प्रदेश सरकार पांच सौ से ज्यादा अशासकीय स्कूलों को पूर्ण अनुदान दे रही है। जबकि सैकड़ों और स्कूल भी सरकार पर पूर्ण अनुदान के लिए दबाव बनाए हुए हैं, लेकिन शिक्षा निदेशालय की ओर से शासन को जो प्रस्ताव भेजा गया है, उसमें इन स्कूलों के लिए प्रोत्साहन राशि के रूप में टोकन अनुदान बढ़ाए जाने का प्रस्ताव है, इनके लिए पूर्ण अनुदान का कोई प्रस्ताव नहीं है।
राज्य सरकार नए अशासकीय स्कूलों को दोगुना टोकन अनुदान देगी। शिक्षा निदेशालय ने नई अनुदान सूची में आने वाले स्कूलों के लिए शासन को जो प्रस्ताव भेजा है, उसमें टोकन अनुदान को तीन से बढ़ाकर छह लाख रुपये करने की सिफारिश की गई है।
वर्तमान में प्रदेश सरकार पांच सौ से ज्यादा अशासकीय स्कूलों को पूर्ण अनुदान दे रही है। जबकि सैकड़ों और स्कूल भी सरकार पर पूर्ण अनुदान के लिए दबाव बनाए हुए हैं, लेकिन शिक्षा निदेशालय की ओर से शासन को जो प्रस्ताव भेजा गया है, उसमें इन स्कूलों के लिए प्रोत्साहन राशि के रूप में टोकन अनुदान बढ़ाए जाने का प्रस्ताव है, इनके लिए पूर्ण अनुदान का कोई प्रस्ताव नहीं है।
विभागीय अधिकारियों के मुताबिक अशासकीय जूनियर हाईस्कूल स्तर पर प्रति छात्र दो हजार रुपये या अधिकतम हर साल दो लाख रुपये, हाईस्कूल स्तर पर चार लाख रुपये और इंटरमीडिएट स्तर पर छह लाख रुपये देने का प्रस्ताव है।
पूर्ण अनुदान नहीं मिलने से बच्चों पर पड़ेगा भार
माध्यमिक शिक्षक संघ चमोली के जिलाध्यक्ष दिग्पाल सिंह गड़िया के मुताबिक सरकार को स्कूलों को पूर्ण अनुदान देना चाहिए। यदि पूर्ण अनुदान मिलेगा तो स्कूल पूरी तरह से सरकारी नियमों का पालन करेंगे, बच्चों से कोई शुल्क नहीं लेंगे। यदि टोकन अनुदान दिया गया तो यह शिक्षकों के बीच कैसे बंटेगा। स्कूलों को मिलने वाली इतनी कम धनराशि से बच्चों पर फीस का व्यय भार पड़ेगा।
पूर्ण अनुदान में मिलते हैं डेढ़ से दो करोड़
माध्यमिक शिक्षक संघ देहरादून के जिला मंत्री अनिल नौटियाल के मुताबिक पूर्ण अनुदान वाले स्कूलों को सरकार हर साल शिक्षक और कर्मचारियों के वेतन के रूप में डेढ़ से दो करोड़ रुपये देती है। नए अनुदानित स्कूलों को हर साल प्रोत्साहन राशि के रूप में छह लाख रुपये से शिक्षकों का एक महीने का वेतन भी नहीं निकल पाएगा।