विभिन्न सरकारी विभागों के उत्तराखंड पूर्व सैनिक कल्याण निगम लिमिटेड (UPNL) के कर्मचारियों ने देहरादून के परेड ग्राउंड में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन किया. पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत भी धरने में शामिल हुए और उन्होंने कर्मचारियों के प्रति अपना समर्थन जताया और हस्तक्षेप की मांग की.
विभिन्न सरकारी विभागों के उत्तराखंड पूर्व सैनिक कल्याण निगम लिमिटेड (UPNL) के कर्मचारियों ने देहरादून के परेड ग्राउंड में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन किया. भारी पुलिस उपस्थिति के बावजूद, UPNL के कर्मचारियों ने विलंबित भुगतान और जीएसटी कटौती पर सरकार के प्रति अपना असंतोष जाहिर किया. सभी ने सैनिक कल्याण मंत्री गणेश जोशी के आवास की ओर मार्च किया.
उत्तराखंड सरकार लगातार समस्याओं से जूझ रही है. हाल ही में देहरादून की आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं ने अपनी मांगों को लेकर सरकार को चेतावनी जारी की है. आज विभिन्न विभागों के राज्य कर्मचारी अपनी बात रखने के लिए देहरादून में एकत्र हुए. उन्होंने UPNL कर्मचारी संघ के अध्यक्ष के साथ हाई कोर्ट के 2018 के फैसले के कार्यान्वयन की वकालत करते हुए, उचित भत्तों के लिए चल रही अपनी लड़ाई पर चर्चा की.
पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत भी धरने में शामिल
पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत भी धरने में शामिल हुए और उन्होंने कर्मचारियों के प्रति अपना समर्थन जताया और हस्तक्षेप की मांग की. उन्होंने UPNL कर्मचारियों के सामने आने वाले मुद्दों पर बात की. जिनमें नौकरी की सुरक्षा की कमी, सेवा शर्तें, भत्ते और उनकी जिम्मेदारियों का भार शामिल है.
अग्रसर भारत से बात करते हुए UPNL के केंद्रीय अध्यक्ष विनोद गोदियाल ने कहा कि हमें सामूहिक मार्च का फैसला इसलिए लेना पड़ा, क्योंकि पीएम मोदी राम राज्य लाने वाले थे, लेकिन देवभूमि के लोगों के साथ क्या हो रहा है? गोदियाल ने कहा, हमारी मुख्य मांग उनके पक्ष में 2018 के हाई कोर्ट के फैसले को लागू करना है.
सरकार से हाई कोर्ट के फैसले पर फिर से विचार करने का आह्वान
विनोद गोदियाल ने उस एसएलपी का जिक्र किया जिसे सरकार की चुनौती के बाद सुप्रीम कोर्ट में ले जाया गया था. गोदियाल ने सरकार से हाई कोर्ट के फैसले पर फिर से विचार करने और उनकी चिंताओं को दूर करने के लिए एक टीम बनाने का आह्वान किया. गोदियाल ने आगे कहा, ‘मंत्रियों ने अपनी आउटसोर्सिंग एजेंसी शुरू कर दी है और अपने गलियारों से ही लोगों की भर्ती कर रहे हैं. UPNL एक दिखावा बन गया है.’
हरीश रावत ने UPNL कर्मचारियों के साथ लगातार हो रहे उत्पीड़न पर चिंता व्यक्त की. उन्होंने नौकरी की सुरक्षा, सेवा शर्तों और उचित पारिश्रमिक की आवश्यकता पर जोर दिया. उन्होंने अधिकारियों से अपनी नीतियों पर पुनर्विचार करने और कर्मचारियों की सेवा और भविष्य की सुरक्षा के लिए आवश्यक संशोधन लागू करने का आग्रह किया. UPNL कर्मियों की सामूहिक रैली के जवाब में विभागीय मंत्री गणेश जोशी ने कहा कि उन्हें उनके असंतोष की जानकारी है. उन्होंने कहा कि सरकार ने समय-समय पर उनके भत्तों में वृद्धि की है और कर्मचारियों के भत्ते में 10% की बढ़ोतरी के लिए इस महीने की 12 तारीख को एक फाइल प्रस्तुत की गई थी.
क्या है UPNL
उत्तराखंड पूर्व सैनिक कल्याण निगम (UPNL) की स्थापना 2004 में हुई और 2007 में इसे निगम का दर्जा दिया गया. यह मुख्य रूप से पूर्व सैनिकों या शहीदों के आश्रितों को रोजगार देने की दिशा में काम करता है. मौजूदा समय में कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी UPNL की देखरेख करने वाले मंत्री हैं. जिसमें वन, जल संसाधन, पेयजल, आपदा प्रबंधन, पीडब्ल्यूडी जैसे विभिन्न विभागों में 25,000 से अधिक कर्मचारी कार्यरत हैं. UPNL कर्मचारियों को 18% जीएसटी कटौती के साथ 8,000 से 12,000 तक वेतन मिलता है. UPNL अपने कर्मचारियों के अलावा अधिकारियों को भी नियुक्त करता है. UPNL कर्मचारियों को अस्थायी अनुबंध पर नियुक्त किया जाता है.