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गोवा में एससीओ बैठक की शुरुआत में विदेश मंत्री जयशंकर ने जब बिलावल से हैंडशेक करने की बजाय दूर से नमस्ते कर उनका अभिवादन किया. तो दोनों देशों के बीच की तल्खी साफ जाहिर हुई. लेकिन जब एससीओ बैठक के बाद जयशंकर ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की तो उन्होंने एक-एक कर पाकिस्तान के दोहरे मानदंड की परतें उधेड़ दी.

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पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की बैठक में शिरकत करने भारत पहुंचे. यहां उन्होंने कश्मीर से लेकर आतंकवाद पर बड़ी-बड़ी बातें कह डाली. लेकिन भारत के विदेश मंत्री जयशंकर ने उन्हें जो दो टूक जवाब दिया, उसकी उम्मीद शायद पाकिस्तान को भी नहीं थी.

गोवा में एससीओ बैठक की शुरुआत में विदेश मंत्री जयशंकर ने जब बिलावल से हैंडशेक करने की बजाय दूर से नमस्ते कर उनका अभिवादन किया. तो दोनों देशों के बीच की तल्खी साफ जाहिर हुई. इसी घटना पर जब बिलावल से सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि जब तक भारत कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाने के अपने फैसले पर संशोधन नहीं करता है, तब तक पाकिस्तान, भारत के साथ द्विपक्षीय वार्ता करने की स्थिति में नहीं है.

लेकिन जब एससीओ बैठक के बाद जयशंकर ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की तो उन्होंने एक-एक कर पाकिस्तान के दोहरे मानदंड की परतें उधेड़नी शुरू कर दी. जयशंकर ने कहा कि एससीओ सदस्य देश के विदेश मंत्री के तौर पर बिलावल के साथ वैसा ही बर्ताव किया गया है. आतंकवाद के मामले में पाकिस्तान की विश्वसनीयता उसके विदेशी मुद्रा भंडार की तुलना में तेजी से घट रही है.

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आतंक की इंडस्ट्री के प्रवक्ता

जयशंकर ने पाकिस्तान और बिलावल को खरी-खोटी सुनाते हुए कहा कि एससीओ बैठक में बिलावल के साथ विदेश मंत्री के तौर पर बर्ताव किया गया. वह आतंकी इंडस्ट्री के प्रवक्ता हैं. पाकिस्तान की किसी भी बात पर भरोसा नहीं किया जा सकता. आतंक के पीड़ित और साजिशकर्ता एक साथ बैठकर बातचीत नहीं कर सकते.

बिलावल भुट्टो ने हिंदुस्तान की जमीं से कश्मीर पर भी बात की. उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर से आर्टिकल 370 हटना भारत और हिंदुस्तान के बीच विवाद बढ़ने के मुख्य कारणों में से एक है. इस पर जयशंकर ने कहा कि आर्टिकल 370 अब इतिहास है. इसे जितनी जल्दी समझे लें, उतना अच्छा है.
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एससीओ बैठक की शुरुआत में जिस तरह से जयशंकर ने हाथ मिलाने की बजाय बिलावल को नमस्ते किया. वह काफी चर्चा में रहा. लेकिन जयशंकर ने सिर्फ बिलावल ही नहीं बल्कि रूस के विदेश मंत्री लावरोग और चीन के विदेश मंत्री से भी हाथ नहीं मिलाया था. लेकिन रूस और चीन के विदेश मंत्रियों की तुलना में पाक के विदेश मत्री बिलावल को नमस्ते करने में जमीन आसमान का अंतर रहा.

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जयशंकर और बिलावल के तीन सेकंड के वीडियो को देखकर पता लगाया जा सकता है कि जयशंकर ने बिलावल से मिलने में किसी तरह की गर्मजोशी नहीं दिखाई. जबकि बिलावल उनसे मिलते हुए अपने सीने पर हाथ रखते हुए भी नजर आए.

वहीं, रूस और चीन के विदेश मत्रियों से जयशंकर ने मुस्कुराकर गर्मजोशी से हाथ जोड़कर अभिवादन किया. जयशंकर ने इन दोनों से कुछ सेकंड बात भी की. लेकिन यह गर्मजोशी बिलावल के साथ मुलाकात में गायब रही.

कश्मीर या आटा

एक तरफ जहां गोवा में एक छत के नीचे भारत और पाकिस्तान के विदेश मंत्री मौजूद थे. वहीं, पाकिस्तान की अवाम आटे के लिए तरस रही थी. इस दौरान जब एक पत्रकार ने पाकिस्तानी अवाम से कश्मीर और आटे में से किसी एक को चुनने को कहा तो पाकिस्तानी जनता ने आटे को चुना. पाकिस्तान में जिस तरह महंगाई के हालात हैं, वहां के लोग जरूरी सामानों के लिए भी त्रस्त हैं. ऐसे में कश्मीर जैसा मुद्दा भी वहां के लोगों के लिए गौण हो गया है.

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कैसे रहे हैं दोनों देशों के रिश्ते?

1947 में दोनों देशों के आजाद होने के बाद से ही रिश्ते तनावपूर्ण रहे हैं. दोनों देश अब तक तीन युद्ध लड़ चुके हैं. इनमें से दो युद्ध कश्मीर के लिए हुए हैं.

भारत और पाकिस्तान के रिश्ते काफी तल्ख भरे रहे हैं. आखिरी बार 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होने के लिए पाकिस्तान के तब के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ भारत आए थे. उनके बाद से किसी भी पाकिस्तानी नेता ने भारत का दौरा नहीं किया है.

हालांकि, इसके बाद 2015 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नवाज शरीफ की नातिन मेहरुन्निसा की शादी में शामिल होने पाकिस्तान पहुंचे थे. उसी दिन नवाज शरीफ का जन्मदिन भी था. प्रधानमंत्री मोदी का ये दौरा अचानक हुआ था.

2016 में उरी हमला और फिर 2019 में पुलवामा हमले के बाद रिश्ते और बिगड़ गए. पुलवामा हमले के बाद दोनों देशों के बीच जंग जैसे हालात बन गए थे. अमेरिका के पूर्व विदेश मंत्री माइस पॉम्पियो ने दावा किया था कि इस हमले के बाद भारत और पाकिस्तान परमाणु युद्ध के करीब आ गए थे.

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