खबर शेयर करें -

रामनगर: प्रोग्रेसिव जर्नलिस्ट एसोसिएशन के तत्वावधान में आयोजित होली मिलन समारोह में रंगों की बौछार और कुमाऊंनी संस्कृति की सुगंध बिखर गई। परंपरागत होली गायन और उल्लासपूर्ण नृत्य के बीच उपस्थित लोगों ने होली का भरपूर आनंद उठाया।

पिछले वर्ष की तरह इस बार भी प्रोग्रेसिव जर्नलिस्ट एसोसिएशन ने इस रंगोत्सव का भव्य आयोजन किया, जिसमें होल्यारों ने ठेठ कुमाऊंनी होली की सुरमयी छटा बिखेरी। “सिद्धि के दाता, विघ्न विनाशन”, “कैले बांधी चीर” और “चंपा के दस फूल” जैसे पारंपरिक होली गीतों ने उपस्थित जनसमूह को मंत्रमुग्ध कर दिया।

यह भी पढ़ें -  रुद्रपुर पुलिस ने यूपी बॉर्डर पर दी दबिश, कई नशा तस्करों को धर दबोचा, मचा हड़कंप

“जल कैसे भरु, जमुना गहरी” गीत पर लोगों ने झूमकर ताल से ताल मिलाई, जबकि महिला होल्यारों की रंग-बिरंगी पारंपरिक वेशभूषा ने होली मिलन समारोह को और भी आकर्षक बना दिया।

संगीत और सुरों की जुगलबंदी से बंधा समां

इस अवसर पर गिरीश करगेती, अमित बूधोड़ी, भुवन चंद जोशी, शौरभ जोशी और चंद्रशेखर जोशी की प्रस्तुतियों ने समां बांध दिया। वहीं विनीता बिष्ट, मुन्नी बिष्ट, मंजू बिष्ट, रजनी बिष्ट, दीपा रिखाड़ी, कमला आर्या और मीना बिष्ट सहित महिला होल्यारों ने कुमाऊंनी होली गीतों और नृत्य से सभी को झूमने पर मजबूर कर दिया।

यह भी पढ़ें -  लालकुआं क्षेत्र में शोक की लहर, पूर्व चेयरमैन का हुआ आकस्मिक निधन

राजनीति और समाजसेवा से जुड़े गणमान्य हुए शामिल

होली मिलन समारोह में शिक्षक नेता नवेंदु मठपाल, उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी के नेता और सामाजिक कार्यकर्ता प्रभात ध्यानी, भाजपा के प्रदेश मंत्री राकेश नैनवाल, पूर्व ब्लॉक प्रमुख संजय नेगी, भाजपा नेता मदन जोशी, भाजपा नेता गणेश रावत, कांग्रेस नेता पुष्कर दुर्गापाल, आनंद सिंह नेगी, महेश जोशी और रिटायर्ड एएसआई डीपी सिंह सहित कई गणमान्य व्यक्तियों ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई।

यह भी पढ़ें -  किराए के घर में मिली महिला की लाश, नाक से निकल रहा था खून, पुलिस जांच में जुटी

होली के रंग में रंगे पत्रकार और सामाजिक कार्यकर्ता

इस आयोजन में मीडिया जगत के प्रतिनिधि, सामाजिक और राजनीतिक संगठनों से जुड़े लोग भी शामिल हुए और उन्होंने एक-दूसरे को अबीर-गुलाल लगाकर होली की शुभकामनाएं दीं। कार्यक्रम के समापन पर सामूहिक होली गायन और नृत्य के साथ सभी ने एक-दूसरे को रंगों के इस पर्व की बधाई दी।

रंग, संगीत और उमंग से सराबोर यह आयोजन एक बार फिर कुमाऊंनी संस्कृति के जड़ें मजबूत करने और सामाजिक सौहार्द्र को बढ़ावा देने का साक्षी बना।