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उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग ने 16 फरवरी 2020 को फॉरेस्ट गार्ड भर्ती परीक्षा कराई थी। परीक्षा में कुछ अभ्यर्थियों ने ब्लूटूथ से नकल की थी, जिसकी पुष्टि पुलिस जांच में हुई थी।

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उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग की तीन साल पहले हुई फॉरेस्ट गार्ड भर्ती परीक्षा में ब्लूटूथ से नकल मामले में एक साल बाद आरोपी अभ्यर्थियों को बताओ नोटिस जारी किए गए थे। नोटिस के जवाब भी आए थे लेकिन आयोग उन पर कार्रवाई नहीं कर पाया। अब आयोग ने 47 अभ्यर्थियों को अपनी सभी परीक्षाओं से पांच साल के लिए प्रतिवारित (डिबार) कर दिया है। इनमें हरिद्वार के 46 और देहरादून का एक अभ्यर्थी शामिल है।

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आयोग ने 16 फरवरी 2020 को फॉरेस्ट गार्ड भर्ती परीक्षा कराई थी। परीक्षा में कुछ अभ्यर्थियों ने ब्लूटूथ से नकल की थी, जिसकी पुष्टि पुलिस जांच में हुई थी। इस आधार पर आयोग ने परीक्षा के एक साल बाद 9 फरवरी 2021 को अभ्यर्थियों को कारण बताओ नोटिस जारी किया। अभ्यर्थियों ने अपने जवाब भी दिए थे लेकिन हाईकोर्ट में दायर सिविल अपील के कारण इन अभ्यर्थियों को डिबार नहीं किया जा सका था।

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आयोग ने अब नए सिरे से सभी अभ्यर्थियों के नोटिस जवाबों का अध्ययन किया। परीक्षण, विश्लेषण में पाया कि किसी का भी जवाब संतोषजनक नहीं था। न ही किसी ने भी अनुचित साधन का इस्तेमाल न करने संबंधी कोई सबूत पेश किया था। कुछ अभ्यर्थी ऐसे भी थे, जिन्होंने निर्धारित अवधि में अपना जवाब ही नहीं दिया। लिहाजा, नकल के आरोपी 47 अभ्यर्थियों को डिबार किए जाने की सूचना उनके पते पर डाक के माध्यम से भी भेजी गई है।

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कानूनी परीक्षण के बाद लिया गया फैसला

पहले ब्लूटूथ से नकल मामले में अभ्यर्थियों ने भले ही अधीनस्थ सेवा चयन आयोग को कानूनी पचड़ों में फंसा दिया हो लेकिन इस बार आयोग ने बाकायदा विधिक परीक्षण के बाद ही इन्हें डिबार किया है। आयोग के सचिव एसएस रावत के मुताबिक, सभी पहलुओं को देख परखकर नियमानुसार पांच साल का प्रतिबंध लगाया गया है।

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सभी आयोग की सभी परीक्षाओं पर प्रतिबंध

नकल के जिन आरोपियों को अधीनस्थ सेवा चयन आयोग या राज्य लोक सेवा आयोग ने डिबार किया है, वे अब किसी भी आयोग की किसी भी परीक्षा में शामिल नहीं हो पाएंगे। राज्य के दोनों आयोगों ने भी पूरा डाटा आपस में साझा कर लिया है। भर्तियों की अन्य एजेंसियों को भी इस संबंध में सूचना भेजी दी गई है। किसी स्तर से नकलची अगले पांच साल तक परीक्षाएं नहीं दे पाएंगे।

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