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एक जुलाई 2017 को मोदी सरकार ने देश में व्यापार पर लगने वाले सभी प्रकार के टैक्स हटाकर जीएसटी लागू किया था. इसका मकसद था कि पूरे देश में एक सामान पर एक टैक्स हो. यानी अलग अलग राज्यों में टैक्स अलग-अलग नहीं हों. इससे केंद्र सरकार को भी फायदा हुआ तो व्यापारियों को भी विभिन्न टैक्सों से मुक्ति मिली. लेकिन उत्तराखंड में कई व्यापारी जीएसटी की चोरी भी कर रहे हैं. उत्तराखंड सरकार द्वारा लागू ‘बिल लाओ इनाम पाओ’ योजना ने टैक्स चोरी करने वाले 18 प्रतिष्ठानों की पोल खोल दी. कैसे हुआ ये भंडाफोड़,

 टैक्स डिपार्टमेंट की ‘बिल लाओ इनाम पाओ’ योजना दोहरे लाभ का सौदा साबित हो रही है. जनता को मिल रहे इनाम और राज्य कर विभाग को मिल रही बिलों की जानकारी से विभाग ने देहरादून, हरिद्वार, रुद्रपुर और हल्द्वानी की 18 फर्मों की कर चोरी पकड़ी है.

उत्तराखंड में जीएसटी चोरी करने वाली फर्मों का भंडाफोड़:

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बिल लाओ इनाम पाओ योजना में भाग लेने वाले नागरिकों को हर माह 1500 इनाम बांटे जा रहे हैं. राज्य कर (स्टेट जीएसटी) विभाग को बड़ी संख्या में बिलों की जानकारी मिल जा रही है. जिसके आधार पर यह पता लग जा रहा है कि संबंधित प्रतिष्ठान कर जमा कर रहा है या नहीं. ऐसे ही बिलों के परीक्षण में राज्य कर विभाग को पता चला कि देहरादून, हरिद्वार, रुद्रपुर और हल्द्वानी की 18 फर्म कर चोरी कर रही हैं. इन फर्मों के बिल तो ग्राहकों के माध्यम से विभाग तक पहुंच गए, लेकिन इनके कर और रिटर्न का पता नहीं चल रहा था.

बिल लाओ इनाम पाओ स्कीम ने टैक्स चोरी पकड़वाई:

पता चला कि कुछ फर्मों का जीएसटी पंजीकरण दो-तीन साल पहले निरस्त हो चुका है या ये फर्म दाखिल रिटर्न में बिक्री को प्रदर्शित ही नहीं कर रही थीं. यह भी पाया गया कि कुछ फर्म ग्राहकों से जीएसटी तो चार्ज कर रही थीं, लेकिन उसे जमा नहीं कराया जा रहा था. फर्मों की ओर से की जा रही कर चोरी स्पष्ट हो जाने के बाद विभाग की ओर से इन पर छापेमारी की गई.

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उत्तराखंड की 18 फर्मों ने की टैक्स चोरी:

इनमें 04 प्रतिष्ठान देहरादून, 05 हरिद्वार, 05 रुद्रपुर और 04 हल्द्वानी के पाए गए. अब तक की जांच में पाया गया कि इन्होंने करीब 05 करोड़ रुपये की बिक्री पर कर चोरी की है. यह प्रतिष्ठान होटल, रेस्तरां, गारमेंट्स, डेली नीड्स स्टोर की श्रेणी में आते हैं. मौके से अधिकारियों ने बड़ी संख्या में आय-व्यय और बिक्री समेत अन्य दस्तावेज कब्जे में लिए हैं, जिनका विश्लेषण शुरू कर दिया गया है.

5 करोड़ की बिक्री पर जीएसटी नहीं दिया:

हरिद्वार के प्रतिष्ठानों ने अपनी त्रुटि को स्वीकार करते हुए 2.47 लाख रुपये मौके पर ही सरेंडर कर दिए. बाकी से कर की वसूली ब्याज और अर्थदंड के साथ करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है. यह कार्रवाई कुमाऊं और गढ़वाल जोन के अपर आयुक्तों के राकेश वर्मा और पीएस डुंगरियाल के मार्गदर्शन में की गई. टीम में संयुक्त आयुक्त एसआईबी/प्रा. देहरादून संभाग एसएस तिरुवा, डॉ सुनीता पांडे हरिद्वार संभाग, रणवीर सिंह रुद्रपुर संभाग, रोशल लाल हल्द्वानी संभाग, उपायुक्त सुरेश कुमार, कार्तिकेय वर्मा, रजनीश यशवस्थी समेत 70 कार्मिक शामिल रहे.

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क्रिसमस और नव वर्ष पर विशेष निगरानी: 

आयुक्त राज्य कर डॉ अहमद इकबाल के मुताबिक सितंबर 2022 से लागू बिल लाओ इनाम पाओ योजना में अपलोड किए गए बिलों की जांच संयुक्त आयुक्त एसआईबी/प्रा. एवं नोडल अधिकारी आईटी से कराई जा रही है. जिसके आधार पर आगे भी छापेमारी की कार्रवाई जारी रहेगी. उन्होंने बताया कि क्रिसमस और नव वर्ष के मद्देनजर होटल-रेस्तरां के आयोजनों पर विशेष नजर रखी जा रही है. जहां भी कर चोरी की आशंका पाई जाएगी, वहां कार्रवाई की जाएगी.