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मेडिकल स्टोर संचालकों ने अपनी दुकानें बंद रखी. संचालकों ने औषधि नियंत्रण विभाग की कार्रवाई के विरोध में स्टोर बंद रखे. विभाग ने कार्रवाई में 8 स्टोर पर दवाइयों के क्रय-विक्रय पर रोक लगाई है.

मेडिकल स्टोर पूर्ण तरह से बंद रहे. मेडिकल संचालकों ने औषधि नियंत्रण विभाग की उस कार्रवाई के विरोध में मेडिकल स्टोर बंद रखे, जिसमें उनके स्टोरों से दवाइयों के क्रय-विक्रय करने पर रोक लगा दी है. जबकि विभाग का कहना है कि कई स्टोरों पर मेडिकल डिवाइस लाइसेंस न मिलने और मानकों का पालन न करने पर कार्रवाई की गई है.

यह था पूरा मामला: 

मंगलवार को औषधि नियंत्रण विभाग की टीम ने श्रीनगर में कई मेडिकल स्टोरों का औचक निरीक्षण किया. इस दौरान आठ मेडिकल स्टोरों में मेडिकल डिवाइस लाइसेंस न मिलने और अन्य मानकों का पालन न करने पर टीम की ओर से इन मेडिकल स्टोरों पर दवाइयों के क्रय-विक्रय पर रोक लगा दी. विभाग की इस कार्रवाई से श्रीनगर में हड़कंप मचा रहा. इसके विरोध में बुधवार को श्रीनगर और श्रीकोट स्थित करीब 40 से अधिक मेडिकल स्टोर पूरे दिन भर बंद रहे.

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विभाग की इस सख्ती पर मेडिकल स्टोर संचालकों का कहना है कि अक्टूबर 2022 में मेडिकल डिवाइस लाइसेंस की अनिवार्यता की गई. जिसको अभी तक पूरी तरह से अमल में नहीं लाए जाने के कारण मेडिकल स्टोर संचालक लाइसेंस की प्रक्रिया पूरी नहीं कर पाए हैं. उन्होंने कहा कि निरीक्षण के दौरान टीम के समक्ष भी इस बात को रखा गया और लाइसेंस बनाने की प्रक्रिया पूरी करने की बात उनके द्वारा कही गई. जिस पर टीम ने भी अपनी सहमति दी. लेकिन कुछ देर बाद टीम द्वारा रिपोर्ट तैयार कर उनसे क्रय-विक्रम न किए जाने के आदेश पर हस्ताक्षर करवा दिए गए. दरअसल ब्लड प्रेशर इंस्ट्रूमेंट, नेबुलाइजर, थर्मामीटर जैसे हेल्थ इक्विपमेंट मेडिकल स्टोर पर रखने के लिए स्वास्थ्य विभाग ने अलग लाइसेंस (मेडिकल डिवाइस लाइसेंस) बनाने का नियम रखा है.

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वहीं, वरिष्ठ औषधि निरीक्षक चंद्र प्रकाश नेगी ने बताया कि औचक निरीक्षण में मेडिकल डिवाइस लाइसेंस न मिलने व अन्य मानकों का पालन न किए जाने पर आठ मेडिकल स्टोर में क्रय-विक्रय पर रोक लगाकर उन्हें दिशा-निर्देश दिए गए हैं.

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प्रदेश में दवा व्यवसाय को बंद करने की चेतावनी: 

उत्तरांचल औषधि व्यवसायी महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष बीएम मनकोटी ने कहा कि यह लाइसेंस अभी कुछ समय पहले प्रक्रिया में लाया गया है. जो अभी पूरे प्रदेश में भी सही ढंग से लागू नहीं हुआ है. श्रीनगर को टारगेट करने से पहले विभाग की ओर से सभी केमिस्ट संचालकों को इसकी जानकारी और लाइसेंस बनाने की प्रक्रिया बतानी चाहिए. विभाग इसके लिए सभी को समय दे और बताए कि इसको बनाने की प्रक्रिया क्या होगी. यदि इसका समाधान जल्द नहीं किया गया तो महासंघ पूरे प्रदेश में दवा व्यवसाय को बंद करेगा.

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