सावन का महीना रुद्राक्ष धारण करने के लिए सबसे खास माना गया है. हिंदू धर्म में रुद्राक्ष काफी अहमियत रखता है. मान्यता है कि शिव के नेत्रों से रुद्राक्ष का उद्भव हुआ और यह हमारी हर तरह की समस्या को हरने की क्षमता रखता है. रुद्राक्ष का जिक्र शिवपुराण और सकन्दपुराण आदि में प्रमुखता से किया गया है.
सावन का पावन महीना शुरू हो चुका है. इस महीने में महादेव के साथ माता पार्वती की भी पूजा की जाती है. ऐसी मान्यता है कि सावन के महीने में जो भी शिव भक्त भोलेनाथ की विधि-विधान से पूजा-अर्चाना करता है उसके जीवन में हमेशा ही सुख और समृद्धि आती है. बहुत सारे लोग रुद्राक्ष धारण करना चाहते हैं और सावन का महीना रुद्राक्ष धारण करने के लिए सबसे उपयुक्त हैं.
दरअसल, रुद्राक्ष धारण करने से व्यक्ति पर भगवान शिव की कृपा सदा बनी रहती है. इसे धारण करने से व्यक्ति सारे संकटों से बचा रहता है और सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. रुद्राक्ष को विज्ञान में भी बहुत असरकारक माना गया है. इससे कई बीमारियों से बचाव होता है. तो आइए जानते हैं कि सावन में रुद्राक्ष धारण करने का महत्व क्या है.
रुद्राक्ष और इसका महत्व (Rudraksha Significance)
रुद्राक्ष एक पेड़ के फल की गुठली है. रुद्राक्ष का औषधीय और आध्यात्मिक महत्व भी है. ऐसी मान्यता है कि रुद्राक्ष भगवान शिव के आंसुओं से पैदा हुए थे. रुद्राक्ष को धारण और प्रयोग से विशेष तरह के परिणाम और फल मिलते हैं. वहीं, रुद्राक्ष अकाल मृत्यु तथा शत्रु बाधा से रक्षा करता है. कुल मिलाकर चौदह मुखी रुद्राक्ष पाए जाते हैं और इसके अलावा गौरी-शंकर और गणेश रुद्राक्ष भी पाए जाते हैं.
रुद्राक्ष रखने में सावधानियां (Rudraksha dos and donts)
रुद्राक्ष को लाल धागे या पीले धागे में पहनें. साथ ही रुद्राक्ष को पूर्णिमा, अमावस्या या सोमवार को पहनना श्रेष्ठ माना जाता है. सावन के इस महीने में रुद्राक्ष किसी भी दिन पहना जा सकता है क्योंकि सावन हर दिन शुभ माना जाता है. रुद्राक्ष 1, 27, 54 और 108 की संख्या में धारण करना चाहिए. रुद्राक्ष धारण करने के बाद सात्विकता का पालन करना चाहिए. रुद्राक्ष को धातु के साथ धारण करना और भी अच्छा होता है. दूसरे की धारण की हुण रुद्राक्ष की माला धारण ना करें. साथ ही सोते समय भी रुद्राक्ष उतार देना चाहिए.
कौन सा रुद्राक्ष बनाएगा मालामाल (Types of Rudraksha)
1. एक मुखी रुद्राक्ष
ये साक्षात शिव का स्वरूप माना जाता है. सिंह राशि वालों के लिए एक मुखी बेहद शुभ माना जाता है. कुंडली में सूर्य संबंधित समस्या हो तो मुखी रुद्राक्ष पहनें.
2. दो मुखी रुद्राक्ष
ये अर्धनारीश्वर स्वरूप माना जाता है. कर्क राशि के जातकों के लिए ये बहुत शुभ माना जाता है. वैवाहिक जीवन में समस्या हो तो दो मुखी रुद्राक्ष धारण करें.
3. तीन मुखी रुद्राक्ष
ये रुद्राक्ष अग्नि और तेज का स्वरूप होता है. मेष और वृश्चिक राशि के लोगों के लिए ये रुद्राक्ष उत्तम परिणाम देता है. मंगल दोष के निवारण के लिए इसी रुद्राक्ष ता प्रयोग किया जाता है.
4. चार मुखी रुद्राक्ष
ये रुद्राक्ष ब्रह्मा का स्वरूप माना जाता है. मिथुन और कन्या राशि के लिए ये सर्वोत्तम रुद्राक्ष है. त्वचा के रोगों और वाणी की समस्या में ये लाभदायक है.
5. पांच मुखी रुद्राक्ष
इसको कालाग्नि भी कहा जाता है. इसको धारण करने से मंत्र शक्ति और अद्भुत ज्ञान प्राप्त होता है. जिनकी राशि धनु या मीन हो या जिसकी शिक्षा मे बाधा आ रही हो. ऐसे लोग पंच मुखी रुद्राक्ष धारण करें.
6. छह मुखी रुद्राक्ष
इसको भगवान कार्तिकेय का स्वरूप माना जाता है. कुंडली में शुक्र कमजोर हो अथवा तुला या वृष राशि हो तो छह मुखी रुद्राक्ष धारण करें.
7. सात मुखी रुद्राक्ष
ये सप्तमातृका तथा सप्तऋषियों का स्वरूप माना जाता है. मारत दशाओं और गंभीर स्थितियों में इसको धारण करें. अगर मृत्युतुल्य कष्टों का योग हो या मकर और कुंभ राशि के जातक सात मुखी रुद्राक्ष को धारण करें.
8. आठ मुखी रुद्राक्ष
ये अष्टदेवियों का स्वरूप है. इसको धारण करने से अष्टसिद्धियां प्राप्त होती है. इसको धारण करने से आकस्मिक धन की प्राप्ति सहज होती है जिनकी कुंडली में राहु से संबंधी समस्याएं हो. वह आठ मुखी रुद्राक्ष को धारण करें.
9. ग्यारह मुखी रुद्राक्ष
एकादश मुखी रुद्राक्ष स्वयं शिव का स्वरूप माना जाता है. संतान संबंधी समस्याओं के निवारण और संतान प्राप्ति के लिए इस रुद्राक्ष को धारण आवश्य करें.
विशेष लाभ के लिए रुद्राक्ष
शीघ्र विवाह के लिए दो मुखी रुद्राक्ष या गौरी शंकर रुद्राक्ष पहनें. शिक्षा और एकाग्रता के लिए पांच मुखी रुद्राक्ष पहनें. स्वास्थ्य और आयु के लिए एक मुखी या ग्यारह मुखी रुद्राक्ष पहनें. नौकरी में बाधाओं से बचने के लिए तीन मुखी रुद्राक्ष पहनें. व्यसन छुड़ाने के लिए पांच मुखी रुद्राक्ष पहनें. भक्ति के लिए ग्यारह मुखी रुद्राक्ष पहनें. रुद्राक्ष घिसकर तिलक लगाने से तेज और सौंदर्य में वृद्धि होती है. तलवों में और मस्तक पर रुद्राक्ष का लेप लगाएं.