नैनीताल हाईकोर्ट में मटन और चिकन की दुकानों में बिना परीक्षण के बेचे जा रहे मांस को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई हुई. कोर्ट ने राज्य सरकार को 24 घंटे के भीतर जवाब पेश करने और नगर निगम समेत खाद्य शुरक्षा विभाग से छः सप्ताह में जवाब पेश करने के निर्देश दिए हैं.
उत्तराखंड हाईकोर्ट ने देहरादून में मटन और चिकन की दुकानों में बिना परीक्षण के बेचे जा रहे मांस को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की. मामले की सुनवाई के बाद मुख्य न्यायधीश विपिन सांघी और न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ ने राज्य सरकार से 24 घंटे के भीतर जवाब पेश करने के साथ-साथ नगर निगम व खाद्य शुरक्षा विभाग से छः सप्ताह में जवाब पेश करने को कहा है. मामले की अगली सुनवाई मार्च में होगी.
देहरादून निवासी विकेश सिंह नेगी ने जनहित याचिका दायर कर कहा है कि देहरादून का एक मात्र स्लॉटर हाउस 4 साल पहले बंद हो चुका है. मीट की दुकानों में बिना खाद्य सुरक्षा विभाग की जांच के जानवरों का मांस बेचा जा रहा है. बकरा और चिकन कहां काटा जा रहा है और कहां से आ रहा, इससे निगम व खाद्य सुरक्षा विभाग बेखबर है. दून में बने बूचड़खाने को वर्ष 2018 में बंद कर दिया गया था. तब से बिना खाद्य सुरक्षा विभाग की जांच के चिकन व मटन बेचा जा रहा है.
याचिकाकर्ता का कहना है कि नगर निगम व खाद्य सुरक्षा विभाग दून में लोगों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ कर रहा है. जनता निगम और खाद्य सुरक्षा विभाग के बीच पिस रही है. मांस की गुणवत्ता के सवाल पर निगम और खाद्य सुरक्षा विभाग एक दूसरे पर आरोप लगा रहे हैं. जब याचिकाकर्ता ने आरटीआई मांगी तो खाद्य सुरक्षा विभाग व नगर निगम एक दूसरे के ऊपर आरोप प्रत्यारोप लगाने लगे.
खाद्य सुरक्षा विभाग ने कहा कि यह जिम्मेदारी नगर निगम की है, क्योंकि निगम ही दुकानों का आवंटन व किराया ले रहा है, जबकि निगम का कहना है कि इनका लाइसेंस खाद्य सुरक्षा विभाग देता है, इसलिए जांच करने की जिम्मेदारी भी इन्हीं की है. जनहित याचिका में कोर्ट से प्राथर्ना की है कि निगम द्वारा 2016 में बनाये गए नियम. जिसमें बकरे व चिकन को जांच कर स्लॉटर हाउस में कटने का प्रावधान था, उसे लागू किया जाए.