खबर शेयर करें -

देहरादून: पूर्व डीजीपी बीएस सिद्धू पर मसूरी के पास वीरगिरवाली आरक्षित वन भूमि को धोखाधड़ी से खरीदने का आरोप है। साथ ही उन पर संरक्षित साल प्रजाति के 25 पेड़ों को कटवाने का भी आरोप लगा है। इस मामले में वन विभाग ने भी मुकदमा दर्ज कराया था, जो फिलहाल निचली अदालत में विचाराधीन है।

पूर्व डीजीपी बीएस सिद्धू पर आरोप लगा है कि उन्होंने अपने कार्यकाल के अंतिम समयावधि के दौरान वर्ष 2012 में ओल्ड मसूरी रोड पर वीरगिरवाली स्थित आरक्षित वन क्षेत्र के करीब 9 बीघा जमीन अपने नाम कर ली थी, इसके अलावा इस जमीन पर साल प्रजाति के 25 पेड़ भी कटवाए थे। इस दौरान उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के लिए प्रार्थना पत्र भी दिया गया था लेकिन फिर भी कोई कार्रवाई नहीं की गई। ये जमीन दो दशक पूर्व में किसी नत्थूराम नाम के व्यक्ति के नाम पर रजिस्टर्ड थी, लेकिन बाद में उस भूमि को आरक्षित वन क्षेत्र घोषित कर दिया गया था। इसके बाद पूर्व डीजीपी ने मेरठ जिले में किसी नत्थूराम नाम के व्यक्ति की तलाश की और उन्हें मेरठ के रसूलपुर गांव में इस नाम का व्यक्ति मिल गया।

मेरठ से लाए फर्जी जमीन का मालिक बनाकर

रसूलपुर गांव के ग्राम प्रधान के जरिए नत्थूराम ने फर्जी दस्तावेज बनाए गए और उसे रजिस्ट्री कार्यालय में जमीन का मालिक दर्शाकर जमीन अपने नाम कर ली थी। साल 2013 में इस जमीन का दाखिल खारिज बीएस सिद्धू के नाम पर हो गया। लेकिन असली नत्थूराम के बेटों ने इस दाखिल खारिज के खिलाफ अपर तहसीलदार कोर्ट से 25 मार्च 2013 को स्टे हासिल कर लिया था। इस बीच दो अन्य व्यक्ति रहमुद्दीन और हाजी रिजवान सामने आए और उन्होंने जमीन की पावर ऑफ अटॉर्नी अपने नाम होने का दावा किया। इसके बाद बीएस सिद्धू की तरफ से नत्थूराम बनाए गए व्यक्ति ने उनके खिलाफ शहर कोतवाली में 5 जुलाई 2013 को मुकदमा दर्ज किया।

एक साल की जांच के बाद पाए गए आरोपी

एसआईटी की पर्यवेक्षक डीआईजी एलओ पी रेणुका ने बताया कि एसआईटी की जांच में पूर्व डीजीपी बीएस सिद्धू आरोपी साबित हुए हैं। एक साल से चल रही जांच के बाद एसआईटी ने पूर्व डीजीपी बीएस सिद्धू, रहमद्दीन, हाजी रिजवान, सुभाष शर्मा और स्मिता दीक्षित के खिलाफ आईपीसी की धारा 420, 467, 468, 471 और 120बी के तहत चार्जशीट दाखिल की है। इसके अलावा पांच अन्य लोगों के खिलाफ भी जांच विधिवत जारी है।