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अतीक अहमद के बेटे असद और विकास दुबे के एनकाउंटर में कई समानताएं हैं. कारण, दोनों ही बदमाशों ने यूपी पुलिस पर हमला किया था और कई पुलिसकर्मियों की हत्या कर दी. वहीं दोनों लंबे समय तक पुलिस को चकमा देकर फरार रहे और आखिर में दोनों ही पुलिस की गोली का शिकार भी बने. तब भी पुलिस की कार्रवाई पर सवाल उठे थे और अब भी सवाल उठ रहे हैं.

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उमेश पाल हत्याकांड के 49वें दिन वही हुआ, जिसके बारे में हर कोई सोच रहा था. अतीक अहमद के तीसरे नंबर के बेटे असद और अतीक के शार्प शूटर गुलाम मुहम्मद को यूपी पुलिस की स्पेशल टास्क फोर्स यानी एसटीएफ ने एनकाउंटर में ढेर कर दिया. इससे पहले तक ये अटकलें लग रही थीं कि या तो अतीक अहमद का एनकाउंटर हो जाएगा या उसकी गाड़ी पलट जाएगी. उधर, देश का मीडिया अतीक अहमद की गाड़ी का पीछा करता रह गया और UP पुलिस ने उसके बेटे का एनकाउंटर कर दिया. इस बीच एक बार फिर बिकरू कांड के आरोपी विकास दुबे के एनकाउंटर की भी चर्चा शुरू हो गई है. तब गाड़ी पलटी थी और अब बदमाशों की बाइक पलटी है.

दरअसल, विकास दुबे भी यूपी में पुलिसवालों की हत्या कर फरार हो गया था. जब सरेंडर करने के बाद उसे मध्य प्रदेश से यूपी लाया जा रहा था तो जिस गाड़ी में वह बैठा था, वह पलट गई. तब पुलिस को चकमा देकर भाग रहे दुबे को पुलिस ने एनकाउंटर में ढेर कर दिया था. इसके बाद देशभर में गाड़ी पलटना चर्चित मुद्दा बन गया था. विपक्ष इस पर सवाल उठा रहा था तो आम लोग तारीफ कर रहे थे. वहीं बदमाशों में इसका खौफ नजर आने लगा. यही कारण है कि पिछले महीने के आखिर में जब अतीक अहमद को पहली बार साबरमती जेल से प्रयागराज लाया जा रहा था तो उसने कोर्ट में याचिका दाखिल कर गाड़ी पलटने और एनकाउंटर का खौफ जाहिर किया था. वहीं गुरुवार को झांसी में बाइक से जा रहे असद और गुलाम यूपी पुलिस की गोली का शिकार बन गए.

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असद और विकास दुबे के एनकाउंटर में कई समानताएं हैं. कारण, दोनों ही बदमाशों ने यूपी पुलिस पर हमला किया था और कई पुलिसकर्मियों की हत्या कर दी. वहीं दोनों लंबे समय तक पुलिस को चकमा देकर फरार रहे और आखिर में दोनों ही पुलिस की गोली का शिकार भी बने. तब भी पुलिस की कार्रवाई पर सवाल उठे थे और अब भी सवाल उठ रहे हैं. तब जाति को मुद्दा बनाया गया था तो अब मजहब पर राजनीति हो रही है. असद पुलिस से छिपा-छिपा घूम रहा था तो विकास दुबे भी पुलिस के हाथ न आकर मीडिया के सामने सरेंडर करना चाह रहा था. दोनों बदमाशों पर यूपी सरकार ने 5-5 लाख का इनाम घोषित किया था.

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अब आपको बताते हैं असद और विकास दुबे पर क्या-क्या आरोप थे. असद अहमद अतीक का तीसरा बेटा था और उसकी उम्र सिर्फ 19 साल थी. जब अतीक अहमद और उसके दोनों बड़े बेटे जेल गए तो यूपी में पूरे गैंग को असद अहमद चला रहा था. उम्र जरूर कम थी लेकिन उसके अपराध बहुत बड़े थे. असद उमेश पाल हत्या का आरोपी था और पिछले करीब डेढ महीने से फरार चल रहा था. पुलिस का कहना है कि हत्या के वक्त असद शूटरों के साथ ही था. उस पर यूपी सरकार ने पांच लाख का इनाम घोषित किया था.

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वहीं विकास दुबे की बात करें तो करीब 3 साल पहले कानपुर के बिकरू में 2 जुलाई 2020 को गैंगस्टर विकास दुबे और उसके साथियों ने उसे गिरफ्तार करने पहुंची पुलिस टीम पर गोलियां बरसाई थीं. इस हमले में 8 पुलिसकर्मियों की मौत हो गई थी. इनमें एक डीएसपी भी शामिल थे, जबकि कई पुलिसकर्मी जख्मी हो गए थे. विकास दुबे इस पूरे कांड का मुख्य आरोपी था. यूपी पुलिस ने इस वारदात के 8 दिन में विकास दुबे समेत 6 आरोपियों को एनकाउंटर में ढेर कर दिया था. बाद की जांच में ये बात सामने आई थी कि विकास दुबे और उसके सहयोगियों ने आपराधिक गतिविधियों के जरिए करोड़ों की संपत्ति अर्जित की थी. जिसके यूपी सरकार ने कुर्क कर दिया था.

कैसे पुलिस को चकमा देकर बचते रहे दोनों अपराधी

उमेश पाल हत्याकांड के बाद से ही असद और अन्य आरोपी फरार चल रहे थे. इस मामले में यूपी पुलिस ने कई टीमों का गठन किया था. असद और बाकि फरार आऱोपियों की तलाश में जगह-जगह छापेमारी की जा रही थी. कई राज्यों में इनकी तलाश जारी थी. STF ने दिल्ली में भी छापेमारी की थी. लेकिन उस दौरान ये दोनों अपराधी किसी तरह STF को चकमा देकर वहां से फरार हो गए और दिल्ली से ये लगभग साढ़े 400 किलोमीटर दूर अजेमर पहुंच गए. अजमेर में कुछ दिन रुकने के बाद ये झांसी में अपने एक सहयोगी के पास चले गए, जो अतीक अहमद का करीबी बताया जाता है.

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विकास दुबे भी बिकरू कांड के बाद से फरार चल रहा था. उसकी तलाश में भी पुलिस चप्पा-चप्पा छान रही थी. विकास को डर था कि यूपी पुलिस उसका एनकाउंटर कर देगी, इसलिए वह मीडिया के सामने सरेंडर करना चाहता था. उस दौरान माना जा रहा था कि वह नोए़डा आकर फिल्म सिटी में मीडिया हाउस के आगे सरेंडर कर सकता है. जिसके बाद नोएडा में पुलिस फोर्स अलर्ट हो गई थी. हालांकि वह यूपी पुलिस को चकमा देकर मध्य प्रदेश पहुंचा और उज्जैन के प्रसिद्ध महाकाल मंदिर में सीसीटीवी कैमरे के आगे सरेंडर किया था.

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कहां और कैसे मारे गए असद और विकास दुबे?

जब असद और गुलाम झांसी आए तो यूपी एसटीएफ को ये खबर मिली कि असद पुलिस के उस काफिले पर हमला करने की योजना बना रहा है, जिसमें उसके पिता अतीक अहमद को झांसी से होते हुए प्रयागराज ले जाया जा रहा है. इसी के बाद STF की टीम ने असद और उसके साथ की घेराबंदी करके उनका पीछा किया और गुरुवार दोपहर साढ़े 12 बजे के आसपास मुठभेड़ में मार गिराया. इस दौरान दोनों तरफ से 40 राउंड से अधिक फायरिंग हुई थी.

वहीं विकास दुबे की बात करें तो उसे उज्जैन से गिरफ्तार करके जब यूपी लाया जा रहा था तो यूपी एसटीएफ के साथ एनकाउंटर में उसकी मौत हो गई. एनकाउंटर 10 जुलाई 2020 को कानपुर से महज 17 किलोमीटर दूर भौती नाम की जगह पर हुआ था. सुबह करीब 7 बजे कानपुर सिटी में एंट्री के दौरान तेज बारिश के चलते काफिले की एक गाड़ी पलट गई थी. पुलिस के मुताबिक, गाड़ी पलटने के बाद विकास दुबे ने पुलिसवालों से हथियार छीना और भागने की कोशिश करने लगा. तभी पुलिस ने उसे चारों तरफ से घेर लिया. तो उसने पुलिस पर फायरिंग करने की कोशिश भी की. पुलिस ने कहा कि इसके बाद मौजूद जवानों ने आत्मरक्षा के दौरान गोली चलाई और विकास दुबे मारा गया.

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इस अधिकारी के नेतृत्व में ही हुए दोनों एनकाउंटर 

बता दें कि एसटीएफ की जिस टीम ने असद और विकास दुबे को ढेर किया है, उसे अमिताभ यश लीड कर रहे थे. अमिताभ यूपी एसटीएफ के चीफ हैं और उनके नाम 150 से अधिक अपराधियों को ढेर करने का रिकॉर्ड है. अमिताभ यश साल 1996 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं और उन्हें ‘एनकाउंटर स्पेशलिस्ट’ के तौर पर जाना जाता है. उनके नेतृत्व में ही एसटीएफ ने पहले विकास दुबे और अब अतीक अहमद के बेटे व गैंग के अन्य बदमाशों को ढेर किया है.

अमिताभ 2007 में मायावती सरकार में एसटीएफ एसएसपी बने थे. इस दौरान उन्‍होंने बुंदेलखंड के जंगलों में डकैत ददुआ के खिलाफ अभियान छेड़ा था और उसे मार गिराया. इसके अलावा उनकी टीम ने डकैत ठोकिया को भी मार गिराया. चित्रकूट के जंगलों को डकैतों से मुक्‍त कराने का श्रेय भी अमिताभ यश को जाता है. मई 2017 में योगी सरकार में वह STF के आईजी बने. इसके बाद जनवरी 2021 में वह एसटीएफ के एडीजी बन गए.

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दोनों एनकाउंटरों के तरीकों पर उठे सवाल

जब विकास दुबे की गाड़ी पलटी औऱ एनकाउंटर हुआ तो विपक्ष ने जमकर योगी सरकार को घेरा था. वहीं कुछ संगठनों ने भी सरकार पर ब्राह्मणों पर अत्याचार करने के आरोप लगाए थे. तब विपक्ष ने भी इसे मुद्दा बनाया था. सोशल मीडिया पर भी कई तरह की पोस्ट शेयर की गई थीं. ब्राह्मण संगठनों ने योगी सरकार के खिलाफ सड़कों पर प्रदर्शन भी किया था.

वहीं अब असद और गुलाम के एनकाउंटर की खबर फैली तो सियासत भी तेज हुई. सूबे की बीजेपी सरकार ने अपनी पीठ थपथपाई तो असदुद्दीन ओवैसी ने सवाल खड़े किए. हैदराबाद से सांसद और एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने भी सरकार को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि क्या बीजेपी जुनैद और नासिर की हत्या करने वालों का भी ऐसे ही एनकाउंटर करेगी? नहीं, क्योंकि बीजेपी मजहब के नाम पर एनकाउंटर करती है. आप कानून को कमजोर करना चाहते हैं. संविधान का एनकाउंटर करते हैं.