ़कर 16 परसेंट हो सकता है. जबकि चीन की विकास दर लगातार घटने से ग्लोबल GDP में ड्रैगन का योगदान घटने का अनुमान है.

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अगर चीन 4-4.5 फीसदी की दर से विकास करता है तो वैश्विक जीडीपी में चीन का योगदान मौजूदा 33 परसेंट से कम होकर 2028 तक 26 फीसदी रह जाएगा. ऐसे में समझा जा सकता है कि ग्लोबल GDP में भारत और चीन की हिस्सेदारी 40 फीसदी से ज्यादा ही रहेगी लेकिन भारत और चीन के मौजूदा योगदान के अंतर में काफी कमी आ जाएगी जो भारत की बढ़ती आर्थिक ताकत का सबूत है.

सभी अनुमानों को पीछे छोड़ेगी भारतीय इकोनॉमी
बार्कलेज ने भारतीय GDP के आकार को लेकर भी अपनी रिपोर्ट में बड़ा दावा किया है. बार्कलेज के मुताबिक अगर भारत 2028 तक 8 परसेंट की विकास दर हासिल करने में कामयाब रहता है तो फिर इस दशक के आखिर तक भारतीय इकॉनमी का आकार बढ़कर 8 ट्रिलियन डॉलर का हो सकता है. अभी तक के अनुमानों के मुताबिक 2030 तक भारत की GDP का आकार 6.6 ट्रिलियन डॉलर का हो सकता है. हाल ही में आई क्रिसिल की रिपोर्ट में भी 2031 तक भारत को 6.7 ट्रिलियन डॉलर की इकॉनमी बनने का अनुमान लगाया गया था.

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बार्कलेज ने कहा है कि 8 फीसदी विकास दर हासिल करने के लिए भारत को अपनी बचत दर को GDP के 32.3 परसेंट तक लाना होगा. फिलहाल बचत दर जीडीपी के 30.2 फीसदी के बराबर है. वहीं भारत को अपनी वर्कफोर्स को 3.5 फीसदी की दर से बढ़ाने का सुझाव भी बार्कलेज ने दिया है जबकि ये फिलहाल महज एक फीसदी है. इसके साथ ही भारत को अपनी वर्कफोर्स में महिलाओं की भागीदारी को बढ़ाने का सुझाव भी इस रिपोर्ट में दिया गया है. ग्लोबल एक्सपोर्ट में भी देश को अपनी हिस्सेदारी मौजूदा 2.4 परसेंट से बढ़ाकर 4.5-5 फीसदी तक ले जानी होगी.