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उत्तराखंड हाईकोर्ट की हल्द्वानी दंगा के मुख्य साजिशकर्ता अब्दुल मलिक की जमानत अर्जी पर अब खण्डपीठ  सुनवाई करेगी। एकलपीठ ने सोमवार को याचिका खारिज कर दी है।

एकलपीठ ने इस मामले में बीते शुक्रवार को सुनवाई पूरी कर निर्णय शुरक्षित रख लिया था। जो आज दिया गया। आरोपी की ओर से सेशन कोर्ट के आदेश को उच्च न्यायालय में चुनौती दी गयी है।

न्यायमूर्ति रवीन्द्र मैठाणी की एकलपीठ में इस मामले में सुनवाई हुई। आरोपी की ओर से सुप्रीम कोर्ट  के वरिष्ठ अधिवक्ता और कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद की ओर से पैरवी की गयी लेकिन जमानत पर सुनवाई से पहले सहायक सरकारी (एजीए) अधिवक्ता मनीषा सिंह राणा की ओर से याचिका की मेंटेनेबिलिटी पर सवाल उठाया दिया गया। उन्होंने कहा कि आरोपी पर यूएपीए जैसे गंभीर मामले दर्ज हैं और एनआईए एक्ट के तहत सेशन कोर्ट को विशेष कोर्ट के अधिकार प्राप्त हैं और सेशन कोर्ट के आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट की खण्डपीठ में चुनौती दी जा सकती है। इसी अपराध से जुड़े अन्य मामलों की सुनवाई भी खण्डपीठ कर रही है।

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इसका विरोध करते हुए आरोपी की ओर से कहा गया कि सेशन कोर्ट स्पेशल कोर्ट नहीं है। इसलिये एकलपीठ अपील पर सुनवाई कर सकती है। आगे यह भी कहा गया कि इस मामले में रेगुलर पुलिस जांच कर रही। उन मामलों में खण्डपीठ सुनवाई करती है जिसमे एनआईए ने जांच की हो और स्पेशल कोर्ट ने  सुनवाई की हो। यहां मामले की सुनवाई के बाद सेशन कोर्ट जमानत प्रार्थनपत्र खारीज कर दिया। इसलिए एकलपीठ को मामले की सुनवाई के अधिकार है। अदालत ने अपने निर्णय में सरकार के तर्क को सही ठहराते हुए कहा कि सेशन कोर्ट के आदेश को डबलबेंच में ही चुनौती दी जा सकती है।