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मूल रूप से ओडिशा की रहने वाली डॉ. पल्लवी चिल्का ने आईआईटी कानपुर के हॉस्टल में सुसाइड कर लिया. उनका शव कमरे में पंखे से लटका मिला है. उनके परिजन अभी तक कानपुर नहीं पहुंचे हैं. पुलिस उनके आने का इंतजार कर रही है. फॉरेंसिक टीम को भी जांच के लिए मौके पर बुलाया गया था.

कानपुर आईआईटी की एक रिसर्च स्टाफ मेंबर ने पंखे से लटककर आत्महत्या कर ली. मृतका की पहचान डॉ. पल्लवी चिल्का के रूप में हुई है. वह इसी साल एक अगस्त को रिसर्चर के रूप में संस्थान के बायो साइंस और बायो इंजीनियरिंग विभाग से जुड़ी थीं. संस्थान में एक रिसर्च स्टाफ के मेंबर का शव मिलने से हड़कंप मच गया. पुलिस और फॉरेंसिक टीम ने मौके पर पहुंच कर मामले की जांच शुरू कर दी है. डीसीपी वेस्ट ने बताया कि जब पुलिस हॉस्टल पहुंची, तो कमरे का दरवाजा अंदर से बंद था. पुलिसकर्मी जब दरवाजा तोड़कर अंदर पहुंचे, तो देखा कि महिला का शव पंखे से लटका हुआ था. कल्याणपुर के थानेदार धनंजय पांडे ने बताया कि बॉडी को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है.

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पल्लवी के पिता मधुसूदन एलआईसी से रिटायर हैं. वह ओडिशा के रहने वाले हैं. फिलहाल मृतका के परिजन अभी तक कानपुर नहीं पहुंचे हैं. परिजनों से बात कर प्रतिक्रिया ली जाएगी. परिवार वालों ने अभी कोई आरोप नहीं लगाया है. पल्लवी के भाई ने कहा कि उसे कोई टेंशन नहीं थी. आईआईटी कानपुर द्वारा जारी बयान के अनुसार, डॉ. पल्लवी चिल्का संस्थान के जैविक विज्ञान और बायोइंजीनियरिंग विभाग में अपने पोस्ट डॉक्टरल शोध को आगे बढ़ाने का काम कर रही थीं. वह 19 दिसंबर को अपने हॉस्टल के कमरे में मृत पाई गई थीं.

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पुलिस की एक फॉरेंसिक टीम ने मौत के कारण की जांच करने के लिए मौके पर पहुंची है. संस्थान मौत का संभावित कारण निर्धारित करने के लिए पुलिस जांच का इंतजार कर रहा है. डॉ. चिल्का के निधन से संस्थान ने एक प्रतिभाशाली और होनहार युवा शोधकर्ता खो दिया है.

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इस बार भी नहीं मिला कोई सुसाइड नोट 

हैरानी की बात है कि इस बार भी आईआईटी कैंपस में हुई इस घटना के बाद कोई सुसाइड नोट नहीं मिला है. आईआईटी में पिछले 15 सालों से 15 से ज्यादा छात्र-छात्राएं सुसाइड कर चुके हैं. मगर, किसी भी केस में कोई सुसाइड नोट नहीं मिलता है. इस बार भी कोई सोसाइटी नहीं मिला है.

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