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वन अधिकार समिति ने बिंदुखत्ता को राजस्व गांव बनाने की अधिसूचना जारी करने की मांग को लेकर देहरादून में मुख्य सचिव राधा रतूड़ी से मुलाकात की। मुख्य सचिव ने राजस्व सचिव को इस पर आवश्यक कार्यवाही के निर्देश दिए हैं, जिसके बाद वन अधिकार समिति खासी उत्साहित है। बिंदुखत्ता के राजस्व गांव बनाने की उम्मीद तेज हो गई है।

मंगलवार को वन अधिकार समिति के प्रतिनिधिमंडल ने सचिवालय में मुख्य सचिव रतूड़ी को ज्ञापन सौंप कर कहा कि अभिलेखीय प्रमाणों के अनुसार वन ग्राम बिंदुखत्ता वर्ष 1932 से पूर्व की बसासत है। वर्तमान में यहां लगभग 80 हजार से अधिक आबादी रहती है। पशुपालन एवं वन आधारित आजीविका पर निर्भर वनवासी समुदाय के परिवारों की शिक्षा के लिए सरकार ने वर्ष 1952 में प्राइमरी विद्यालय की स्थापना की थी।

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यही नहीं वन विभाग के अभिलेखों के अनुसार स्वयं वन विभाग ने तराई के दशकों पुराने अन्य खत्तों/गोठों को समेकित कर समय-समय पर यहां बसाया है। इन्हीं कारणों से अन्य परंपरागत वन निवासी की श्रेणी में आने वाले बिंदुखत्तावासियों को भी राजस्व ग्राम में मिलने वाली केंद्र व राज्य सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं का लाभ दिलाने के मकसद से इसी वर्ष फरवरी माह में बिंदुखत्ता को राजस्व ग्राम बनाने को मुख्यमंत्री की घोषणा में शामिल किया गया।

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जो कि मुख्यमंत्री घोषणा संख्या- 159/2024 में पंजीकृत है। इस संबंध में वर्ष 2011 की घोषणा संख्या 242/2011 का भी अभी तक निस्तारण नहीं हो सका है। बताया कि वन अधिकार अधिनियम के अंतर्गत वर्तमान में चल रही प्रक्रिया में 19 जून 2024 को जिला स्तर की समिति से स्वीकृति मिलने के बाद भी शासन स्तर पर कार्यवाही लंबित है, जिससे हजारों की आबादी सरकारी योजनाओं से वंचित है।

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इस पर मुख्य सचिव रतूड़ी ने राजस्व सचिव को बिंदुखत्ता राजस्व ग्राम के संबंध में अधिसूचना जारी करने को लेकर आवश्यक कार्यवाही के निर्देश दिए। शिष्टमंडल में भुवन भट्ट, बसंत पांडेय, डॉ. यशवंत कोश्यारी, उमेश भट्ट मौजूद रहे। इससे पूर्व बीती 11 सितंबर को भी वन अधिकार समिति ने मुख्य सचिव को ज्ञापन सौंपा था।