ईरान को उम्मीद है कि एशिया, रूस और यूरोप के बीच वह ट्रांसपोर्ट हब बन सकता है. रेलवे लाइन और हाइवे के पूरा होते ही रूस से ईरान के रास्ते भारत तक एक व्यापार मार्ग तैयार हो जाएगा.
भारत और रूस की दोस्ती जगजाहिर है और अब इन दोनों ईरान और करीब लेकर आएगा. ईरान में 3300 किमी लंबी रेलवे लाइन और 6000 किमी लंबा हाइवे पर तेजी से काम चल रहा है. ईरान को उम्मीद है कि एशिया, रूस और यूरोप के बीच वह ट्रांसपोर्ट हब बन सकता है.
इन प्रोजेक्ट्स के पूरा होते ही रूस से ईरान के रास्ते भारत तक एक व्यापार मार्ग तैयार हो जाएगा. इस व्यापार मार्ग से इन तीनों देशों को जहां भारी फायदा पहुंचेगा वहीं आपसी संबंध भी और सुधरेंगे.
इस रेलवे लाइन और हाइवे के निर्माण को दो सबसे बड़े फायदे होगें पहला- तीनों देश अमेरिकी प्रतिबंधों से बचते हुए आसानी से व्यापार कर सकेंगे और दूसरा – भारत को रूस के साथ व्यापार करने के लिए यूरोप पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा.
साल 2002 में भारत, रूस और ईरान के बीच एक समझौता हुआ था जिसके बाद इंटरनेशनल नॉर्थ-साउथ ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर की नींव पड़ी थी.
कितना हो चुका है काम?
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक एक रेलवे लाइन का 560 किमी हिस्सा इस साल मार्च तक बनकर तैयार हो जाएगा वहीं हाईवे का भी 1000 किमी का हिस्सा इस साल मार्च तक पूरा हो जाने की उम्मीद है.
रूस की विशेष नजर
इन दोनों प्रोजेक्ट्स पर रूस की विशेष नजर और क्योंकि इनके बन जाने के बाद रूस का हिंद महासागर तक सफर आसान हो जाएगा. रूस खाड़ी और अफ्रीकी देशों के साथ भी तेजी से व्याूपार कर सकेगा। बताया जा रहा है कि पुतिन खुद इस व्यापार मार्के के निर्माण में गहरी दिलचस्पी दिखा रहे हैं. पिछली जुलाई में रूसी राष्ट्र पति व्लाहदिमीर पुतिन ने ईरान के राष्ट्रपति से इसी सिलसिले में मुलाकात भी की थी.