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देहरादून: तबादला एक्ट 2017 के तहत, कर्मचारी और शिक्षकों को पहली और दूसरी पदोन्नति के लिए कम से कम 10 साल की सेवा दुर्गम क्षेत्रों में देना अनिवार्य है। हालांकि, राज्य में बड़ी संख्या में ऐसे कर्मचारी और शिक्षक हैं जो प्रमोशन के लिए पात्र हैं, लेकिन दुर्गम सेवा की अवधि पूरी न होने के कारण पदोन्नति नहीं पा सके थे। अब इस संबंध में कार्मिक विभाग ने सोमवार को नए आदेश जारी कर दिए हैं।

कर्मचारी संगठनों ने लंबे समय से प्रमोशन में छूट देने की मांग की थी। हाल ही में मिनिस्टीरियल फेडरेशन के प्रतिनिधियों ने सीएम पुष्कर धामी से मुलाकात कर अपनी समस्याएं बताई थीं। वर्तमान में तबादला एक्ट 2017 के तहत कर्मचारियों और शिक्षकों को पहली और दूसरी पदोन्नति के लिए कम से कम 10 साल की सेवा दुर्गम क्षेत्र में पूरी करनी होती है। लेकिन कई कर्मचारी ऐसे हैं जो प्रमोशन के लिए योग्य हैं, फिर भी उनकी दुर्गम सेवा अवधि पूरी नहीं होने के कारण प्रमोशन नहीं हो पा रहा है। कर्मचारी नेताओं का कहना है कि सरकार द्वारा पूरी तरह से तबादला नहीं किया जाता, जिसके कारण कर्मचारियों की दुर्गम सेवा की अवधि समय पर समाप्त नहीं हो पाती है। वर्ष 2017 में तबादला एक्ट के लागू होने के समय, सरकार ने कर्मचारियों और शिक्षकों को अगस्त 2020 तक संक्रमणकाल में छूट दी थी।

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दुर्गम सेवा की अवधि बढ़ी, प्रमोशन में नहीं आएगी रुकावट

इसके बाद यह अवधि जून 2022 और फिर 30 जून 2024 तक बढ़ाई गई थी। अब इस अवधि को जून 2026 तक के लिए और बढ़ा दिया गया है। इसका मतलब है कि अब दुर्गम सेवा कर्मचारियों और शिक्षकों के प्रमोशन में रुकावट नहीं बनेगी। मिनिस्टीरियल फेडरेशन के प्रदेश अध्यक्ष पूर्णानंद नौटियाल और महामंत्री मुकेश बहुगुणा ने इस फैसले का स्वागत किया है। अपर सचिव कार्मिक ललित मोहन रयाल ने जारी आदेश में स्पष्ट किया है कि यदि कोई कर्मचारी-शिक्षक प्रमोशन के योग्य है, लेकिन उनकी दुर्गम सेवा पूरी नहीं है, तो वे धारा 13 (1) के तहत दुर्गम क्षेत्र में स्थानांतरण के लिए आवेदन कर सकते हैं। उन्होंने यह भी बताया कि भविष्य में संक्रमणकाल के विस्तार पर विचार नहीं किया जाएगा।

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