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सालों से गृह मंत्रालय की संपत्ति पर अवैध कब्जा करके बैठे 134 परिवारों को इस माह के अंत तक खुद जगह खाली करने को जिला प्रशासन ने हिदायत दे दी है। शत्रु संपत्ति घोषित मेट्रोपोल होटल क्षेत्र की संपत्ति पर सालों से बाहर से आए लोगों ने कब्जे किए हुए हैं।

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सालों से गृह मंत्रालय की संपत्ति पर अवैध कब्जा करके बैठे 134 परिवारों को इस माह के अंत तक खुद जगह खाली करने को जिला प्रशासन ने हिदायत दे दी है। शत्रु संपत्ति घोषित मेट्रोपोल होटल क्षेत्र की संपत्ति पर सालों से बाहर से आए लोगों ने कब्जे किए हुए हैं। जिला प्रशासन की तरफ से सभी कब्जेदारों को बोल दिया गया है। साथ ही नोटिस भी दे दिया गया है कि 15 दिनों के भीतर वो सरकारी जमीन से कब्जा छोड़ दें, अन्यथा प्रशासन अपनी कार्रवाई करेगा।

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उल्लेखनीय है कि मेट्रोपोल होटल और उससे जुड़ी करीब सौ करोड़ की भू संपत्ति जो कभी रहा महमूदाबाद की हुई करती थी। विभाजन उपरांत इसे शत्रु संपत्ति घोषित किया गया था। इस संपत्ति पर आए दिन कब्जे होते रहे। बीजेपी की केंद्र में सरकार बनने के बाद गृहमंत्री अमित शाह द्वारा देशभर में शत्रु संपत्ति के बारे में जांच की गई है और सरकार इन्हें अपने कब्जे में लेकर अपना बोर्ड लगा रही है और उन्हें जनउपयोग में ले रही है।

नैनीताल में इस शत्रु संपत्ति को सरकार अपने कब्जे में लेने जा रही है, जिसपर अवैध रूप से 134 परिवारों ने करीब 34 हजार वर्ग फुट जमीन पर कब्जा किया हुआ है, जिसकी कीमत आज 100 करोड़ से अधिक बताई गई है और इस पर अवैध कब्जेदार एक धर्म विशेष के हैं। इन्हें पहले भी कब्जा छोड़ने की हिदायत दी गई थी। पिछले दिनों सीएम पुष्कर धामी के निर्देश पर कुमाऊं आयुक्त दीपक रावत ने उक्त संपत्ति का निरीक्षण किया, जिसके बाद उन्हें अब 15 दिन में अवैध कब्जे छोड़ने का समय दिया गया है। माना यही जा रहा है कि कब्जेदारों के खिलाफ अगली एक अगस्त को निर्णायक कारवाई की जाएगी।

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आयुक्त दीपक रावत ने भी स्पष्ट कर दिया है कि अब बहुत हो चुका, हमने कई बार इन्हें कहा है कि ये लोग अपना सामान खुद निकाल लें, अन्यथा प्रशासन का बुलडोजर तैयार खड़ा है। उधर कब्जेदारों का कहना है कि सरकार उनके पुनर्वास की व्यवस्था करे। बारिश में उनके लिए कहीं और ठिकाना ढूंढना मुश्किल है। जानकारी के मुताबिक 1965 में उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से प्रकाशित गजट के अनुसार राजा महमूदाबाद के होटल मेट्रोपाल को शत्रु संपत्ति घोषित कर दिया गया था।

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दरअसल 1947 में देश के बंटवारे के अलावा 1962 में चीन 1965 और 71 में पाकिस्तान के साथ हुई जंग के दौरान उनके द्वारा भारत छोड़कर पाकिस्तान या चीन चले गए नागरिकों को भारत सरकार शत्रु मानती है। भारत सरकार के गृह मंत्रालय ने 1959 में शत्रु संपत्ति अधिनियम लागू किया था, जिसके तहत शत्रु संपत्ति की देखरेख एक कस्टोडियन को दी गई। केंद्र सरकार ने इसके लिए कस्टोडियन ऑफ एनीमी प्रॉपर्टी विभाग भी है, जिसे शत्रु संपत्तियों को अधिकृत करने का अधिकार है।

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