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महाराष्ट्र के सीएम एकनाथ शिंदे ने मंगलवार को होटल ताज में राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक की. इसमें कई अहम प्रस्ताव पेश किए गए, जिसमें वीर सावरकर को भारत रत्न देने का प्रस्ताव भी शामिल है. इसके अलावा राज्य में सभी परियोजनाओं में 80 फीसदी रोजगार भूमिपुत्रों, स्थानीय युवाओं को देने, मराठी भाषा को कुलीन भाषा का दर्जा देने के प्रस्ताव भी लाए गए.

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शिवसेना का नाम और पार्टी का चुनाव चिह्न आवंटित होने के बाद महाराष्ट्र के सीएम एकनाथ शिंदे ने मंगलवार को होटल ताज में राष्ट्रीय कार्यकारिणी की पहली बैठक की गई. इसमें कई अहम प्रस्ताव पेश किए गए, जिसमें वीर सावरकर को भारत रत्न देने का प्रस्ताव भी शामिल है. सबसे पहले इसकी मांग शिवसेना के लोकसभा दल के नेता सांसद राहुल शेवाले ने की थी.

इसके अलावा बैठक में चर्चगेट रेलवे स्टेशन का नाम पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री चिंतामनराव देशमुख के नाम पर करने, राज्य में सभी परियोजनाओं में 80 फीसदी रोजगार भूमिपुत्रों, स्थानीय युवाओं को देने, मराठी भाषा को कुलीन भाषा का दर्जा देने और यूपीएससी व एमपीएससी के लिए मराठी छात्रों को मजबूत समर्थन देने के प्रस्ताव लाए गए.

शिंदे फिर चुने गए शिवसेना के मुख्य नेता

राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में एकनाथ शिंदे को फिर से शिवसेना का मुख्य नेता नियुक्त किया गया. सर्वसम्मति से शिवसेना के सभी विधायी अधिकार शिंदे को दिए गए. उद्धव ठाकरे द्वारा धारित कार्यकारी अध्यक्ष (कार्यवाहक) और पार्टी प्रमुख (पक्षा प्रमुख) के पदों को खत्म किया जाएगा.

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EC ने शिवसेना का नाम, पार्टी चिह्न ठाकरे से छीना 

17 फरवरी को चुनाव आयोग के फैसले के बाद शिवसेना का नाम और पार्टी का निशान उद्धव ठाकरे से छिन गया था. अपने 78 पेज के फैसले में निर्वाचन आयोग ने कहा था कि विधान मंडल के सदन से लेकर संगठन तक में बहुमत शिंदे गुट के ही पास दिखा है. आयोग के सामने दोनों पक्षों ने अपने-अपने दावे और उनकी पुष्टि के लिए दस्तावेज प्रस्तुत किए थे.

एकनाथ शिंदे गुट के पास एकीकृत शिवसेना के टिकट पर जीत कर आए कुल 55 विजयी विधायकों में से 40 आमदार यानी विधायक हैं. पार्टी में कुल 47,82,440 वोटों में से 76 फीसदी यानी 36,57,327 वोटों के दस्तावेज शिंदे गुट ने अपने पक्ष में पेश कर दिए.

उद्धव ठाकरे गुट ने शिवसेना पर पारिवारिक विरासत के साथ ही राजनीतिक विरासत का दावा करते हुए 15 विधायकों और कुल 47,82,440 वोट में से सिर्फ 11,25,113 वोटों का ही दस्तावेजी सबूत पेश कर पाए थे. यानी कुल 23.5 फीसदी वोट ही ठाकरे गुट के पास थे. शिवसेना के कुल 55 आमदार यानी विधायकों में सिर्फ 15 का समर्थन ठाकरे गुट के पास था.

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