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उत्तराखंड कांग्रेस पर बीते कुछ दिन भारी पड़े हैं। इस दौरान एक विधायक, चार पूर्व विधायक, एक पूर्व सांसद प्रत्याशी और दो विधानसभा प्रत्याशी कांग्रेस का हाथ छोड़ चुके हैं। खास बात यह है कि ज्यादातर ने अपने त्यागपत्र में महज दो लाइन में ही व्यक्तिगत कारणों से प्राथमिक सदस्यता छोड़ने की जानकारी भर दी है।

कांग्रेस को लगने वाले झटकों की शुरुआत 28 जनवरी को पूर्व विधायक शैलेंद्र रावत के त्यागपत्र के साथ हुई। इसके बाद आठ मार्च को पौड़ी से पिछली बार लोकसभा चुनाव लड़े मनीष खंडूड़ी ने इस सिलसिले को आगे बढ़ाया।

तब से विधायक राजेंद्र भंडारी, पूर्व विधायक विजयपाल सिंह सजवाण, मालचंद, धन सिंह नेगी और गत विधानसभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी रहीं लक्ष्मी राणा और अनुकृति गुसाईं भी कांग्रेस का साथ छोड़ चुकी हैं।खास बात यह है कि किसी ने भी त्यागपत्र में कांग्रेस के प्रति अपनी नाराजगी या कोई और वजह नहीं बताई है।

सबने दो लाइन में व्यक्तिगत कारणों से पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से त्यागपत्र देने की बात कही है। राजेंद्र भंडारी के त्यागपत्र में तो कोई वजह भी नहीं बताई है। कांग्रेस नेता त्यागपत्र की एक जैसी भाषा होने पर हैरानी जता रहे हैं।

धन सिंह नेगी के पत्र में भाजपा का चुनाव चिह्न
रविवार को कांग्रेस का साथ छोड़ने वाले टिहरी के पूर्व विधायक धन सिंह नेगी ने जो त्यागपत्र भेजा है, इसमें तो भाजपा का कमल निशान भी छपा हुआ है।

धन सिंह नेगी पूर्व में भाजपा से ही विधायक निर्वाचित हुए, वो ठीक विधानसभा चुनाव से पहले ही कांग्रेस में गए थे। उन्होंने विधायक वाले लेटर हेड पर ही हाथ से लिखकर कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष को त्यागपत्र भेज दिया है। उनके त्यागपत्र में भी व्यक्तिगत कारणों का हवाला दिया गया है।

आश्चर्यजनक है कि सभी त्यागपत्र में एक जैसी भाषा लिखी गई है। ऐसा लगता है कि जैसे किसी एक ही व्यक्ति ने सबके त्यागपत्र टाइप किए हैं। राजेंद्र भंडारी को तो भाजपा में शामिल होते समय लिखा हुआ बयान पढ़ना पड़ा, इससे साफ है कि यह सारा खेल कहां से रचा जा रहा है। जनता को सबकी हकीकत मालूम है।
मथुरा दत्त जोशी, कांग्रेस प्रदेश उपाध्यक्ष संगठन -प्रशासन

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