⭐ HIGHLIGHTS / मुख्य बिंदु
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👶 3 साल की बच्ची को 40–50 ML दवा की ओवरडोज, हालत गंभीर
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❌ डेक्सामिथार्पन सिरप 4 साल से कम उम्र के बच्चों और गर्भवती महिलाओं को नहीं दिया जाता
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⚠️ स्थानीय डॉक्टर ने गलत दवा लिखी, परिजनों ने बिना जांच ओवरडोज दे दी
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🏥 बच्ची 13 दिन अस्पतालों में भर्ती — इन्दिरेश + दून हॉस्पिटल
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🫁 दून अस्पताल में 4 दिन वेंटिलेटर पर रखा गया
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🧑⚕️ डॉक्टरों की टीम ने बच्ची को मौत के मुंह से बाहर निकाला
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🚫 झोलाछाप डॉक्टरों और इंटरनेट से खुद दवा देने पर विशेषज्ञों की चेतावनी
📰 गलत दवा, गलत डोज — और 3 साल की मासूम कोमा में! आखिर कैसे हुई ये बड़ी चूक?
देहरादून।
तीन साल की मासूम गर्विका की ज़िंदगी तब खतरे में पड़ गई जब एक स्थानीय डॉक्टर ने उसे ऐसा सिरप लिख दिया, जो चार साल से कम उम्र के बच्चों को बिल्कुल नहीं दिया जाता। परिजनों ने डॉक्टर की सलाह पर 40–50 एमएल डेक्सामिथार्पन सिरप दे दिया — जो ओवरडोज थी और सीधे बच्ची के नर्वस सिस्टम को शटडाउन कर गई।
बच्ची की हालत बिगड़ते ही वह कोमा में चली गई, जिसके बाद 13 दिनों तक उसकी ज़िंदगी अस्पताल के बिस्तर पर झूलती रही।
🏥 13 दिन अस्पताल में संघर्ष — 4 दिन वेंटिलेटर, दो अस्पतालों में इलाज
➡️ परिजन पहले रुड़की के एक अस्पताल गए
➡️ फिर उसे तत्काल श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल ले जाया गया, जहां बच्ची 3 दिन भर्ती रही
➡️ 2 दिसंबर को स्थिति गंभीर होने पर उसे दून अस्पताल रेफर किया गया
दून अस्पताल में
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बच्ची को PIKU वार्ड में भर्ती किया गया
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4 दिन तक वेंटिलेटर सपोर्ट देना पड़ा
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कुल 9 दिन इलाज चलने के बाद
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10 दिसंबर को गर्विका को डिस्चार्ज कर दिया गया
बाल रोग विशेषज्ञों की टीम —
डॉ. तन्वी सिंह, डॉ. आयशा इमरान, डॉ. आस्था भंडारी, डॉ. कुलदीप
ने मिलकर बच्ची की जान बचाने में अहम भूमिका निभाई।
❓ डेक्सामिथार्पन सिरप आखिर क्यों खतरनाक है?
दून अस्पताल के एमएस डॉ. आरएस बिष्ट ने बताया—
डेक्सामिथार्पन सिरप 4 साल से कम बच्चों और गर्भवती महिलाओं के लिए प्रतिबंधित है।
इसके गलत उपयोग से नर्व सिस्टम पूरी तरह चोक हो जाता है, जिससे मरीज कोमा तक जा सकता है।
उन्होंने बताया कि—
➡️ स्थानीय डॉक्टर ने गलत दवा लिख दी
➡️ परिजनों ने बिना पूछे इसकी ओवरडोज दे दी
➡️ बच्ची की स्थिति मिनटों में बिगड़ने लगी
🛑 विशेषज्ञों की चेतावनी — झोलाछाप से इलाज, इंटरनेट की सलाह और खुद दवा देना बेहद खतरनाक
डिपार्टमेंट ऑफ पीडियाट्रिक्स के HOD डॉ. अशोक कुमार ने कड़ी चेतावनी दी—
“बच्चों को कभी भी झोलाछाप डॉक्टरों या मेडिकल स्टोर वालों की सलाह पर दवा न दें। गलत डोज या गलत दवा जानलेवा साबित हो सकती है।”
उन्होंने कहा कि—
❗ बच्चों को केवल बाल रोग विशेषज्ञ को ही दिखाएं
❗ इंटरनेट की दवा गाइड खतरे में डाल सकती है
❗ लक्षण भले ही साधारण हों, दवा की डोज पेशेवर डॉक्टर ही तय करे
💡 यह घटना सभी माता–पिता के लिए बड़ी सीख — दवा का प्रयोग जिम्मेदारी से करें
तीन साल की गर्विका को मौत के मुंह से बाहर निकालने में डॉक्टरों और मेडिकल टीम ने बड़ी मेहनत की, लेकिन यह घटना चेतावनी है कि—
➡️ गलत दवा,
➡️ गलत डॉक्टर,
➡️ और गलत डोज
बच्चों के लिए जानलेवा हो सकती है।


