हल्द्वानी के बहुचर्चित बनभूलपुरा रेलवे बनाम अवाम मामला इस समय सुप्रीम कोर्ट की दहलीज़ पर है। जहां से विगत पांच जनवरी को पांच हजार घरों पर बुल्डोजर चलाने पर रोक लगाई गयी थी।
हल्द्वानी के बहुचर्चित बनभूलपुरा रेलवे बनाम अवाम मामला इस समय सुप्रीम कोर्ट की दहलीज़ पर है। जहां से विगत पांच जनवरी को पांच हजार घरों पर बुल्डोजर चलाने पर रोक लगाई गयी थी। 20 दिसंबर 2022 के उत्तराखण्ड हाईकोर्ट के फैसले पर सुप्रीमकोर्ट ने यह कहते हुए रोक लगाई थी कि अगर रातों रात 50 हजार से ज्यादा लोगों को उजाड़ दिया जाएगा तो यह लोग कहां जाएंगे और राज्य सरकार के पास इनके विस्थापन की क्या व्यवस्था है रेलवे और राज्य सरकार दोनों इसमें पक्षकार बनें और जवाब दें।
पांच जनवरी के बाद इस मामले पर दूसरी सुनवाई में रेलवे और राज्य सरकार ने संयुक्त रूप से जवाब दाखिल करने के लिए आठ सप्ताह का समय मांगा था जिसपर कोर्ट ने दस सप्ताह का समय देते हुए अगली तारीख 2 मई की निर्धारित की थी। आज दो मई है और सुप्रीम कोर्ट में इस मामले में आज सुनवाई हुई। जिसमें राज्य सरकार ने एक बार फिर से कोर्ट में जवाब दाखिल न करते हुए समय मांगा। जिसपर सुप्रीम कोर्ट की डबल बेंच ने राज्य सरकार को जवाब दाखिल करने के लिए और मोहलत तो दे दी लेकिन सख्त लहज़े में।
रेलवे मामले में आज 2 मई की सुनवाई के दौरान हुई बहस के बाद अगस्त 2023 के पहले हफ्ते तक का वक्त सरकार को अपना पक्ष रखने के लिये सुप्रीम कोर्ट ने दे दिया लेकिन जजों ने सख्त रुख रखा। अगस्त के पहले सप्ताह में सरकार को जवाब देना है। न्यायाधीश किशन कौल और जस्टिस एहतेशाम अमानुल्ला ने उत्तराखंड सरकार की ओर से समय मांगे जाने पर कहा कि वक्त मांगते रहने से क्या होगा, आप प्लान बताइये। क्या वजह है जो आप बार बार समय मांग रहे हैं।
शहर विधायक सुमित ह्रदयेश की ओर से शराफत खान व अन्य याचिकाओं पर पैरवी कर रहे सीनियर एडवोकेट सलमान खुर्शीद, भारत सरकार के पूर्व सॉलिसिटर जनरल सिद्धारत लूथरा एवं प्रशांत भूषण ने समय दिए जाने पर एकराय होकर आपत्ति दर्ज कराई। बहरहाल ये मामला अब अगस्त माह के पहले सप्ताह तक के लिए टल गया है।
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