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चमोली: विकासखंड थराली के कोलपुड़ी गांव के लापता सैनिक नारायण सिंह का पार्थिव शरीर 56 साल बाद गांव पहुंचेगा। 1968 में रोहतांग दर्रे में वायुसेना के एएन-12 विमान दुर्घटनाग्रस्त होने पर वे लापता हो गए थे।

आज से 56 साल पूर्व 7 फरवरी 1968 को भारतीय वायुसेना का एएन-12 विमान चंडीगढ़ से लेह के लिए रवाना हुआ था, जिसमें भारतीय सेना के कई जवान सवार थे। रास्ते में विमान रोहतांग दर्रे के पास दुर्घटनाग्रस्त हो गया, जिससे उसमें सवार सभी 102 जवान शहीद हो गए। सेना ने लंबे समय तक सर्च ऑपरेशन जारी रखा। 2003 में पांच जवानों के पार्थिव शरीर मिले और 2018 में भी एक जवान का शव बरामद हुआ। अब 56 साल बाद चार और शहीद जवानों के अवशेष मिले हैं। सोमवार को सेना के अधिकारियों ने शहीद नारायण सिंह की पहचान होने की जानकारी दी। उन्हें एक पर्स में मिला कागज मिला, जिसमें नारायण सिंह का नाम और ग्राम कोलपुड़ी के साथ बसंती देवी का नाम दर्ज था। इसके अलावा उनकी वर्दी की नेम प्लेट पर भी उनका नाम लिखा था। शहीद का शव बर्फ में सुरक्षित था, लेकिन बर्फ से बाहर निकालने के बाद वह गलने लगा है, इसलिए उसे सुरक्षित किया जा रहा है। साथ ही उनका डीएनए सैंपल भी लिया जा रहा है।

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कोलपूडी के शहीद नारायण सिंह की कहानी

शहीद नारायण सिंह का परिवार चमोली जिले के कोलपूडी गांव में निवास करता है। कोलपूडी के ग्राम प्रधान जयवीर सिंह नारायण सिंह के भतीजे हैं। उन्होंने बताया कि नारायण सिंह का विवाह 1962 में बसंती देवी से हुआ था, जब उनकी उम्र लगभग 9 साल थी। 1968 में नारायण सिंह विमान दुर्घटना में शहीद हो गए थे। जयवीर सिंह के अनुसार बसंती देवी को विश्वास था कि उनके पति एक दिन लौटेंगे, लेकिन समय बीतने के साथ उनकी उम्मीद भी धीरे-धीरे खत्म होती गई। नारायण सिंह के लौटने की आशा छोड़ चुके परिवार ने बसंती देवी की शादी भवान सिंह से करा दी, जो नारायण सिंह के छोटे भाई और जयवीर सिंह के पिता हैं। जयवीर सिंह ने बताया कि अभी तक सेना की ओर से बसंती देवी को कोई सहायता नहीं मिली है। उनके अनुसार नारायण सिंह का पार्थिव शरीर गुरुवार तक गांव पहुंचेगा, जिसके बाद उन्हें सैन्य सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया जाएगा।