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आज वनाधिकार समिति बिंदुखत्ता एवं पूर्व सैनिक संगठन नैनीताल के प्रतिनिधिमंडल ने माननीय मुख्यमंत्री, उत्तराखंड को ज्ञापन सौंपकर बिंदुखत्ता को राजस्व ग्राम घोषित करने की अधिसूचना जारी करने की मांग की।

प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री को अवगत कराया कि वनाधिकार कानून (FRA) 2006 के अंतर्गत सभी अर्हताएं पूर्ण करने के बावजूद, बिंदुखत्ता के 11,703 परिवार—जिनमें अधिकांश सैनिक एवं पूर्व सैनिक परिवार हैं—पिछले नौ महीनों से अधिसूचना न जारी होने के कारण सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं से वंचित हैं।

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मुख्यमंत्री को वनाधिकार कानून की प्रति एवं अन्य संबंधित पत्र सौंपते हुए यह अवगत कराया कि यह एक सरल कानून है, जिसमें जिला स्तरीय वनाधिकार समिति (DLC) के निर्णय के बाद भूमि को अनारक्षित करने अथवा वन एवं पर्यावरण मंत्रालय, भारत सरकार की स्वीकृति लेने की आवश्यकता नहीं होती। इसी कारण अब तक पूरे भारत में वन भूमि पर बसे लगभग 1,700 ग्रामों को राजस्व ग्राम का दर्जा दिया जा चुका है। परंतु उत्तराखंड शासन द्वारा वनाधिकार कानून के विपरीत कार्यवाही किए जाने से न केवल राजस्व ग्राम की अधिसूचना लंबित है, बल्कि पत्रावली भी अनावश्यक रूप से उलझती जा रही है।

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इस पर मुख्यमंत्री ने संज्ञान लेते हुए तत्काल आदेश जारी कर वनाधिकार अधिनियम 2006 के अनुसार कार्यवाही किए जाने के निर्देश दिए तथा प्रतिनिधिमंडल को आश्वस्त किया कि शीघ्र ही राजस्व ग्राम की अधिसूचना जारी की जाएगी।

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प्रतिनिधिमंडल में कैप्टन चंचल कोरंगा, सचिव भुवन भट्ट एवं सदस्य उमेश भट्ट, कविराज धामी और बसंत पांडेय शामिल थे।

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